New Government Subsidy Schemes for Farmers 2024: ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने, और किसानों की आत्मनिर्भरता का एक बेहतरीन मॉडल कृषि उपज द्वारा सशक्त तभी हो सकेगा, जब सरकार की सक्रिय सहभागिता वाली योजनाएं लघु, मझोले एवं सीमांत किसानों तक पारदर्शी रूप से पहुंचे. आजादी के अमृत महोत्सव मना रहे भारत को विश्व की अर्थव्यवस्था में अग्रणी स्थान हासिल करने के लिए कृषि में स्वावलंबन के लिए स्वयं को तैयार करना होगा. संतुलित व्यापक कृषि उपज से विकास को बढ़ावा देने के लिए किसानों को सरकार द्वारा दी जाने वाली कल्याणकारी योजनाओं को विस्तृत आयाम देने के लिए प्रेरित करना होगा.
कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किसानों को जिन योजनाओं द्वारा लाभान्वित किया जा रहा है, उस सपने को साकार करने एवं सरकार के समग्र नजरिए के माध्यम से लाभांश तभी मिलेगा, जब किसानों को प्रदत्त योजनाओं की पूरी सिद्दत के साथ अनुपालना करवाया जाय, तब भारतीय किसान शहरों और गांवों के बीच की खाई को पाटकर कृषि रोजगार द्वारा नित नये आयाम उत्पन्न करेंगे. विशाल भारत में खेतीहर ग्रामवासियों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए भारत सरकार की कृषि जगत में उत्कृष्ट योजनाएं एक ऊंचा मुकाम देगी.
किसानों की आय में बढ़ोतरी कैसे हो? इस स्थिति को समझते हुए भारत सरकार ने कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने के उद्देश्य से कई योजनाएं संचालित की है, ताकि किसान इन योजनाओं के माध्यम से अपनी कृषि उपज आर्थिक रूप से सशक्त एवं आत्म स्वाभिमानी बना सकें.
लोक कवि एवं कृषि ज्योतिषी घाघ ने लिखा है-
उत्तम खेती मध्यम बान।
निषिध चाकरी, भीख निदान।।
अर्थात उत्तम खेती (कृषि कार्य) हमारे समाज में सर्वोत्तम कार्य है, माध्यम बान (व्यापार) – व्यापार को मध्यम स्तर का कार्य कहा गया है. चाकरी माने नौकरी को निकृष्ट कार्य कहा गया है.
कृषि पर भारत की प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 60 प्रतिशत जनसंख्या आश्रित है. खेती सदैव ही उत्तम रहन-सहन प्रदान करती रही है, चाहे वो स्वतंत्र श्रमिक हो या खेत में समर्पित किसान. आर्थिक रूप से स्वतंत्रता एवं समग्र दृष्टि भी खेती से ही मिलती है. समय-समय पर कृषि कार्यों में अहम भूमिका निभाने वाली सरकार की योजनाएं किसानों की अर्थव्यवस्था में चार-चांद लगा देती हैं. किसानों के लिए सरकारी योजनाओं की सूची लंबी है. लहलहाती फसलों की कटाई-मड़ाई से लेकर घर पहुंचने तक की व्यवस्था यानी भंडारण तक सरकार की निम्नलिखित योजनाएं हैं-
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प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना
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पीएम कुसुम योजना
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कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (SMAM) योजना
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राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना
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पीएम किसान सम्मान निधि योजना
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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
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प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना
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प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना
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किसान क्रेडिट कार्ड योजना
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मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना
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कृषि अवसंरचना कोष (AIF) योजना
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कृषि उड़ान योजना
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चारा और चारा विकास योजना
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राष्ट्रीय कृषि विकास योजना
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परम्परागत कृषि विकास योजना
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किसान विकास पत्र योजना
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राष्ट्रीय गोकुल मिशन
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डेयरी उद्यमिता विकास योजना
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राष्ट्रीय बागवानी मिशन
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राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (एनएमएसए)
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बीज ग्राम योजना
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जैविक खेती प्रोत्साहन योजना
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किसान उत्पादक संगठन (FPO)
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प्रधानमंत्री कृषि संपदा योजना
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नेशनल बी कीपिंग एंड हनी मिशन योजना
उपरोक्त योजनाओं के अलावा भी कई योजनाएं हैं. वहीं, इनमें से निम्नलिखित योजनाएं कृषि विकास के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो रही हैं-
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना: प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को हर साल 6 हजार रुपये की आर्थिक मदद पहुंचाई जाती है. ये राशि किसानों के खाते में 4 महीने के अंतराल पर 3 किस्तों में 2-2 हजार रुपये कर भेजी जाती है. फिलहाल किसानों के खाते में अब तक 15 किस्तें भेजी जा चुकी हैं. वहीं, अगर आपने अभीतक इस योजना में आवेदन नहीं किया है, तो जरुर आवेदन कर लें.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: साल 2016 में शुरू हुई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना आज विश्व की सबसे बड़ी फसल बीमा योजना है. हर साल 5.5 करोड़ से अधिक किसान फसल बीमा के लिए रजिस्ट्रेशन करते हैं. इस योजना में कम से कम प्रीमियम पर अधिक से अधिक लाभ का क्लेम किया जाता है. इस योजना से जुड़ने की प्रक्रिया बहुत ही सरल है और कोई भी किसान अपनी फसल का बीमा करा सकता है. वहीं, बारिश, तापमान, पाला, नमी आदि जैसी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में इस योजना का लाभ मिलता है.
