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सहजन: एक लाभकारी सब्जी और इसकी खेती बाड़ी

भारत के साथ दुनिया में सहजन को काफी पसंद किया जाता है और ऐसा हो भी क्यों ना, क्योंकि सहजन के सेवन से कई बीमारियों का खात्मा होता है. तो आइए जानते हैं सहजन से सेवन के स्वास्थ्य लाभ और इसकी खेती का तरीका...

KJ Staff
सहजन: एक लाभकारी सब्जी और इसकी खेती बाड़ी
सहजन: एक लाभकारी सब्जी और इसकी खेती बाड़ी

सहजन क्या है?

फल और साग-सब्जियों के मामले में भारत एक धनी देश माना जाता है। सहजन एक प्रकार की हरी सब्जियों की लिस्ट में शामिल है। सहजन का उपयोग एक मौसमी सब्जी के तौर पर किया जाता है। सहजन की फली या पत्तियों को अंग्रेजी में ड्रमस्टिक या मोरिंगा कहा जाता है। इसका वानस्पतिक नाम मोरिंगा ओलिफेरा है। इसे हिन्दी में सहजना, सुजना, सेंजन और मुनगा आदि नामों से भी जाना जाता है। आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि भारत मोरिंगा का सबसे बड़ा उत्पादक है, यहां इसका वार्षिक उत्पादन 1.1 से 1.3 मिलियन टन है। सहजन का पेड़ बहुत ही तेजी से बढ़ता है और इसकी फलियों के साथ इसके पत्ते और फूल का भी इस्तेमाल खाने के लिए किया जाता है। सहजन के ये तीनों भाग बहुत गुणकारी होते हैं।

सहजन के लाभ:

  1. कैंसर के लिए सहजन की छाल और सहजन की पत्तियों में एंटी-कैंसर और एंटी-ट्यूमर गुण मौजूद होते हैं। इसके अलावा, सहजन की पत्तियां पॉलीफेनोल्स और पॉलीफ्लोनोइड्स से समृद्ध होती हैं, जो एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-कैंसर यौगिक होते हैं

  2. मधुमेह के लिए सहजन की फलियों, छाल और अन्य भागों में एंटी-डायबिटिक गुण मौजूद होते हैं, जो मधुमेह के लिए गुणकारी साबित हो सकते हैं।

  3. बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों की देखभाल और उन्हें स्वस्थ रखना भी जरूरी है। आप अपनी हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए सहजन का सेवन कर सकते हैं। मोरिंगा को कैल्शियम, मैग्नीशियम और फास्फोरस का अच्छा स्रोत माना गया है, जो हड्डियों के लिए जरूरी पोषक तत्व हैं।

  4. हृदय को स्वस्थ रखने के लिए अपने आहार में सहजन की पत्तियों को शामिल करें। सहजन की पत्तियों में उच्च मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो शरीर में इंफ्लेमेशन के कारण होने वाली समस्याओं से राहत दिलाने में मदद करते हैं और हृदय संबंधी परेशानी उन्हीं में से एक है। सहजन की पत्तियों में मौजूद बीटा कैरोटीन एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य कर हृदय को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है।

  5. एनीमिया से बचाव के लिए सहजन की पत्तियों के एथनोलिक एक्सट्रैक्ट में एंटी-एनीमिया गुण मौजूद होते हैं और इसके सेवन से हीमोग्लोबिन के स्तर में सुधार हो सकता है, जिससे लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में मदद मिल सकती है।

  6. सहजन मस्तिष्क संबंधी बीमारी जैसे – अल्जाइमर (भूलने की बीमारी), पार्किंसंस (सेंट्रल नर्वस सिस्टम से जुड़ा विकार) और ऐसी ही कई अन्य समस्याएं के लिए सहजन का सेवन काफी लाभदायक हो सकता है। यह नोओट्रॉपिक (मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए एक तरह की दवा) की तरह काम कर सकता है।

  7. सहजन में क्वारसेटिन नामक फ्लैवनॉल होते हैं, जो हेपाटोप्रोटेक्टिव की तरह कार्य करते हैं, यानी लिवर को किसी भी प्रकार की क्षति से बचाकर सुरक्षित रखने में मदद कर सकते हैं।

