सूरजमुखी की खेती मुख्यतः तेल प्राप्त करने के लिए की जाती है. इसके तेल का रंग हल्का और खाने में स्वादिष्ट होता है. सूरजमुखी के तेल में लिनोलिक एसिड प्रचुर मात्रा में होता है, जो हृदय रोग से पीड़ित लोगों के लिए फायदेमंद है. इसकी खेती करने वाले किसान कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. सूरजमुखी की खेती करने से पहले इसकी कुछ प्रमुख किस्मों के बारे में जानना बहुत जरूरी है. इसकी ख़ास किस्मों में ज्वालामुखी, एमएसएफएच 4, एमएसएफएस 8, केवीएसएच 1, एसएच 3322 आदि हैं.
इन किस्मों के माध्यम से किसान ज्यादा पैदावार के साथ ही तेल की भी ज्यादा मात्रा पा सकते हैं. तो चलिए इन किस्मों के बारे में विस्तार से जानते हैं-
ज्वालामुखी
इस किस्म के बीज में 42 से 44 प्रतिशत तक तेल होता है. पौधे की ऊंचाई लगभग 160 से 170 सेमी होती है. फसल तैयार होने में 85 से 90 दिन का समय लगता है. प्रति एकड़ भूमि में 12 से 14 क्विंटल तक पैदावार होती है.
एमएसएफएच 4
इस किस्म की खेती रबी और जायद मौसम में की जाती है. इस किस्म के पौधों की ऊंचाई 120 से 150 सेमी होती है. बीज में 42 से 44 प्रतिशत तेल की मात्रा होती है. फसल 90 से 95 दिन में तैयार हो जाती है. प्रति एकड़ खेत में पैदावार 8 से 12 क्विंटल तक होती है.
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एमएसएफएस 8
सूरजमुखी की इस किस्म के पौधों की ऊंचाई 170 से 200 सेमी तक होती है. बीज में 42 से 44 प्रतिशत तेल की मात्रा होती है. फसल 90 से 100 दिन में तैयार हो जाती है. प्रति एकड़ भूमि पर खेती करने पर लगभग 6 से 7.2 क्विंटल उपज प्राप्त की जा सकती है.
केवीएसएच 1
इस किस्म के पौधे लगभग 150 से 180 सेमी लम्बे होते हैं. यह किस्म देर से बुआई के लिए उपयुक्त है. बीजों में 43 से 45 प्रतिशत तक तेल की मात्रा पाई जाती है. फसल 90 से 95 दिन में तैयार हो जाती है. प्रति एकड़ भूमि में 12 से 14 क्विंटल तक पैदावार होती है.
एसएच 3322
देर से बुआई के लिए उपयुक्त इस किस्म के पौधों की ऊंचाई 137 से 175 सेमी तक होती है. बीजों में 40 से 42 प्रतिशत तक तेल की मात्रा पाई जाती है. फसल तैयार होने में 90 से 95 दिन का समय लगता है. प्रति एकड़ भूमि पर खेती करने पर लगभग 11.2 से 12 क्विंटल तक उपज प्राप्त की जा सकती है.
इसके अलावा सूरजमुखी की कई अन्य किस्मों की खेती भी हमारे देश में प्रमुखता से की जाती है. जिसमें मार्डेन, बीएसएच 1, सूर्या, ईसी 68415, एमएसएफएच 17, वीएसएफ1 आदि किस्में शामिल हैं.
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