Mushroom Farming: भारत में तेजी से मशरूम की मांग में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है, जिससे अधिकतर किसान पारंपरिक फसलों के साथ-साथ मशरूम की खेती भी करने लगे हैं. दुनियाभर में मशरूम की 2 हजार से भी अधिक किस्में है, लेकिन भारत में मशरूम की कुछ किस्में ऐसी भी है, जिनकी खपत सबसे ज्यादा है. मशरूम न केवल प्रोटीन, विटामिन और खनिजों का उत्कृष्ट स्रोत हैं, बल्कि इसका उत्पादन किसानों के लिए अतिरिक्त आय का एक बेहतरीन साधन भी है. उत्तर भारत में उगाई जाने वाली प्रमुख खाने योग्य मशरूम की किस्में...
1. बटन मशरूम
बटन मशरूम उत्तर भारत में सबसे लोकप्रिय और सबसे अधिक उगाई जाने वाली किस्म है. यह ठंडे और समशीतोष्ण क्षेत्रों में आसानी से उगाई जाती है. बटन मशरूम प्रोटीन, विटामिन बी2 (रिबोफ्लेविन), विटामिन बी3 (नियासिन) और एंटीऑक्सीडेंट्स का अच्छा स्रोत है. बटन मशरूम की खेती के लिए 15 से 20 डिग्री सेल्सियस तापमान और 80 से 90% आर्द्रता की आवश्यकता होती है. इसकी उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा,बिहार और उत्तर प्रदेश में बढ़े पैमाने पर खेती की जाती है. किसान इस मशरूम की किस्म को गेहूं के भूसे और खाद (कम्पोस्ट) पर उगा सकते हैं.
2. ऑयस्टर मशरूम
ऑयस्टर मशरूम, जिसे ढींगरी मशरूम भी कहते हैं, स्वादिष्ट होने के साथ-साथ इसे उगाना काफी आसान होता है. इसमें फाइबर, प्रोटीन, विटामिन डी और एंटीऑक्सीडेंट्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. ऑयस्टर मशरूम को की खेती के लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान और 80 से 85% आर्द्रता की आवश्यकता होती है. इसे गेहूं और धान के भूसे पर उगाया जा सकता है. भारत में मशरूम की इस किस्म की खेती उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब और हरियाणा बढ़े स्तर पर की जाती है.
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3. मिल्की मशरूम
मिल्की मशरूम अपनी सफेद रंगत और लंबे शेल्फ-लाइफ के कारण लोकप्रिय है. इसे गर्म जलवायु में आसानी से उगाया जा सकता है. इस मशरूम की किस्म को प्रोटीन, खनिज और फाइबर का अच्छा खासा स्रोत माना जाता है. मिल्की मशरूम की खेती के लिए 25 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान और 85 से 90% आर्द्रता की आवश्यकता होती है. इस किस्म को गेहूं और धान के भूसे पर उगता है. मशरूम की इस किस्म की बढ़े पैमाने पर उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश में खेती की जा रही है.
5. पैडी स्ट्रॉ मशरूम
पैडी स्ट्रॉ मशरूम को गर्म और आर्द्र जलवायु में उगाया जाता है. यह कम समय में तैयार होने वाली किस्म है. इसमें विटामिन बी, प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट्स अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं. पैडी स्ट्रॉ मशरूम की खेती के लिए 28 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान और उच्च आर्द्रता (85-90%) की आवश्यकता होती है. यह धान के भूसे पर उगाई जाती है. भारत में इस मशरूम की खेती उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में की जा रही है.
5. शिटाके मशरूम
शिटाके मशरूम मुख्य रूप से औषधीय गुणों और विदेशी व्यंजनों में उपयोग के लिए प्रसिद्ध है. इसमें विटामिन डी, जिंक और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. मशरूम की इस किस्म की खेती के लिए 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान और 85 से 90% आर्द्रता में लकड़ी के लट्ठों पर उगाया जाता है. इस किस्म की खेती उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में की जाती है.
मशरूम की खेती के लाभ
1. आर्थिक लाभ
मशरूम की खेती किसानों के लिए आय का एक वैकल्पिक स्रोत है. यह कम निवेश में अधिक मुनाफा देता है.
2. पोषण और स्वास्थ्य
मशरूम में कम वसा और उच्च प्रोटीन होता है, जो इसे स्वास्थ्यवर्धक बनाता है.
3. पर्यावरणीय लाभ
मशरूम की खेती कृषि अपशिष्ट (जैसे भूसा, लकड़ी की छीलन) का पुनः उपयोग करती है.
4. रोजगार सृजन
मशरूम उत्पादन से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं.
उत्तर भारत में मशरूम उत्पादन के लिए चुनौतियां
1. तकनीकी जानकारी की कमी
कई किसानों को मशरूम उत्पादन की उन्नत तकनीकों की जानकारी नहीं होती.
2. संरक्षण और विपणन
मशरूम जल्दी खराब हो जाते हैं, जिससे भंडारण और विपणन एक बड़ी चुनौती बनती है.
3. कीट और रोग प्रबंधन
मशरूम उत्पादन में फफूंद रोग और कीटों की समस्या आम है.
समाधान और प्रोत्साहन
1. प्रशिक्षण कार्यक्रम
सरकार और कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा मशरूम उत्पादन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे है इसे और बढ़ने जाने चाहिए.
2. वित्तीय सहायता
किसानों को मशरूम उत्पादन के लिए सब्सिडी और वित्तीय सहायता प्रदान की जानी चाहिए.
3. भंडारण सुविधाएं
ठंडे भंडारण (कोल्ड स्टोरेज) की सुविधाओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. उत्तर भारत में मशरूम उत्पादन ने कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति ला दी है. सही तकनीक, समर्थन और ज्ञान के माध्यम से मशरूम की खेती को और भी उन्नत बनाया जा सकता है. यह न केवल किसानों की आय में वृद्धि करेगा, बल्कि पोषण सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा.
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