मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र व राज्य सरकार की ओर से समय-समय पर नए-नए योजनाओं को लागू करने के साथ ही अनुदान भी मुहैया कराया जाता है. इसी कड़ी में मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र व राज्य सरकार की ओर से बिहार के कुछ जिलों में मछली पालन पर अनुदान मुहैया कराया जा रहा है. ऐसे में अगर आप भी मछली पालन करने की सोच रहे है तो सरकार की इस योजना का लाभ उठाकर भविष्य में अच्छा मुनाफा कमा सकते है.
दरअसल वित्तीय वर्ष 2019-20 में कुल रु 67.92 लाख की अनुमानित लागत व्यय पर केन्द्र प्रायोजित योजना के तहत राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड, हैदराबाद के वित्तीय सहायता से बिहार राज्य में अलंकारी मात्स्यिकी को बढ़ावा देने के लिए पश्चिमी परियोजना के रूप में राज्य के तीन जिलों पटना, पूर्वी चंपारण और वैशाली में बैकयार्ड रियरिंग यूनिट (Backyard Rearing Unit), मीडियम स्केल रीअरिंग यूनिट (Medium Scale Rearing Unit), इंटीग्रेटेड ओरनामेंटल फिश यूनिट (Integrated Ornamental Fish Unit) और राज्य के सभी जिलों में एक्वेरियम फैब्रिकेशन-कम-रिटेल यूनिट (Aquarium Fabrication-cum-Retail Unit ) की स्थापना पर 40 % (जिसमें केंद्र सरकार के शेयर 60 प्रतिशत रुपये 40.752 लाख और राज्य सरकार के शेयर 40 प्रतिशत रुपये 27.168 लाख) अनुदान मिलेगा. इसके अलावा स्कूलों / कॉलेजों / सरकारी स्कूलों में सजावटी मछली के लिए एक्वरिया (Aquaria) की स्थापना और कार्यालयों (छोटे और बड़े आकार), कौशल विकास और क्षमता निर्माण (Skill Development and Capacity Building ) पर शत-प्रतिशत अनुदान मिलेगा.
मछली पालन व्यवसाय
विश्वभर में मछलियों की लगभग 20,000 प्रजातियां पाई जाती है, जिनमें से 2200 प्रजातियां भारत में ही पाई जाती हैं. दुनियाभर में मछली के विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाकर उपयोग में लाया जाता हैं. इसके मांस की उपयोगिता हर जगह देखी जाती है. ऐसे में आज के दौर में मछलियों का बाजार व्यापक है. गौरतलब है कि आज भारत मत्स्य उत्पादक देश के रूप में उभर रहा है. एक समय था, जब मछलियों को तालाब, नदी या सागर के भरोसे रखा जाता था. परंतु बदलते दौर में वैज्ञानिक विधि का अनुसरण करते हुए मछली पालन के लिए कृत्रिम जलाशय बनाए जा रहे हैं. और इसे रोजगार का जरिया बनाया जा रहा है.
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