  8. सहजन रोग-प्रतिरोधक क्षमता में सुधार करने में मदद करता है। सहजन की फली या इसकी पत्तियों के सेवन से इम्यूनिटी में सुधार हो सकता है। ध्यान रहे कि इसे अगर जरूरत से ज्यादा खाया गया, तो इसमें इसोथियोसीयानेट और ग्लाइकोसाइड सायनाइड नामक विषैले तत्व होते हैं, जो तनाव को बढ़ा सकते हैं और इसके एंटीऑक्सीडेंट असर को कम कर सकते हैं। इसलिए, इसका सेवन संतुलित मात्रा में करें।

  9. सहजन में एंटी-अल्सर गुण मौजूद होते हैं, जिस कारण इसके सेवन से अल्सर के जोखिम से बचाव हो सकता है।

  10. सहजन की पत्तियों के सेवन से आप अपनी त्वचा को स्वस्थ बना सकते हैं। सहजन में मौजूद एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल व एंटीफंगल गुण त्वचा के रैशेज, त्वचा संबंधी संक्रमण या अन्य त्वचा संबंधी बीमारियों के जोखिम से बचाव कर सकते हैं।

  11. एंटी-एजिंग के लिए सहजन का सेवन आपके चेहरे पर बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है। इतना ही नहीं इसके बीज भी कम उम्र में त्वचा पर एजिंग के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकते हैं।

  12. मोटापे के लिए सहजन में क्लोरोजेनिक एसिड मौजूद होता है, जिसमें एंटी-ओबेसिटी गुण मौजूद होते हैं, जिससे मोटापे या वजन की परेशानी से लड़ने में मदद मिल सकती है।

  13. सहजन के पत्तों को पानी के साथ पीस लें। इसका लेप करने से सर्दी की वजह से होने वाला सिर का दर्द ठीक होता है।

  14. सहजन की छाल को जल में घिस लें। इसकी एक दो बूंद नाक में डालने से तथा सेवन करने से मस्तिष्क ज्वर यानी दिमागी बुखार या टॉयफाइड में लाभ होता है।

  15. कफ के कारण आँख से पानी बहने की समस्या में सहजन के पत्तों को पीसकर टिकिया बनाकर आंखों पर बांधने से लाभ होता है।

  16. सहजन की जड़ का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से आवाज के बैठने (स्वरभंग) की परेशानी में लाभ होता है।

  17. सहजन की गोंद को पानी में घोलकर गरारा करने से दांतों की बीमारियां दूर होती हैं।

  18. सहजन की बीज के तेल की मालिश करने से जोड़ों के दर्द और गठिया में लाभ होता है।

  19. सहजन की जड़ को पीसकर गर्म करके लेप करने से फाइलेरिया या हाथीपांव रोग में लाभ होता है।

  20. सहजन की पत्तियां किडनी से अनावश्यक कैल्शियम को बाहर निकालता है। जिससे कडनी में स्टोन की शिकायत नहीं होती है।

  21. सहजन की पत्तियों का सेवन बालों के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता है। अगर किसी को बाल झड़ने की शिकायत हो तो उनको सहजन की पत्तियों का सेवन करना चाहिए। इससे बाल लंबे और घने होते हैं।

सहजन के पौष्टिक तत्व

पौष्टिक तत्व

मात्रा  प्रति 100 ग्राम

पोषक मूल्य-पॉड्स

पोषक मूल्य-पत्तियाँ

ऊर्जा

37 किलोकैलोरी (2%)

64 किलोकैलोरी (3%)

कार्बोहाइड्रेट

8.53 ग्राम (6.5%)

8.28 ग्राम (6%)

प्रोटीन

2.10 ग्राम (4%)

9.40 ग्राम (17%)

टोटल लिपिड (फैट)

0.20 ग्राम (1%)

1.40 ग्राम (7%)

कोलेस्ट्रॉल

0 मिलीग्राम (0%)

0 मिलीग्राम (0%)

फाइबर, टोटल डाइटरी

3.2 ग्राम (8%)

2.0 ग्राम (5%)

फोलेट

44 माइक्रोग्राम (11%)

40 माइक्रोग्राम (10%)

नियासिन

0.680 मिलीग्राम (4%)

2.220 मिलीग्राम (14%)

विटामिन बी-6

0.120 मिलीग्राम (9%)

1.200 मिलीग्राम (92%)

विटामिन  बी-2

0.074 मिलीग्राम (6%)

0.660 मिलीग्राम (51%)

विटामिन  बी-1

0.053 मिलीग्राम (4.5%)

