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जरबेरा फूल की खेती में जबरदस्त कमाई, किसानों की बदल जाएगी किस्मत!

भारत में किसान अब परंपरागत खेती से हटकर नई फसलों की खेती करने लगे हैं. शरद ऋतु, वसंत ऋतु और बारिश के मौसम में बोये जाने वाले फूल की खेती से किसान बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं. ऐसे में आपको जरबेरा फूल की खेती की जानकारी दे रहे हैं. सजावट और औषधीय उपयोग की वजह से इसकी खेती मुनाफे का सौदा साबित हो रही है.

राशि श्रीवास्तव
जरबेरा फूल की खेती
जरबेरा फूल की खेती

जरबेरा का फूल एक बारहमासी पौधा है. इसके फूल  पीले, नारंगी, सफेद, गुलाबी, लाल और कई अन्य रंगों के होते हैं, जो इसकी सुंदरता को बढ़ाते हैं. साथ ही डंडे काफी लंबे और हरे रंग के होते हैं. जरबेरा के फूलों का उपयोग शादी समारोह में सजावट के लिए होता है. इसके अलावा पत्तों का इस्तेमाल आयुर्वेदक औषिधियों में भी किया जाता है. उपयोग ज्यादा होने की वजह से बाजार और मंदिरों में जरबेरा के फूल की काफी मांग काफी अधिक है. इसकी खेती से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. आईए जानते हैं जरबेरा फूल की खेती करने का तरीका.

जलवायु –

जरबेरा के लिए ठंड में धूप और गर्मी में हल्की छाया की जरूरत होती है. अधिक सर्दी की धूप में उत्पादन बहुत कम होता है. अधिकतम दिन का तापमान 20-25 सेंटीग्रेड, रात का तापमान 12- 15 डिग्री सेंटीग्रेड अच्छा होता है. इसकी खेती को सिर्फ पॉलीहाउस में ही सफलतापूर्वक कर सकते हैं.

मिट्टी –

जरबेरा की खेती हर तरह की मिट्टी में हो सकती है. लेकिन रेतीली भुरभुरी मिट्टी को बढ़िया माना गया है. खेती के लिए मिट्टी का PH मान 5.0-7.2 के बीच होना चाहिए. इस तरह की मिट्टी को जरबेरा की खेती के लिए उत्तम माना जाता है

खेत की तैयारी-

खेत को भुरभुरा बनाने के लिए रोपण से पहले  2-3 बार जोताई करें. फिर एक मीटर चौड़ी और 30 सेंटीमीटर उठी हुई बेड तैयार करें. अब दो भाग में रेत, एक भाग में नारियल या धान का भूसा और एक भाग में गोबर खाद या वर्मीकम्पोस्ट लेकर मिश्रण बनाकर बेड पर डालें.

बुवाई का समय और तरीका –

जरबेरा की खेती सितंबर से अक्टूबर और फरवरी से मार्च तक कर सकते हैं. पौधों की रोपाई करते समय ध्यान रहे कि पौधे का क्राउन मिट्टी से 2-3 सेमी ऊपर होना चाहिए. कतार से कतार की दूरी 35-40 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 25-30 सेमी होना जरूरी है. तय मानक के आधार पर एक बैड पर दो कतारों में पौधों लगाए जा सकते हैं. 

खेती में सिंचाई –

जरबेरा की रोपाई के तत्काल बाद सिंचाई करें. एक महीने तक लगातार सिंचाई करना चाहिए ताकि जड़ अच्छी तरह से जम सके. फिर 2 दिन में एक बार 4 लीटर/ड्रिप/पौधे की दर से 15 मिनट के लिए ड्रिप से सिंचाई करें. जरबेरा के एक पौधे को औसतन 700 मिली/दिन पानी जरूरत होती है.

ये भी पढ़ेंः जरबेरा फूल लंबे समय तक रहता है ताज़ा, इसकी खेती से होंगे मालामाल

जरबेरा की तुड़ाई-

रोपाई के करीब 3 महीने बाद फूल आने शुरू हो जाते हैं लेकिन फूलों की तुड़ाई रोपण के 12-14 सप्ताह बाद शुरू करें. एक अच्छे जरबेरा फूल के डंठल की लंबाई 45-55 सेमी होती है जबकि फूल का व्यास 10-12 सेमी होता है. कटाई सुबह या शाम के समय करनी चाहिए ताकि फूल की गुणवक्ता बानी रहे. कटाई के बाद फूलों को साफ पानी वाली बाल्टी में रखा जाता है एक जरबेरा का पौधा प्रति/वर्ष करीब 45 फूल पैदा करता है.

English Summary: Tremendous earning in Gerbera flower cultivation, the fate of the farmers will change! Published on: 22 March 2023, 02:35 PM IST

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