देश की मिट्टी और जलवायु फूलों की खेती के लिए काफी अनुकूल है. यहां गुलाब,गेंदा, ग्लेडीयोलस, रात की रानी, बेला, मोगरा, हरसिंगार, सदासुहागन, लिली, गुलदावदी, रजनीगंधा से लेकर ट्यूलिप, लिलियम और विदेशी किस्में भी उगाई जा रही.
देश में सांस्कृतिक कार्यक्रम, तीज-त्यौहार और तरह-तरह के आयोजन चलते रहते हैं, जिसके चलते फूलों की डिमांड बनी रहती है, इसलिए अब पारंपरिक खेती के साथ-साथ किसान अपनी जमीन के एक हिस्से पर फूलों की खेती करने में रुचि दिखा रहे हैं. पिछले कुछ सालों में फूलों की मिश्रित खेती करने का चलन भी बढ़ गया है. केंद्र सरकार की राष्ट्रीय बागवानी मिशन और अरोमा मिशन के अलावा राज्य सरकारें भी अपने-अपने स्तर कई योजनाओं के जरिए फूलों की खेती को बढ़ावा दे रही है. ऐसे में आपको ट्यूलिप की खेती के बारे में बताने जा रहे हैं जो काफी फायदेमंद है.
उपयुक्त जलवायु
ट्यूलिप फूल वसन्त ऋतु में बहुत अच्छा पनपता है. यह फूल वसंत की शुरुआत होने से लेकर गर्मियों के शुरू होने तक खिलता है. इसके पौधे के लिए ठंडी सर्द जलवायु को अच्छा कहा गया है इसलिए ये सबसे ज्यादा हिमालय क्षेत्र में पाया जाता है. आमतौर पर उत्तर में सितंबर या अक्टूबर और दक्षिण में नवंबर या दिसंबर के दौरान इस पौधे को लगाना अच्छा माना गया है. पौधे को अधिक सूर्य की किरण से नुकसान पहुँचता है. इससे फूल जल्दी मुरझा कर झुक जाता है.
मिट्टी की आवश्यकता
ट्यूलिप को उगाने के लिए रेतीली मिट्टी को अच्छा कहा गया है. ट्यूलिप एक पीएच के साथ समृद्ध, अच्छी तरह से सूखा मिट्टी पसंद करते हैं, जो थोड़ा अम्लीय के लिए तटस्थ है, जो बल्बों को पोषक तत्व प्रदान कर सकता है. आदर्श रूप से, बल्ब लगाने से पहले ऐसा करें. अन्यथा, आप मिट्टी में सुरंग बनाने के लिए मिट्टी के ऊपर कुछ इंच की खाद डाल सकते हैं, जिससे परिसंचरण और झुकाव में सुधार होगा.
ऐसे उगाए ट्यूलिप का पौधा-
सबसे पहले लगभग 12 से 15 इंच तक की गहराई तक मिट्टी में छेद करें और फिर उसमे कम से कम 4 इंच की परत तक खाद मिलाएं. अब बल्ब के आधार को नापते हुए, लगभग 8 इंच गहराई में बल्ब को रोपे और इस बात का खास ख्याल रखें कि बल्ब जितना बड़ा होगा मिट्टी में छेद उतना ही गहरा होगा. मिट्टी के छेद में बल्ब को रोपते हुए ऊपर तक मिट्टी से कवर करें और फिर मिट्टी को मजबूती से दबाएं.
सिंचाई की जरूरत-
रोपण के ठीक बाद बल्ब को पानी दें, लेकिन इसके बाद विस्तारित सूखे में छोड़कर पानी को रोक दें. यदि आपके क्षेत्र में हर हफ्ते या दो बार कुछ बारिश होती है, तो अपने ट्यूलिप को पानी न दें. शुष्क क्षेत्रों में, हर दो सप्ताह में पानी देने की सलाह दी जाती है.
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