प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि केंद्र की मुफ्त राशन योजना को 5 साल और बढ़ाया जाएगा और इससे लगभग 80 करोड़ लोगों को फायदा होगा. प्रधानमंत्री ने चुनावी राज्य छत्तीसगढ़ में एक रैली को संबोधित करते हुए यह घोषणा की. भारत सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत 80 करोड़ गरीब लोगों को पांच साल के लिए मुफ्त राशन देने का फैसला किया है.
सरकार के अधिकारियों के अनुसार, जब पिछली बार इसे 28 महीने के लिए बढ़ाया गया था तब सरकारी खजाने पर लगभग ₹ 2 लाख करोड़ का खर्च आया था. सरकार के इस कदम के बाद से गरीब परिवारों को पांच साल तक बिलकुल मुफ्त राशन की सुविधा को बढ़ाया गया है.
अभी इतना मिलता है राशन
वर्तमान में, NSFA अधिनियम के लाभार्थियों को प्रति किलोग्राम 1-3 रुपये का भुगतान करना पड़ता है. अधिनियम के तहत, प्राथमिकता वाले परिवारों की श्रेणी के लिए 5 किलोग्राम प्रति व्यक्ति प्रति माह और अंतोदय अन्न योजना (एएवाई) वाले परिवारों के लिए 35 किलोग्राम प्रति परिवार प्रति माह 1 रुपये, 2 रुपये और 3 रुपये प्रति किलोग्राम की सब्सिडी वाली कीमतों पर खाद्यान्न आवंटित किया जाता है. क्रमशः मोटे अनाज, गेहूं और चावल के लिए. लेकिन 2023 में सरकार योजना के लाभार्थियों को मुफ्त राशन प्रदान करेगी.
इस समय शुरू की गई थी फ्री राशन योजना
पीएमजीकेएवाई को 2020 में कोविड महामारी के दौरान लॉन्च किया गया था, जिसके तहत केंद्र ने एनएफएसए कोटा के तहत आने वाले लोगों को 5 किलोग्राम खाद्यान्न मुफ्त प्रदान किया. सरकारी अधिकारियों ने नवीनतम कैबिनेट निर्णय को "देश के गरीबों के लिए नए साल का उपहार" बताया, कहा कि लगभग 80 करोड़ से अधिक लोगों को अब एनएफएसए के तहत मुफ्त खाद्यान्न मिलेगा. उन्होंने कहा कि लाभार्थियों को खाद्यान्न प्राप्त करने के लिए एक भी रुपये का भुगतान नहीं करना होगा.
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2013 को लागू किया गया NSFA
केंद्र ने जुलाई 2013 में एनएफएसए लागू किया, जिससे 67% आबादी (ग्रामीण क्षेत्रों में 75% और शहरी क्षेत्रों में 50%) को अत्यधिक सब्सिडी वाला खाद्यान्न प्राप्त करने का कानूनी अधिकार मिला.
अधिनियम के तहत कवरेज जनगणना 2011 के जनसंख्या आंकड़ों पर आधारित है. एनएफएसए को सभी 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया जा रहा है और इसमें लगभग 80 करोड़ लोग शामिल हैं.
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