0.257 मिलीग्राम (21.5%)

विटामिन ए

74 IU (2.5%)

7564 IU (252%)

विटामिन सी

141 मिलीग्राम (235%)

51.7 मिलीग्राम (86%)

सोडियम

42 मिलीग्राम (3%)

9 मिलीग्राम (0.5%)

पोटैशियम

461 मिलीग्राम (10%)

337 मिलीग्राम (7%)

कैल्शियम

30 मिलीग्राम (3%)

185 मिलीग्राम (18.5%)

आयरन

0.36 मिलीग्राम (4.5%)

4.00 मिलीग्राम (50%)

मैग्नीशियम

45 मिलीग्राम (11%)

147 मिलीग्राम (37%)

फास्फोरस

50 मिलीग्राम (9%)

112 मिलीग्राम (20%)

सेलेनियम

8.2 माइक्रोग्राम (15%)

0.9 माइक्रोग्राम (1.5%)

जिंक

0.45 मिलीग्राम (4%)

0.60 मिलीग्राम (5%)

ये भी पढ़ेंः सहजन की खेती कर पाएं अनेकों लाभ, अपनाएं ये तकनीक

सहजन का उपयोग :

  • आप सहजन का उपयोग सब्जी बनाकर कर सकते हैं।

  • आप सहजन की पत्तियों की सब्जी बना सकते हैं या आप इसे सांभर में भी उपयोग कर सकते हैं।

  • आप सहजन को काटकर उसका उपयोग सूप में भी कर सकते हैं।

  • डॉक्टरी सलाह से सहजन की पत्तियों की टैबलेट का भी सेवन कर सकते हैं।

  • सहजन की पत्तियों और फूल को सुखाकर उसका पाउडर बनाकर सलाद, सूप और सब्जी में उसका उपयोग भी कर सकते हैं।

सहजन के नुकसान:

  1. गर्भावस्था में संतुलित मात्रा में सहजन की फलियों और पत्तियों का सेवन कर सकते हैं हालांकि, इसकी छाल के सेवन से गर्भपात होने का खतरा हो सकता है। ऐसे में बेहतर है कि सेवन करने से पहले विशेषज्ञ की राय लें।

  2. सहजन के पत्ते हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि जिनको लो ब्लड प्रेशर की परेशानी है, वो इसका सेवन न करें। यह लो ब्लड प्रेशर का कारण बन सकता है।

  3. सहजन के पत्ते के सेवन से मधुमेह में राहत मिल सकती है, लेकिन इसके अधिक सेवन से ब्लड ग्लूकोज के स्तर में जरूरत से ज्यादा कमी भी हो सकती है, जो खतरनाक हो सकता है।

सहजन की खेती:

जलवायु :

  • सहजन की खेती के लिए 25-30 डिग्री औसत तापमान आवश्यक होता है।

  • सहजन के पौधे ठण्ड को आसानी से सहन कर लेता है, लेकिन पाला इनके लिए हानिकारक होता है।

  • 40 डिग्री से अधिक तापमान फूलो के लिए हानिकारक होता है।

  • अधिक बारिश का इसके पौधों पर कोई असर नहीं होता है।

मिट्टी का चयन :

  • सहजन के पौधों को सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है।

  • सहजन बंजर और कम उवर्रक वाली भूमि पर आसानी से उग आती है।

  • सहजन की खेती से अच्छी पैदावार लेने के लिए बलुई दोमट मिट्टी अच्छी माननी गई है।

  • उत्तम उपज के लिए मिट्टी का P.H. मान 6-7.5 तक होना चाहिए।

खेत की तैयारी :

  • सहजन के पौधे लगाने से पहले खेत की अच्छे से जुताई कर खरपतवार नष्ट कर दें।

  • 5 x 2.5 मीटर की दूरी पर 45 x 45 x 45 सेंमी. तक गहरे गड्डे तैयार कर लें।

  • गड्डो को भरने के लिए मिट्टी के साथ 10 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद का मिश्रण तैयार कर लें।

  • यह मिश्रण पौधों की रोपाई के समय गड्ढा भरने के काम आएगा।

सहजन की उन्नत किस्में :

