भारत गन्ना उत्पादन का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. आंकड़ें देखें तो देश में गन्ने की मांग भी काफी अधिक रहती है, क्योंकि चीनी बनाने के लिए भारत में गन्ने का इस्तेमाल किया जाता है. हरियाणा के कई क्षेत्रों में गन्ने को एक मुख्य फसल के तौर पर उगाया जाता है. जिसके लिए सरकारें भी किसानों को बढ़ावा देती हैं. इसी कड़ी में हरियाणा सरकार राज्य के किसानों के लिए योजनाएं लेकर आई है, जिसके तहत टपका सिंचाई से गन्ने की खेती करने पर सब्सिडी दी जा रही है और साथ ही राज्य में गन्ना की खोई से एथेनॉल बनाने के लिए प्लांट का कार्य भी चल रहा है.
गन्ना की खेती के लिए टपका सिंचाई होती है फायदेमंद
गन्नें के अच्छे उत्पादन के लिए फसल में निगरानी, उर्वरक व सिंचाई की आवश्यकता होती है. गन्ने के खेत में जलभराव होने से फसल खराब हो जाती है. इसलिए कृषि विशेषज्ञ भी गन्ने की खेती में सिंचाई के लिए टपका सिंचाई करने की सलाह देते हैं.
गन्ना की खेती के लिए टपका सिंचाई पर सब्सिडी
गन्ना भारत की नकदी फसलों में से एक है. टपका सिंचाई (Drip irrigation) से इसकी उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है. इसी को देखते हुए हरियाणा सरकार ने 'प्रति बूंद अधिक फसल स्कीम' चलाई है, जिसमें टपका सिंचाई के लिए 85 फीसदी सब्सिडी राज्य सरकार की तरफ से दी जा रही है. इसके साथ ही वाटर टैंक बनाने के लिए 75 से 85 प्रतिशत तक सब्सिडी और सोलर पंप लगाने के लिए 75 फीसदी की सब्सिडी सरकार की तरफ से दी जा रही है. यदि आप भी 'प्रति बूंद अधिक फसल स्कीम' का लाभ पाना चाहते हैं तो, आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं.
गन्ने की खेती में टपका सिंचाई अपनाकर अनुदान के पात्र बने हरियाणा के किसान।
— CMO Haryana (@cmohry) November 11, 2022
योजना का लाभ लेने के लिए https://t.co/Kg0ZoN0vlQ अथवा किसान ई-मित्र से संपर्क करें। pic.twitter.com/GimBDTXc78
गन्ने की फसल के लिए टपका सिंचाई के फायदे
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टपका सिंचाई को अपनाने से 50 फीसदी तक की पानी की बचत होती है.
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गन्ने की उत्पादन व गुणवत्ता में वृद्धि होती है.
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टपका सिंचाई का उपयोग कर गन्ने में पोषक तत्वों का अनुकूलतम उपयोग होता है.
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टपका सिंचाई के बाद पौधों व फसल के लिए कम पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है.
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इस तकनीक का उपयोग करने के बाद फसल गिरने की समस्या से छूटकारा मिलता है.
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गन्ने के बीजों का 100 फीसदी अंकुरण होता है.
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इस खास तकनीक का प्रयोग कर कीटनाशकों के आवश्यकता बेहद कम हो जाती है.
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इस तकनीक के माध्यम से उबड़- खाबड़ जमीन पर सिंचाई संभव है.
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टपक सिंचाई का उपयोग कर फसल उत्पादन के लागत में कमी आती है.
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