किसान क्रेडिट कार्ड योजना: खेती-किसानी, मछली पालन और पशुपालन से जुड़ा कोई भी किसान क्रेडिट कार्ड प्राप्त करने का लाभार्थी हो सकता है. वर्ष 1998 में शुरू की गई यह योजना देश के विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी बैंकों द्वारा चलाई जाती है. किसानों की भूमि जोत और उगाई गई फसलों के आधार पर एवं कृषि जरूरतों जैसे- फार्म कीट, उर्वरक, मशीनरी एवं कीटनाशक दवाइयां खरीदने के लिए लोन मुहैया करता है. इस योजना का उद्देश्य किसानों, व्यक्तिगत/संयुक्त उधारकर्ताओं, जो मालिक कृषक, किरायेदार किसान, मौखिक पट्टेदार और बटाईदार, स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) को लचीली और सरलीकृत प्रक्रिया के साथ एकल खिड़की के तहत खेती और अन्य जरूरतों के लिए बैंकिंग प्रणाली से पर्याप्त और समय पर लोन सहायता प्रदान करना है. आवेदन प्राप्त होने के 14 दिनों के अंदर केसीसी जारी कर दिया जाता है.
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना: किसानों को नकदी फसल में समुचित सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है. सिंचाई के पारम्परिक संसधानों से किसान यदि आत्म निर्भता की तरफ नहीं कदम बढ़ायेगा तो कृषि उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
घाघ ने भी लिखा है कि-
"तीन पानी तेरह कोड़,
तब देखो गन्ने का पोड़।।
धान, पान और केरा।
ये तीनों पानी के चेरा’।।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, एक केंद्र प्रायोजित योजना है, इस योजना को वर्ष 2015 में खेती के लिये पानी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने, सिंचाई के तहत खेती योग्य क्षेत्र का विस्तार करने, जल उपयोग दक्षता में सुधार करने तथा सतत् जल संरक्षण प्रथाओं को बढ़ावा देने के लक्ष्य के साथ शुरू किया गया था. इस योजना के तहत ड्रिप इरिगेशन सिस्टम लगाने पर किसानों को सब्सिडी मिलती है.
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना: इस योजना की शुरूआत 10 सितंबर 2020 को की गई थी. इस योजना का उदेश्य नीली क्रांति के जरिए देश में मछली पालन क्षेत्र में और अधिक विकास लाना है. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना पूरे 5 साल के लिए लागू की गई है. वित्त वर्ष 2020-21 से लेकर 2024-25 तक लागू रहेगी. इस योजना के तहत सरकार 3 लाख रुपए का लोन देती है. इसके अलावा, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत किसानों को तालाब, हैचरी, फीडिंग मशीन और क्वालिटी टेस्टिंग लैब की सुविधा दी जाती है.
पीएम कुसुम योजना: इस योजना के तहत केंद्र सरकार किसानों को सोलर पंप लगवाने पर सब्सिडी देती है, ताकि किसान सौर ऊर्जा का उपयोग कर कम खर्चे में बेहतर फसल उगा सकें. इस योजना के जरिए किसानों को सोलर पंप लगवाने पर 90 फीसदी तक सब्सिडी दी जाती है. इस योजना का देश के करोड़ों किसान अभीतक फायदा उठा चुके हैं.
कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (SMAM) योजना: इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों के लिये खेती में विकास और विस्तार की राह को मशीनीकरण के जरिये आसान बनाते हुये कस्टम हायरिंग सेंटर, कृषि मशीनरी बैंक, हाई-टेक हब्स को स्थापित करना और मशीनरियों के वितरण के अनुदान देना शामिल है.
राष्ट्रीय कृषि बाजार (एनएएम या NAM): राष्ट्रीय कृषि बाजार यानी ई-नाम एक राष्ट्रीय स्तर का इलेक्ट्रॉनिक पोर्टल आधारित बाजार है, जिसे भारत सरकार के कृषि मंत्रालय ने विकसित किया है. इसका उद्देश्य देश के विभिन्न राज्यों में स्थित कृषि उपज मंडी को इन्टरनेट के माध्यम से जोड़कर एकीकृत राष्ट्रीय कृषि उपज बाजार (NAM) बनाना है.