  • सहजन की उन्नत किस्मों से साल में दो बार पैदावार ली जा सकती है।

  • सहजन की उन्नत किस्में पी.के.एम.1, पी.के.एम.2, कोयेंबटूर 1 तथा कोयेंबटूर 2 आदि।

  • इन वैरायटी के पौधों लगभग 4-6 मीटर की उचाई प्राप्त कर लेते है।

  • इन किस्म के पौधों पर करीब 90-100 दिनों में फूल शुरू हो जाता है।

  • पौधे लगाने के करीब 160-170 दिनों में फल तैयार हो जाता है।

  • साल में एक पौधा से 65-70 सें.मी. लम्बा तथा औसतन 6.3 सेंमी. मोटा, 200-400 फल (40-50 किलोग्राम) प्राप्त किया जा सकता है।

  • इसके फल अधिक गूदेदार होते है तथा पकाने के बाद इसका 70% भाग खाने योग्य हो जाता है।

  • सहजन का एक पौधा 4 से 5 वर्षो तक पैदावार देता रहता है।

  • हर साल फसल प्राप्त करने बाद पौधों को जमीन से एक मीटर ऊंचाई से छटाई कर देनी चाहिए।

सहजन की रोपाई :

सहजन को सीधे बीज और पौध से लगाया जा सकता है। लेकिन लगाने का उचित तरीका यह है कि आप पहले इसकी नर्सरी तैयार कर लें या फिर किसी मान्यता प्राप्त नर्सरी से इसके पौधे खरीदें। सहजन के पौधे लगाने से ठीक एक महीने पहले गड्डो को तैयार कर लेना चाहिए। उसके बाद तैयार गड्डो में जुलाई-सितम्बर के मध्य सहजन के पौधों की रोपाई कर देनी चाहिए।

सहजन के पौधों का प्रबंधन :

रोपाई के बाद जब सहजन के पौधों लगभग 75 सेंमी. के हो जाये तब पौधों के ऊपरी भाग की छटाई कर देनी चाहिए. जिससे पौधों में अधिक शाखाएं निकलकर आएगी. पौध रोपाई के करीब तीन महीने बाद 100 ग्राम यूरिया + 100 ग्राम सुपर फास्फेट + 50 ग्राम पोटाश की प्रति गड्ढा के हिसाब से डालें। फिर तीन महीने बाद 100 ग्राम यूरिया प्रति गड्ढा डालें। इसके बाद आवश्यकतानुसार पौधों का उचित प्रबंधन करें।

सहजन के पौधों की सिंचाई :

सहजनी की फसल से अच्छी पैदावार के लिए निरंतर सिचाई करते रहे. सिचाई के लिए आप ड्रिप सिस्टम का इस्तेमाल करने से पौधों में नमी की कमी नहीं रहेगी। सहजन के पौधों में पर्याप्त नमी बनाये रखना आवश्यक है। पौधों पर फूल आने के समय अधिक नमी और अधिक सूखेपन से फूल झड़ने का खतरा बना रहता है।

सहजन में रोग और कीट प्रबंधन :

सहजन की फसल पर भुआ पिल्लू नामक कीट का प्रकोप अधिक होता है. यह की कीट पत्तियों को खा जाता है। इस कीट से वचाव के लिए डाइक्लोरोवास (नूभान) 0.5 मिली. को एक लीटर पानी में घोलकर पौधों पर छिडक़ाव करें।

फल मक्खी का आक्रमण भी सहजन की फसल पर देखा गया है। यह फसल को भरी नुकसान पहुँचती है. इससे वचाव के लिए डाइक्लोरोवास (नूभान) 0.5 मिली. दवा को एक लीटर पानी में घोलकर बनाकर फसल पर छिडक़ाव करें।

सहजन के फलो की तुड़ाई और पैदावार :

सहजन की उन्नत किस्मों से साल में दो बार पैदावार ली जा सकती है। जिनकी तुड़ाई फ़रवरी-मार्च और सिंतम्बर-ऑक्टूबर महीने में की जाती है। सहजन एक पौधा साल में करीब 45-50 किलोग्राम सहजन पैदावार दे सकता है।

लेखक-

डॉ. प्रकाश चंद्र गुप्ता, कार्यक्रम सहायक (प्रयोगशाला तकनीशियन), कृषि विज्ञान केंद्र, बाढ़, पटना

कुमारी पुनम पल्लवी, कार्यक्रम सहायक (प्रयोगशाला तकनीशियन), कृषि विज्ञान केंद्र, हरनौत, नालंदा

English Summary: Drumstick: A beneficial vegetable and its cultivation Published on: 19 February 2023, 12:58 PM IST

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