
उत्तर प्रदेश के किसान तेजी के साथ मक्के की खेती/ Corn Farming की तरफ अपना रुख कर रहे हैं. राज्य सरकार भी किसानी की आय बढ़ाने और उनकी आर्थिक रूप से मदद कर रही है. इसी क्रम में यूपी सरकार ने ‘त्वरित मक्का विकास योजना’ और MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर खरीद से किसानों को सीधा लाभ देने की पहल शुरू कर दी है. इसके अलावा किसानों के लिए सरकार ने ड्रायर मशीन पर सब्सिडी, उन्नत बीज और नई तकनीकों को बढ़ावा देने के कार्यों को शुरू कर दिया है.
अगर आप भी राज्य के किसान हैं, तो वैज्ञानिक तरीके से मक्के की खेती करें और सरकार की योजनाओं का लाभ उठाकर अपनी आय बढ़ाएं! यहां जानें कैसे...
ड्रायर मशीन पर सब्सिडी/Subsidy on Dryer Machine
मक्का कटाई के समय इसमें 30% तक नमी होती है. अगर इसे सही तरीके से नहीं सुखाया जाए, तो इसमें फंगस लगने की संभावना काफी अधिक बढ़ जाती है. इसलिए सरकार ड्रायर मशीन पर 12 लाख रुपए तक की सब्सिडी दे रही है.
- ड्रायर मशीन की कुल कीमत – 15 लाख रुपए
- सरकार की ओर से सब्सिडी – 12 लाख रुपए
- पॉपकॉर्न मशीन पर सब्सिडी – 10,000 रुपए
- इसके अलावा, बोआई से लेकर प्रोसेसिंग तक की अन्य मशीनों पर भी सरकार अनुदान दे रही है.
मक्का बीज पर 15,000 रुपए का अनुदान
उत्तर प्रदेश सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए मक्का उत्पादन को बढ़ावा दे रही है. "त्वरित मक्का विकास योजना" के तहत किसानों को प्रति क्विंटल मक्का बीज पर 15,000 रुपए का अनुदान दिया जा रहा है. इस योजना में संकर मक्का, देशी पॉपकॉर्न, बेबी कॉर्न और स्वीट कॉर्न के बीज भी शामिल हैं. पर्यटन स्थलों पर पॉपकॉर्न, बेबी कॉर्न और स्वीट कॉर्न की मांग ज्यादा होती है, इसलिए सरकार इनकी खेती को भी प्रोत्साहित कर रही है.
मक्का उत्पादन का लक्ष्य
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2027 तक मक्का उत्पादन को 27.30 लाख मीट्रिक टन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए सरकार:
- खेती का रकबा बढ़ा रही है.
- उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है.
- वित्तीय वर्ष 2023-24 में 27.68 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है.
वर्तमान में उत्तर प्रदेश में 8.30 लाख हेक्टेयर में मक्का की खेती होती है और कुल उत्पादन 21.16 लाख मीट्रिक टन है. सरकार भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से जुड़ी भारतीय मक्का संस्थान की मदद से खेती की नई तकनीकों को किसानों तक पहुंचा रही है.
मक्का की बहुपयोगिता
मक्का सिर्फ अनाज नहीं, बल्कि औद्योगिक और पोषण के नजरिए से भी अहम फसल है. इसका उपयोग कई क्षेत्रों में किया जाता है:
- एथेनॉल उत्पादन (Ethanol Production)
- कुक्कुट और पशु चारा
- दवा और कॉस्मेटिक उद्योग
- कागज, वस्त्र और अल्कोहल उत्पादन
पॉपकॉर्न, बेबी कॉर्न और मक्के के आटे के रूप में खाने में उपयोग किया जाता है. मक्का रबी, खरीफ और जायद सभी मौसमों में उगाया जा सकता है. जल निकासी वाले क्षेत्रों में इसकी खेती आसानी से होती है, जिससे यह अन्य फसलों की तुलना में ज्यादा फायदेमंद साबित होती है.
मक्का की उपज बढ़ाने पर जोर
योगी सरकार किसानों को उन्नत बीज, बेहतर कृषि तकनीक और प्रशिक्षण उपलब्ध करवा रही है ताकि किसान अपनी प्रति हेक्टेयर उपज को 100 क्विंटल तक बढ़ा सकें.
- तमिलनाडु की मक्का उपज – 59.39 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
- भारत की औसत उपज – 26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
- उत्तर प्रदेश की औसत उपज (2021-22) – 21.63 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
सरकार चाहती है कि उत्तर प्रदेश में मक्के की पैदावार दोगुनी हो, ताकि किसान ज्यादा लाभ कमा सकें.
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