इस फूल की खेती से होंगे मालामाल, बीज, छिलका, पत्ती, पंखुड़ियां सब कुछ बिकता
भारत में फूलों की व्यावसायिक खेती बड़े पैमाने पर होने लगी है आमतौर पर फूलों का इस्तेमाल सुगंध और पूजा-पाठ के लिए होता है, लेकिन कुछ फूलों में औषधीय गुण भी मौजूद होते हैं, जिनका इस्तेमाल दवा और तेल के रूप में होता है उन्हीं में से एक है कुसुम, जिसकी खेती से अच्छी कमाई होती है।
कुसुम एक औषधीय गुणों वाला फूल है इसका बीज, छिलका, पत्ती, पंखुड़ियां, तेल, शरबत सभी का उपयोग दवाएं बनाने में होता है इसके फूलों के तेल का उपयोग उच्च रक्तचाप और हृदय रोगियों के लिए लाभदायक होता है कुसुम के तेल का उपयोग साबुन, पेंट, वार्निश, लिनोलियम और इनसे संबधित पदार्थो को तैयार करने में भी होता है इतना ही नहीं यह पानी की कमी वाले क्षेत्रों में भी आसानी से उग सकता है इसकी खेती सीमित सिंचाई अवस्था में होती है इसका पौधा आराम से 120 -130 दिनों में उत्पादन देना शुरू कर देता है इसकी खेती किसानों के लिए काफी लाभदायक साबित हो रही है.
जलवायु -कुसुम के बीजों के अंकुरण के लिए 15 डिग्री तापमान और अच्छी पैदावार के लिए 20-25 डिग्री तापमान की जरूरत होती है. अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक बुवाई जरूर कर दें नहीं तो अधिक ठंढ पड़ने से अंकुरण पर बुरा असर पड़ता है.
उपयुक्त भूमि -कुसुम की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली उपजाऊ भूमि अच्छी मानी जाती है. लेकिन ज्यादा पैदावार लेने के लिए गहरी काली मिट्टी में उगाना चाहिए. इसकी खेती के लिए भूमि का PH मान 5-8 के बीच होना चाहिए.
खेत की तैयारी -खेत तैयार करने के लिए धान की कटाई के बाद 2-3 जुताई कर पाटा चला देना चाहिए.इसकी वजह से खेत की मिट्टी में नमी बनी रहती है और कुसुम के बीज अंकुरण के समय खेत में पर्याप्त नमी की जरूरत होती है.
बुवाई -कुसुम फसल की बुवाई के लिए एक हेक्टेयरमें 10 से 15 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है. इसकी बुवाई करते वक्त ध्यान रहे कि कतार से कतार के बीच की दूरी 45 सेमी और पौधों की दूरी 20 सेमी होना चाहिए. इसके खेतों में जलनिकासी की व्यवस्था अच्छीरखना चाहिए.
सिंचाई -कुसुम के पौधों को सिंचाई की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती. इसके पौधों की पहली सिंचाई बीज रोपाई के लगभग 30-40 दिन में करनी चाहिए. फिर उसके बाद पौधों की एक या दो सिंचाई फूल खिलने के बाद करना चाहिए ताकि पौधे से पैदावार अधिक मात्रा में मिल सके.
तुड़ाई -कुसुम के पौधों की पत्तियों में काफी कांटे होते हैं, इसलिए दस्ताने पहनकर सुबह के समय कटाई करें क्योंकि इस समय कांटे मुलायम होते हैं फिर पौधों की डालियां सूखने पर निचली डालियों की पत्तियों को हटा देते हैं. फसल की कटाई करने के बाद 2-3 दिनों तक धूप में सुखाया जाता है बाद में डंडे की मदद से कुसुम की मडाई का काम करते हैं.
मुनाफा-एक हेक्टेयर में बढ़िया तरीके से कुसुम की खेती की जाए तो आराम से 9-10 क्विंटल तक की उपज मिलती है. इसके बीज, छिलका, पत्ती, पंखुड़ियाँ, तेल, शरबत सभी से बाजार में अच्छी कीमतों मिलती हैं. जिससे किसान बंपर मुनाफा कमा सकते हैं.
English Summary: Simple method of safflower cultivationPublished on: 11 March 2023, 03:16 PM IST
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