शीतकालीन सब्जियों में फूल गोभी एक लोकप्रिय सब्जी है. इसकी खेती आमौतर पर हर राज्य में की जाती है. लेकिन मुख्य रुप से इसकी खेती ऐसे क्षेत्रों में की जाती है जहां तापमान 15 से 20 डिग्री तक रहता है. इसका उपयोग कई तरह के सब्जियों, व्यंजनों या सूप के तौर पर की जाती है. इसके अलवा, अचार या पकौड़े के रूप में भी इसकी भारी मांग है. चलिये आपको बताते हैं कि कैसे विज्ञानिक तौर पर गोभी की खेती की जा सकती है.
जलवायुः
फूल गोभी की खेती करने के लिये ठड़ी एवं आर्द्र जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है. इसकी बुवाई का समय 30 अक्टूबर से पहले-पहले कर देना ज्यादा फायदेमंद है.
उन्नत किस्मेः
फूलगोभी को कई वर्गों में बाँटा गया है. उन्नत किस्मों की बात करें तो उस पर तापमान तथा प्रकाश अवधि का बहुत प्रभाव पड़ता है. फूलगोभी को तीन भागों में बांटा जा सकता है, जैसे- अगेती, मध्यम और पिछेती. अगेती किस्मों में अर्ली कुंआरी, पूसा कतिकी, पूसा दीपाली, समर किंग आदि का नाम प्रमुख है. वहीं मध्यम किस्मों में पन्त शुभ्रा, पूसा शुभ्रा, पूसा सिन्थेटिक आदि लोकप्रिय है. जबकि पिछेती किस्मों में पूसा स्नोबाल- 1, पूसा स्नोबाल- 2 की भारी मांग है.
ऐसे करें रोपाईः
इसकी रोपाई में कतार से कतार एवं पौधे से पौधे की दूरी का ख्याल रखना जरूरी है. विशेषज्ञों की माने तो कतार से कतार एवं पौधे से पौधे की दूरी 45 से 45 सेमी होनी चाहिये. जबकि पिछेती किस्मों के लिये कतार से कतार और पौधे से पौधे की दूरी 60 से 45 सेमी के आसपास होनी चाहिये.
ऐसी मिट्टी का करे चयनः
फूल गोभी की खेती बलुई दोमट मिट्टी पर करना फायदेमंद है. इसके लिये जीवांश की प्रचुर मात्रा होना भी लाभकारी है. रोपाई से पूर्व खेत की जुताई दो से तीन बार कर देना सही है. जबकि खाद के रूप में 200-250 क्विंटल सड़ी हुई गोबर खाद का प्रयोग करना लाभकारी है.
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