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आंवले की ऐसी फायदेमंद खेती, जो एक बार लगाने पर जिंदगी भर देगी मुनाफा!

अगर आप मेडिसिनल प्लांट की खेती करना चाहते हैं तो ऐसे में आप आंवला की खेती कर सकते हैं जो आपको स्वस्थ रखने के साथ-साथ अच्छी कमाई भी करवाएगा...

राशि श्रीवास्तव
आंवले की खेती करवाएगी कमाई
आंवले की खेती करवाएगी कमाई

सालभर मेहनत करने के बाद भी कई बार उचित मुनाफा ना मिलने से किसान निराश होते हैं. ऐसे में किसान ऐसी खेती करें जिसमें मेहनत कममुनाफा ज्यादा हो. ऐसी ही फसलों में से एक है आंवले की फसलजिसके पेड़ एक बार लगाने होते हैं और फिर सारी जिंदगी फलों से मुनाफा कमाएं. आंवले का पेड़ 55 से 60 साल तक फल देता है. पेड़ों के बीच खाली जगह पर किसी और फसल की खेती भी कर सकते हैं. आइये जानते हैं खेती का सही तरीका और उन्नत किस्में.

आंवला का उपयोग और फायदे

आंवले के बहुत सारे हेल्थ बेनेफिट हैं आंवले का उपयोग मुरब्बाआचारजैमसब्जी और जैली बनाने में होता है. आंवला एक आयुर्वेदिक औषधीय फल है. कहा जाता है कि आंवला सौ मर्ज की एक दवा है. इसमें कैल्शियमआयरनफास्फोरसविटामिन-सी, विटामिन-एविटामिन-ई समेत कई पोषक तत्व होते हैं. इसका स्वाद कसैला होता है. इससे आंखों की रोशनी बढ़ती हैभोजन पचाने में मददगार हैडायबिटीज कंट्रोल में रखता हैसूजन संबंधी बीमारियों में फायदेमंद है.

खेती में उपयुक्त मिट्टी 

अच्छी जल निकासी वाली उपजाऊ मिट्टी की जरुरत होती है. पौधा सख्त और अधिक सहिष्णु होता हैइसलिए हर तरह की मिट्टी में आसानी से उगाया जा सकता है ध्यान रहे कि खेत में जल भराव की स्थिति ना होजल-भराव से पौधों के नष्ट होने का खतरा बढ़ता है. भूमि का ph मान 6- 8 के बीच होना चाहिए.

उपयुक्त जलवायु और तापमान

जलवायु में गर्मी और सर्दी के तापमान में ज्यादा अंतर नहीं होना चाहिए. शुरूआत में पौधे को सामान्य तापमान की जरूरत होती है लेकिन पूर्ण विकसित होने के बाद पौधे 0-45 डिग्री तक का तापमान सह सकता है. पौधे अधिक गर्मी वाले तापमान में अच्छे से विकास करते हैं और गर्मियों के मौसम में ही इसके पौधों पर फल बनने लगते हैं. सर्दियों में गिरने वाला पाला हानिकारक होता हैलेकिन सामान्य ठण्ड में पौधे अच्छा विकास करते हैं. पौधों के विकास के समय सामान्य तापमान की जरुरत होती हैआंवले के पौधों के लिए अधिक समय तक न्यूनतम तापमान हानिकारक है. आंवले की खेती समुद्रतल से तकरीबन 1800 मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में होती है.

व्यापारिक उन्नत किस्में

व्यापारिक एवं उन्नत किस्म के आंवले को खेती के लिए सम्पूर्ण भारत में उगाया जाता है. फ्रान्सिसएन ए-4, नरेन्द्र- 10, कृष्णाचकईयाएन.ए. 9,  बनारसी ये कुछ खास किस्मे हैं.

पौधों की सिंचाई

शुरुआत में सिंचाई की ज्यादा जरूरत होती है. खेत में लगाने के बाद ही पहली सिंचाई करें. गर्मी में सप्ताह में एक बार और सर्दियों में 15-20 दिन में सिंचाई करें. बाद में जब पौधा पूर्ण रूप से बड़ा हो जाता है तब इसे सिंचाई की जरूरत ज्यादा नहीं होती है. इसके पेड़ को महीने में पानी देना चाहिए. लेकिन पेड़ पर फूल खिलने से पहले सिंचाई बंद कर देनी चाहिए. इस दौरान सिंचाई करने से फूल गिरने लगते हैं जिससे पेड़ पर फल कम लगते हैं.

उर्वरक की मात्रा

उर्वरक की सामान्य जरूरत होती है. पौधे विकसित होने के बाद मूल तने से से ढाई फिट की दूरी बनाते हुए 1-2 फिट चौड़ा और एक से डेढ़ फीट गहरा घेरा बनाएं. घेरे में लगभग 40 किलो पुरानी सड़ी गोबर की खादएक किलो नीम की खली, 100 ग्राम यूरिया, 120 ग्राम डी.ए.पी. और 100 ग्राम एम.ओ.पी. की मात्रा को भर दें. फिर पेड़ों की सिंचाई कर दें.

खरपतवार नियंत्रण

खरपतवार नियंत्रण निराई-गुड़ाई के माध्यम से करना चाहिए. खेत की पहली निराई-गुड़ाई बीज और पौध रोपण के लगभग 20 से 25 दिन बाद करनी चाहिए. फिर जब भी पौधों के पास अधिक खरपतवार नजर आयें तब उनकी फिर से गुड़ाई करें. आंवला के खेत की कुल 6- 8 निराई-गुड़ाई की जरुरत होती है. इसके अलावा इसके पेड़ों के बीच खाली बची जमीन पर अगर किसी भी तरह की फसल नहीं उगाई गई होतो खेत की जुताई कर दें. जिससे खेत में जन्म लेने वाली सभी तरह की खरपतवार नष्ट हो जाएं.

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पौधों की देखभाल 

देखभाल उचित और वैज्ञानिक तरीके से तो एक पेड़ से लगभग 100-120 किलोग्राम फल सालाना मिल सकता है. देखभाल के दौरान पेड़ों की कटाई-छंटाई सुसुप्त अवस्था से पहले मार्च के महीने में करनी चाहिए. फलों की तुड़ाई करने के बाद रोगग्रस्त शाखाओं की कटाई करनी चाहिए. कटाई छंटाई के दौरान पेड़ों पर नजर आने वाली सूखी शाखाओं को भी काटकर हटाना चाहिए.

रोग और रोकथाम

काला धब्बा रोग की रोकथाम के लिए पौधों पर बोरेक्स की उचित मात्रा का छिड़काव करेंया बोरेक्स की उचित मात्रा पौधों की जड़ों में दें. कुंगी रोग की रोकथाम के लिए इंडोफिल M-45 का छिडकाव पेड़ों पर करें. फल फफूंदी रोग की रोकथाम के लिए पौधों पर MP-45, साफ और शोर जैसी कीटनाशी दवाइयों का छिडक़ाव करें. छालभक्षी कीट रोग की रोकथाम के लिए पौधों की शाखाओं के जोड़ पर दिखाई देने वाले छिद्रों में डाइक्लोरवास की उचित मात्रा डालकर छेद को चिकनी मिट्टी से बंद कर दें.

English Summary: Such a beneficial cultivation of amla, which will give lifelong profits once planted! Published on: 06 December 2022, 02:56 PM IST

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