पीएम किसान मानधन योजना: पीएम किसान मानधन केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना है. इसमें 60 वर्ष की उम्र के बाद पेंशन का प्रावधान है. इस योजना में 18 साल से 40 साल तक की उम्र का कोई भी किसान भाग ले सकता है, जिसे उम्र के हिसाब से मंथली आंशदान करने पर 60 की उम्र के बाद 3000 रुपये मंथली या 36000 रुपये सालाना पेंशन मिलेगी. इसके लिए अंशदान 55 रुपये से 200 रुपये तक महीना है. अंशदान सब्सक्राइबर्स की उम्र पर निर्भर है.
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना: इस योजना के तहत किसान अपनी मिट्टी की जांच कराते हैं और फिर रिपोर्ट के आधार पर खेती करते हैं. ऐसा करने से खेती में उनकी लागत भी कम लगती है और उपज भी पहले के मुकाबले बढ़ जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि जब आपकी मिट्टी की जांच होती है तो यह पता चल जाता है कि आखिर मिट्टी में क्या कमी है और इसे कैसे सही करना है. इसके साथ साथ ये भी पता चल जाता है कि आखिर इस मिट्टी में कौन सी फसल बेहतर होगी.
राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना: केंद्र सरकार ने साल 2014 में 2025 करोड़ रुपये के बजट के साथ राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना की शुरुआत की थी. जिससे स्वदेशी गोजातीय नस्लों का विकास और संरक्षण किया जा सके और किसानों की आमदनी में इजाफा किया जा सके.
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कृषि अवसंरचना कोष योजना: कृषि अवसंरचना कोष योजना के तहत इच्छुक लोगों को 2 करोड़ रुपये तक का बैंक लोन देने का प्रावधान है, जिस पर सरकार द्वारा ब्याज दर में तीन फीसदी की छूट मिलती है. लोन अप्रूव होने पर अधिकतम 7 सालों तक ब्याज में यह छूट मिलती रहती है. वहीं कृषि अवसंरचना कोष योजना के अंतर्गत 2 करोड़ रुपये तक के बैंक लोन पर फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल इंटरप्राइजेज द्वारा क्रेडिट की गारंटी मिलेगी. यह गारंटी फीस व्यवसायी व्यक्ति के बजाय भारत सरकार द्वारा दी जाती है. मालूम हो कि किसी अन्य योजना का लाभ लेते हुए भी कृषि अवसंरचना कोष योजना का लाभ उठाया जा सकता है.
किसान उत्पादक संगठन: Farmers Producer Organization (FPO) यानी किसान उत्पादक संगठन, किसानों द्वारा बनाया गया एक स्वयं सहायता समूह है,जहां किसान ही किसान की मदद करते हैं. इन किसान उत्पादक संगठनों से जुड़ने पर किसानों को सस्ते दामों पर बीज, खाद, उर्वरक, कीटनाशक, मशीनरी, ग्रीन हाउस, पॉलीहाउस, कृषि तकनीक, मार्केट लिंकेज, ट्रेनिंग, नेटवर्किंग, आर्थिक मदद और तकनीकी सहयोग मिलता है, ताकि किसान का मनोबल बढ़े और वो खेती में बेहतर प्रदर्शन कर सकें.
प्रो. एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में भारत सरकार ने वर्ष 2004 में राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन किया था. उस आयोग के गठन के पीछे सरकार की मंशा थी कि विभिन्न प्रकार के कृषि उत्पादन को लाभ हो. शिक्षित एवं युवा वर्ग खेती-किसानी के प्रति आकर्षित हों, जिससे गांवों से शहरों की तरफ पलायन रूक सके. इसके अलावा खाद्य और पोषण सुरक्षा को भी सुनिश्चित किया जा सके.
आयोग ने अपना अंतिम प्रतिवेदन अक्टूबर 2006 में दी थी. केन्द्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों एवं पुनरीक्षित किसानों की टिप्पणी/सुझाव के आधार पर सरकार ने राष्ट्रीय किसान की नीति- 2007 के संकल्पना को मंजूर दी. जिसमें किसानों के आत्मसम्मान, मानवीय पक्ष, संपत्ति-सुधार के लिए हरेक इकाई को सूखा, बाढ़ जैसे हालातों से निपटने में आर्थिक सहयोग के साथ-साथ कृषि के नवीनतम उपकरणों के इस्तेमाल, कृषि जैव सुरक्षा व्यवस्था, महिलाओं के लिए सहायक व्यवस्था, ऋण बीमा, न्यूनतम समर्थन मूल्य आदि सुरक्षा कवच दिया है.
इन सब हितकारी योजनाओं से भारतीय किसान की आर्थिक दशा और दिशा में निरंतर सुधार हो रहा है. किसान अब गर्व से कह सकते हैं कि "उत्तम कृषि ही है”जो सरकार के जन कल्याणकारी योजनाओं से निरंतर सफलता का उंचा मुकाम हासिल कर रही है.
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