
Chhat Par Bagwani Scheme 2025: बिहार के उप मुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने राज्य सरकार की नई योजना “छत पर बागवानी अन्तर्गत गमले एवं फार्मिंग बेड योजना” की घोषणा की है. यह योजना शहरी क्षेत्रों में हरियाली बढ़ाने और नागरिकों को ताजा, जैविक फल-सब्जियां उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लागू की जा रही है. वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए इस योजना पर कुल 3 करोड़ 17 लाख रुपये की राशि निर्धारित की गई है.
योजना के प्रारंभिक चरण में इसे पटना, गया, मुजफ्फरपुर और भागलपुर के नगर निगम क्षेत्रों में लागू किया जाएगा. इस पहल का उद्देश्य न केवल शहरी घरों की छतों पर खेती को बढ़ावा देना है, बल्कि पर्यावरण सुधार, प्रदूषण नियंत्रण और शहरों में हरित क्षेत्र के विस्तार के माध्यम से सौंदर्यीकरण करना भी है.
योजना का उद्देश्य और महत्व
इस योजना का मुख्य उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में छतों पर जैविक फल, फूल और सब्जियों की खेती को बढ़ावा देना है. शहरी जीवनशैली में प्रदूषण और प्रदूषित खाद्य सामग्री की समस्या बढ़ रही है. ऐसे में यह योजना नागरिकों को स्वास्थ्यवर्धक और स्वच्छ आहार उपलब्ध कराने में मददगार साबित होगी.
इसके अलावा, छत पर बागवानी से वायु की गुणवत्ता में सुधार होगा, शहरी प्रदूषण में कमी आएगी, और तापमान नियंत्रित रहेगा. इससे शहरों का पर्यावरण बेहतर होगा और प्राकृतिक सौंदर्य में वृद्धि होगी. यह पहल लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक भी बनाएगी.
योजना की संरचना और वित्तीय विवरण
इस योजना के तहत दो प्रमुख योजनाएं हैं: गमला योजना और फार्मिंग बेड योजना. गमला योजना के अंतर्गत प्रति इकाई 30 गमलों सहित पौधों की लागत लगभग 10 हजार रुपये है, जिसमें से 75 प्रतिशत यानी 7,500 रुपये राज्य सरकार द्वारा इन काइंड एकमुश्त अनुदान के रूप में दिया जाएगा.
वहीं फार्मिंग बेड योजना में प्रति इकाई लागत 60 हजार रुपये है, जिस पर 75 प्रतिशत यानी 45 हजार रुपये का अनुदान दिया जाएगा.
भुगतान की प्रक्रिया और अनुदान की किश्तें
इस योजना में अनुदान की प्रथम किश्त के रूप में कुल अनुदान राशि का 90 प्रतिशत, अर्थात 40,500 रुपये का भुगतान किया जाएगा. शेष 10 प्रतिशत यानी 4,500 रुपये कार्य पूरा होने और लाभुक द्वारा प्रस्तुत संतोषजनक प्रमाण-पत्र के आधार पर एजेंसी द्वारा भुगतान किया जाएगा.
शहरी परिवारों के लिए लाभ
उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि इस योजना से शहरी परिवारों को अपने उपयोग हेतु ताज़ी एवं जैविक सब्जियां और फल प्राप्त होंगे. इसके अतिरिक्त छतों पर बागवानी से वायु की गुणवत्ता में सुधार होगा, तापमान नियंत्रित रहेगा तथा शहरी क्षेत्रों में प्राकृतिक सौंदर्य में भी वृद्धि होगी.
पर्यावरण संरक्षण और जागरूकता
यह योजना केवल खाद्य उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण के लिए भी एक बड़ी पहल है. छतों पर बागवानी से न केवल शहरों में हरियाली बढ़ेगी, बल्कि नागरिकों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी. लोग स्वच्छ और प्राकृतिक खेती की ओर आकर्षित होंगे, जो व्यापक रूप से पर्यावरण संरक्षण में मदद करेगा. इससे प्रदूषण कम होगा और शहरों का वातावरण स्वस्थ बनेगा.
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