भारत में बागवानी (Gardening) की ओर किसान अब ज्यादा रुख अपनाने लगे हैं. इसलिए किसानों को खेती के लिए बोगेनवेलिया फूल ( Bougainvillea flower) के बारे में बता रहे हैं. कहा जाता है जैसा नाम वैसा बहार क्योंकि इसे कागज़ का फूल भी कहते हैं. जो बहुत कम देखभाल में सुंदर और रंगीन बनता है.
बता दें अलग-अलग देशों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है, मूलरूप से यह दक्षिण अमेरिका के देशों में पाया जाता है. इसकी खोज फिलबरट कॉमर्रसन और लुई एंटोनी डी बोगनविले नाम के दो वैज्ञानिकों ने की थी. इनमें से एक वैज्ञानिक के नाम पर इस पौधे का नाम रखा गया है यह पौधा आयुर्वेद में खांसी, दमा, पेचिश, पेट या फेफड़ों की तकलीफ से राहत देने में काम आता है.
बोगनविलिया फूल लगाने के लिए उपयुक्त जलवायु
इन पौधों को उच्च तापमान की जरूरत होती है. आदर्श रूप से 20 डिग्री से ऊपर तापमान होना चाहिए, यदि वह स्थान जहां पौधों में आमतौर पर ठंड होती है, तो उन्हें प्लास्टिक से अच्छी तरह से संरक्षित करना चाहिए या उन्हें अंदर रखना चाहिए.
कटिंग से बोगनविलिया फूल लगाने का तरीका
सबसे पहले एक विकसित पौधे से 5-6 इंच की कटिंग निकाल लें, फिर एक पारदर्शी जार में पानी भरें पानी में बिल्कुल थोड़ी मात्रा में रूटिंग हॉर्मोन डालें अब पानी में कटिंग को डालकर ऐसी जगह रखें जहां छनकर हल्की धूप आती हो, तक़रीबन 5-6 दिनों में पानी बदल दें. करीब 10 दिन बाद कटिंग से छोटी-छोटी जड़ें निकलने लगेंगी, अब इस कटिंग को गमले में लगा सकते हैं.
बीज से बोगनविलिया लगाने का तरीका
बोगनविलिया बीज से उगाने के लिए एक परिपक्व पौधे के समान जरूरत होती है, यह अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी, पर्याप्त धूप और अनुकूल बढ़ती परिस्थितियों की मांग करता है. सबसे पहले बीज की मोटाई के 2-3 गुना की गहराई तक उन्हें रेक करके बोएं बीजों को नियमित रूप से पानी दें मिट्टी को नम रखें ताकि अंकुरण में मदद मिले, अंकुरित होने में 30 दिन लगेंगे. जब बीज अंकुरित हो जाएं तो उन्हें गमले में लगा सकते हैं.
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बोगनविलिया फूल की फसल सिंचाई
जड़ सड़न बोगनविलिया की मृत्यु का सबसे आम कारण होता है इसलिए सतर्क रहने और अत्यधिक पानी देने से बचने की जरूरत होती है, खासकर जब पौधे गमलों में विकसित होते हैं. ज्यादा पानी देने से फूलों की कीमत पर अस्थायी रूप से अंकुर, पत्तियों के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन आखिरी में जड़ सड़न और पौधे की मृत्यु जैसे प्रभाव देखने को मिलेंगे. हालांकि गर्मियों के उच्च तापमान में पौधे को हर दिन सिंचाई की जरूरत होगी, लेकिन सिंचाई तब करें जब गमले की मिट्टी सूख जाए.
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