फसल की अच्छी उपज के लिए हम उर्वरक का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि बिना उर्वक के फसल की अच्छी उपज होना मुश्किल है. ऐसे में खेती के लिए सबसे बड़ी जरूरत सही उर्वरक का चयन है. खेती के लिए किस प्रकार की उर्वरक लाभदायी होगी उसकी कैसे पहचान करें ये जानना बहुत जरुरी है. खेती में किसान भाई आमतौर पर डी.ए.पी. यूरिया एवं कभी-कभी म्यूरेट ऑफ़ पोटाश का उपयोग करते हैं.
सल्फर, जो कि मृदा पोषण में चौथा आवश्यक तत्व है, जिस पर किसान प्रायः ध्यान नहीं देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप फसल की मिटटी में इस तत्व की व्यापक कमी देखी जा रही है. सल्फर जिसको गंधक नाम से जाना जाता है, यह हल्का पीला सफ़ेद रंग का होता है. सल्फर का फसलों में उपयोग क्या है? एवं यह कितना जरुरी है? सभी जानकारी जानने के लिए पढ़िए इस पूरे लेख को-
सल्फर के प्रकार – (Types of Sulfur)
सल्फर तीन प्रकार के होते हैं- अधातु सल्फाइड, धातु सल्फाइड और कार्बनिक सल्फाइड, जोकि दानेदार, पाउडर और तरल रूप में होते हैं.
सल्फर का उपयोग – (Use of Sulfur)
1. सल्फर का उपयोग सभी फसलों के लिए लाभदायी होता है.
2. तिलहनी फसलों में तेल की मात्रा का प्रतिशत बढ़ाता है
3. सल्फर मिट्टी की उर्वरा शक्ति के साथ–साथ कीटनाशक, पौधों के लिए टॉनिक का काम भी करता है.
4. पौधों में एंजाइमों की क्रियाशीलता को बढ़ता है.
5. तम्बाकू, सब्जियों एवं चारे वाली फसलों की गुणवत्ता को बढ़ाता है.
6. आलू में पाये जाने वाले स्टार्च की मात्रा को बढ़ता है.
सल्फर की कमी से फसलों में पाए जाने वाले लक्षण – (Symptoms found in crops due to deficiency of sulfur)
1. सल्फर की कमी से पौधों का रंग पीला हो जाता है और इस कमी की शुरुआत पौधों के उपरी हिस्से या नये पत्ते से होती है.
2. सल्फर की कमी से पौधों का विकास रुक जाता है.
3. सल्फर के कमी से पौधों का हरापन कम हो जाता है.
4. खाद्यान्न फसलें अपेक्षाकृत देर से पकती है एवं बीज ढंग से परिपक्व नहीं हो पाते है.
5. पत्तियां व तने में बैंगनीपन आ जाता है.
6. गंधक के अभाव में पौधे पीले, हरे, पतले और आकर में छोटे हो जाते हैं तथा पौधे का तना पतला और कड़ा हो जाता है.
7. सल्फर की कमी से आलू की पत्तियों का रंग पीला, तने कठोर तथा जड़ों का विकास कम रहता है. सल्फर की कमी से फसल में फूल नही आते और न ही फल बनते हैं.
सल्फर की पौधे में क्या आवश्यकता है? (What is the need of Sulfur in the plant?)
1. एमीनो एसिड का आवश्यक अंग है.
2. ये पत्तियों में क्लोरोफिल निर्माण के लिए आवश्यक है.
3. पौधों में तेल निर्माण और एन्जाईम निर्माण में सहायक है.
4. दलहनी फसलों की गाठो के निर्माण में सहायक है.
निवारण
दलहनी एवं तेलहनी फसलों वाली खेतों की मिट्टी में सल्फर की कमी को दूर करने के लिए एस.एस.पी. फास्फो जिप्सम एवं सल्फर मिश्रित उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए.
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