फसलों की बुवाई अगर सही मौसम के आनुसार की जाये, तो उत्पादन और फसलों से मिलने वाला मुनाफा दोनों ही दोगुना प्राप्त होता है, क्योंकि मौसम के अनुसार फसलों की बुवाई करने से फसल को सही पोषण प्राप्त होता है, जिससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन, दोनों में बढ़ोत्तरी होती है.
जैसे कि अप्रैल माह चल रहा है, तो ऐसे में आपको अप्रैल माह में बोई जाने वाली फसलों की बुवाई करनी चाहिए. इससे आपको अपनी फसल से लाभ भी अच्छा मिलेगा, साथ ही फसल की गुणवत्ता भी बढ़ेगी.
तो अगर आप भी अप्रैल माह में फसल से अच्छा पैसा कमाना चाहते हैं, लेकिन आपको यह नहीं समझ आ रहा है कि किस फसल की बुवाई की जाए, तो यह खबर आपके लिए बेहद ख़ास है. आज इस लेख में हम आपको अप्रैल माह में बोई जाने वाली फसलों एवं उनकी उन्नत किस्में की जानकारी देने जा रहे हैं, जो आपके लिए काफी मददगार और फायदेमंद साबित होंगी.
हल्दी की खेती (Turmeric Farming)
हल्दी का उत्पादन पूरे विश्व में किया जाता है. हल्दी सभी मसालों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली मसाला फसल है. इसकी खेती आमतौर पर भारत के कई राज्यों में की जाती है जैसे यह गुजरात, मेघालय, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, असम आदि. वहीँ इसकी कीमत की बात करें, तो बाज़ार में इसकी कीमत प्रति किलो के हिसाब से करीब 60 – 100 रूपए प्रति किलो है.
हल्दी की किस्में (Turmeric Varieties)
अगर आप हल्दी की उन्नत किस्मों की खेती करते हैं, तो आपको अपनी फसल से अच्छा लाभ होता है. हल्दी की उन्नत किस्में निम्न प्रकार हैं, सोनिया, गौतम, रश्मि, सुरोमा, रोमा, कृष्णा, गुन्टूर, मेघा, सुकर्ण, कस्तूरी, सुवर्णा, सुरोमा और सुगना, पन्त पीतम्भ आदि.
भिंडी की खेती (Okra Cultivation)
भिंडी की खेती भी अप्रैल माह में की जाती है. इसकी खेती के लिए किसी भी प्रकार की मिटटी उपयुक्त होती है. भिंडी की खेती करते दौरान यदि मिट्टी को भुरभुरा कर लिया जाये, तो फसल पर प्रभाव अच्छा पड़ता है. वहीँ इसकी कीमत बाज़ार में करीब 40 – 50 रूपए प्रति किलो है.
भिंडी की उन्नत किस्में (Improved Varieties Of Bhindi)
भिंडी की उन्नत किस्में हिसार उन्नत, वी आर ओ- 6, पूसा ए- 4, परभनी क्रांति, पंजाब- 7, अर्का अनामिका, वर्षा उपहार, अर्का अभय, हिसार नवीन, एच बी एच आदि हैं, जिनकी खेती कर आप अच्छा मुनाफा पा सकते हैं.
चौलाई की खेती (Chaulaai Cultivation)
चौलाई की खेती के लिए गर्मी और बरसात का मौसम उपयुक्त होता है. इसकी खेती के लिए उपजाऊ मिटटी की आवश्यकता होती है. चौलाई की खेती के लिए रेतीली दोमट मिट्टी भी उपयुक्त होती है. यह गर्मी के मौसम की फसल है. इसके अलावा चौलाई में प्रोटीन, विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी, आयरन, और कैल्शियम भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं, जिसके चलते इसका उपयोग आयुर्वेद में दवा निर्माण के लिए किया जाता है. यह कई रोग के लिए रामबाण का कार्य करता है.
चौलाई की उन्नत किस्में (Improved Varieties Of Chaulaai)
चौलाई की उन्नत किस्में पूसा कीर्ति, पूसा लाल चौलाई, पूसा किरण आदि हैं. इसकी खेती कर आप अन्य फसल के मुकाबले अधिक पैसा कमा सकते हैं.
लौकी की खेती (Gourd Farming )
लौकी एक ऐसी फसल है, जिसकी खपत आमतौर पर हर घर में की जाती है. लौकी में पाए जाने वाले पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट विटामिन आदि लौकी की गुन्वात्ता को बढ़ाते हैं. लौकी के सेवन से शरीर की कई तरह की बीमारियाँ से बचाव होता है. यह शरीर को गर्मी और गर्मी के मौसम में चलने वाली लू से बचाव करता है. वहीँ, इसकी खेती की बात करें तो लौकी की खेती के लिए गर्म और आद्र जलवायु की आवश्यकता होती है. एवं इसकी बुवाई बीजों द्वारा की जाती है. गर्मियों के मौसम में लौकी की कीमत बाज़ार बहुत अधिक होती है.
लौकी की उन्नत किस्में ( Improved Varieties Of Gourd)
लौकी की उन्नत किस्में की बात करें, तो पूसा संतुष्टि, पूसा संदेश (गोल फल), पूसा समृध्दि एवं पूसा हाईबिड 3, नरेंद्र रश्मि, नरेंद्र शिशिर, नरेंद्र धारीदार, काशी गंगा, काशी बहार आदि है.
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