प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अन्तर्गत हर खेत में पानी पहुंचाने की दिशा में कार्य करने की योजना बनाई गई थी। इस योजना के अन्तर्गत जल संसाधन, ग्रामीण विकास मंत्रालय एवं कृषि मंत्रालय के द्वारा खेतों को वर्षा के जल पर निर्भर न रहने का उद्देश्य रखा गया है।
योजना के लिए 50,000 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था जिसके फलस्वरूप सिंचाईं की विभिन्न तकनीकों को इस्तेमाल करते हुए भूमि को सिंचिंत करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इस योजना में जो विशेष आकर्षण का था वह पर ड्राप मोर क्राप की तकनीक थी। इसके मद्दनेज़र किसानों को ड्रिप इरीगेशन आदि अत्याधुनिक तकनीकों के साथ सिंचाईं करने के लिए प्रेरित किया जाता है।
कुल 6 लाख हैक्टेयर भूमि को सिंचित करना लक्ष्य था जबकि 5 लाख हैक्टेयर भूमि को ड्रिप इरीगेशन के अधीन लाना था।
तो वहीं केंद्र ने इसके साथ राज्यों को भी इस योजना के अन्तर्गत कार्य करने के लिए अलग से बजट देने का आदेश दिया था जिस पर राज्य सरकार भी बजट एवं योजना के लिए अलग रणनीति बनाकर कार्य कर रहीं हैं।
सिंचाईं योजना से लाभ-
इस योजना से लाभ उठाने के लिए किसानों को भरसक प्रयास करना चाहिए। जिले के कृषि कार्यालय एवं कृषि विज्ञान केंद्रों से संपर्क कर वह खेती में पानी की बचत कर सकते हैं। इस योजना से प्रत्यक्ष लाभ के तौर पर किसान पानी की आधी बचत कर सकते हैं। जहां एक ओर किसान डीजल पर पैसा खर्च करने के साथ-साथ समय भी खपाते हैं व श्रमिकों की अधिक जरूरत पड़ती है इन सभी का समाधान ढूंढने के लिए ड्रिप इरीगेशन की सुविधा काफी लाभदायक साबित हो सकती है।
नमी को बनाए रखने के लिए किसान ड्रिप इरीगेशन के माध्यम से लाभ उठा सकते हैं क्योंकि यह पानी की समुचित मात्रा ही पौधे तक पहुंचाती है। आवश्यकता से अधिक या कम पानी की समस्या इस प्रकार की सुविधा में नहीं होती।
इससे अलग किसान भाई स्प्रिंकलर सिंचाईं को भी अपना सकते हैं।
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