टिंडे की खेती सब्जी के लिए की जाती है. गर्मियों में उगने वाली यह उत्तर भारत की सबसे अहम सब्जी है. टिंडा भारतीय मूल की फसल है, जिसका संबंध कुकरबिटेसी प्रजाति से है. इसके कच्चे फल का सेवन सब्जी के रूप में किया जाता है. टिंडे की फसल भारत के दिल्ली, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश , हरियाणा, पंजाब, बिहार, आंध्रप्रदेश और राजस्थान में प्रमुख रूप से उगाई जाती है.
100 GM कच्चे टिंडे में 3.4% कार्बोहाइड्रेट, 18 MG विटामिन, 13 MG कैरोटीन, 1.4% प्रोटीन और 0.4% वसा की मात्रा पाई जाती है. जिस वजह से टिंडा स्वाद के साथ-साथ कई औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है. यह रक्त संचार और सूखी खांसी के उपचार में उपयोगी है. इसलिए टिंडे की खेती लाभदायक और मुनाफेमंद साबित हो रही है ऐसे में आइये जानते हैं कैसे करें टिंडे की खेती.
खेती में लागत और कमाई-
गर्मियों में टिंडे की खूब मांग होती है. बाजार में इसका मूल्य 10 से 20 रुपए प्रति किलो होता है. औसतन पैदावार 80 से 120 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक मिलती है. इसकी खेती में प्रति एकड़ 20 से 25 हजार की खर्च आता है. जिससे आसानी से 50 हजार से 1.5 लाख रुपए कमा सकते हैं.
जलवायु-
टिंडे की खेती के लिए गर्मतर जलवायु उपयुक्त होती है, बीज अंकुरण के लिए फरवरी-मार्च का मौसम बढ़िया माना जाता है. इसकी फसल के लिए 10℃ से 28℃ का तापमान सही होता है. अधिक गर्म और ठन्डी जलवायु खेती के लिए उत्तम नहीं है.
भूमि का चयन-
वैसे तो टिंडे की खेती सभी तरह की मिट्टी में हो जाती है लेकिन अच्छी पैदावार के लिए जैविक तत्वों वाली रेतली दोमट मिट्टी उपयोग करना चाहिए. खेत से जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए. मिट्टी का pH 6 से 7 के बीच हो, पानी के ऊंचे स्तर वाली मिट्टी में पैदावार बढ़िया होती है.
खेत की तैयारी-
सबसे पहले खेत को दो जुताई हैरो और दो जुताई कल्टीवेटर से पाटा लगाकर करें, जुताई के बाद खेत को समतल कर लेना चाहिए. खेत में जुताई से पहले 10 से 12 टन प्रति एकड़ गोबर या कंपोस्ट खाद डालकर अच्छी तरह मिला लें.
बुआई का तरीका –
बुआई से पहले बीज का उपचार जरूर कर लें, इससे पहले बीजों को 12-24 घंटे पानी में भिगोकर रखें, इसके बाद प्रति किलो कार्बेनडाजिम की 2 ग्राम या थीरम की 2.5 ग्राम मात्रा में मिलाएं, बीज को छाया में सुखाकर बुआई करना चाहिए. प्रति एकड़ के हिसाब से डेढ़ किलो बीज पर्याप्त होते हैं. बीज को क्यारियों में 60 सेंटीमीटर की दूरी बोएं.
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सिंचाई-
टिंडे की फसल को गर्मियों में हर सप्ताह सिंचाई की जरुरत होती है, बारिश के मौसम में बारिश के आधार पर सिंचाई करें, फूल और फल आने पर खेत में उचित नमी बनाये रखें. टिंडे की फसल में ड्रिप विधि से सिंचाई करने पर 28% तक ज्यादा पैदावार मिलती है.
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