भारतीय ग्रामीण आबादी का मुख्य पेशा कृषि है. प्राचीन काल से अब तक कृषि क्षेत्र ने कई बदलाव के दौर देखे हैं. मौजूदा परिदृश्य में खेती करने का तरीका पूरी तरह बदल चुका है. साठ के दशक में शुरु हुई हरित क्रांति ने देश में कृषि क्षेत्र की दशा और दिशा ही बदल के रख दी. इस क्रांति के बाद कृषि यंत्रों का चलन काफी तेजी से बढ़ा और साथ ही रासायनिक खाद व उर्वरकों का अंधाधुंध इस्तेमाल होने लगा. बेशक, इससे पैदावार में रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ोतरी हुई लेकिन फसल की गुणवत्ता और जमीन की उर्वरा शक्ति का ग्राफ लगातार नीचे गिरता चला गया. इस स्थिति को देखते हुए फिर से जैविक खेती की जरुरत पर जोर दिया जा रहा है. इसी कड़ी में किसानों को जैविक खेती करने के लिए सरकार की ओर से भी प्रोत्साहित दिया जाता है.
उत्तर प्रदेश कृषि विभाग राज्य के किसानों को केंचुआ वाली जैविक खाद बनाने के लिए अनुदान राशि दे रहा है. इसके लिए जिला स्तर पर कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. मुरादाबाद जनपद में कृषि विभाग ने प्रत्येक गांव में केंचुआ खाद बनाने के लिए यूनिट बनाने की कवायद शुरू कर दी है. इसके अंतर्गत किसान अपने खेत के लिए केंचुआ खाद बनाएंगे.
दरअसल, राज्य सरकार ने खेती में केंचुआ खाद के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग को जिम्मा सौंपा है. इसके तहत सूबे के प्रत्येक गांव में केंचुआ आधारित जैविक खाद बनाने की यूनिट लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. जानकारी के अनुसार कुल 1229 गांवों में इस तरह की यूनिट लगाई जानी हैं. कृषि विभाग ने 950 यूनिटों लगाने के लिए प्राथमिक स्तर पर काम शुरू कर दिया है.
कृषि विभाग के मुताबिक, यूनिट लगाने में कुल 8 हजार रूपये की लागत आने का अनुमान है. इसके लिए कृषि विभाग की तरफ से किसानों को 6 हजार रूपये की सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है. शेष दो हजार का खर्च किसानों को स्वयं उठाना होगा. यूनिट में खाद तैयार होने के बाद किसान इस खाद का प्रयोग अपने खेत में करेंगे. जिससे फसल की पैदावार तो बढ़ेगी ही साथ ही रासायनिक खाद और उर्वरक के बेहिसाब खर्च को भी कम करने में मदद मिलेगी. सनद रहे कि जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने इस योजना की शुरुआत की थी. इसके तहत किसानों को कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाने के तरीके अमल में लाने लिए प्रोत्साहित किया जाता है.
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