मध्य प्रदेश के खेतों में अफीम की फसल नजर आने लगी है लेकिन साथ ही खेती करने वाले किसानों की चिंता भी बढ़ती जा रही है। दरअसल जिस जगह अफीम के खेत है वहां पर नीलगायों के झुंड ने आना शुरू कर दिया है। नीलगायों का झुंड खेत में प्रवेश कर फसलों को चौपट करने लगा हुआ है। नीलगायों को रोकने के लिए किसान लोहे की जालियों को लगा रहे है। किसानों की मानें तो अफीम की बोआई को 20 दिनों से ज्यादा का समय होता जा रहा है जिसके चलते पूरे खेत में अफीम की फसल दिखाई तो दे रही है लेकिन कही पर ज्य़ादा अंकुरण हुआ है तो कहीं पर धीरे-धीरे अंकुरण होता दिखाई दे रहा है। किसानों ने इन नीलगायों को खेत में आने से रोकने के लिए कड़ी मशक्कत को शुरू कर दिया है और अलग-अलग तरीके इनको रोकने के लिए अपनाए जा रहे है।
रातभर खेत में सो रहे किसान
नीमच में किसानों ने नीलगायों को रोकने के लिए खेत के आसपास लोहे की बाड़ और तार लगाने का कार्य शुरू कर दिया है। इसके अलावा किसान रातभर खेतों में ही सो रहे है। किसान रातभर खेत में टॉर्च की रोशनी, अलग-अलग तरीके से आवाज करके नीलगायों को भगाने का कार्य कर रहे है।
फसल बढ़ने पर होगी समस्या
किसान लाभचंद का कहना है कि अफीम की फसल को नीलगाय से बचाने के लिए 25-30 हजार रूपये खर्च कर खेत के चारों तरफ 8 फीट ऊंची जाली और करीब 8 हजार रूपये खर्च कर नेट की जाली को लगाया जाएगा। किसानों का कहना है कि नीलगाय अफीम की खेती को पूरी तरह से चौपट करने में लगे हुए है। इसके लिए जाली नेट की साड़ियां और सफेद कपड़े बांधकर फसल की सुरक्षा करनी पड़ रही है। किसानों का कहना है कि अभी तो फसल छोटी है लेकिन जैसे -जैसे यह बढ़ी होगी समस्या और बढ़ती ही जाएगी।
तोते कुतर देते फसल
किसानों की समस्या केवल नीलगाय तक ही नहीं सीमित है। उनका कहना है कि जैसे ही डोडे फसल पर आएंगे तो तोते उनकी अफीम की खेती के लिए बड़ी समस्या पैदा कर देते है। तोते फसलों को पूरी तरह से कुतर देते है और फसल पूरी तरह से बर्वाद कर देते है। तोते से बचाव के लिए नेट का प्रयोग किया जाता है।
किशन अग्रवाल, कृषि जागरण
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