किसानों की सहायता के लिए कृषि वैज्ञानिक समय-समय पर कई तरह के शोध करते हैं. जिसकी बदौलत किसानों के लिए खेती किसानी के नए आयाम खुल रहे हैं. वैज्ञानिकों की बदौतल ही आज हर एक सब्जी, फल, अनाज की कई किस्में विकसित हो चुकी है, जिसकी खेती जलवायु और मौसम के हिसाब से की जा रही है. इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए आईसीएआर शिमला के वैज्ञानिकों ने शिमला मिर्च की एक नई किस्म ईजाद की है, जिसे खास पहाड़ी राज्यों के लिए विकसित किया गया है. इसका नाम है हाइब्रिड शिमला 562, जिससे किसान प्रति हेक्टेयर 50 क्विंटल की पैदावार प्राप्त कर रह सकते हैं.
वैज्ञानिकों द्वारा विसकित की गई इस नई किस्म से पहले जहां किसान 20 क्विंटल उत्पादन ले रहे थे, वहीं अब हाइब्रिड शिमला से लगभग 354 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. खास बात यह कि यदि इस किस्म को अधिक सिंचाई वाली खेतों में उत्पादित किया जाता है तो इससे किसानों को 50 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त हो सकती है.
इन राज्यों के लिए उपयुक्त
जब भी वैज्ञानिकों द्वारा कोई नई किस्म विकसित की जाती है, तो उसे जलवायु, मिट्टी, वातावरण, मौसम, सिंचाई की उपलब्धता को ध्यान में रखकर विकसित किया जाता है. हाइब्रिड शिमला 562 कि किस्म को भी इन सभी कारकों को मध्यनजर तैयार किया गया है. बता दें कि शिमला मिर्च की यह किस्म पहाड़ी राज्यों- जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तरखंड के लिए अनुकूल मानी जा रही है.
हिमाचल को 200 क्विंटल ब्रीडर बीज
बता दें कि यह नई किस्म हिमाचल के आईसीएआर शिमला के वैज्ञानिकों ने पहाड़ी राज्यों के लिए विसकित की है. तीनों राज्यों के लिए आईसीएआर शिमला सेंटर 300 क्विंटल ब्रीडर बीज की पूर्ती करेगा. जिसमें से केवल हिमाचल को 200 क्विंटल ब्रीडर बीज उपलब्ध करवाए जाएंगे.
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100 किलो ब्रीडर बीज से बनेंगे 2000 क्विंटल बीज
आईसीएआर द्वारा विकसित शिमला ब्रीड बीज के केवल 100 किलो बीजों से 2000 क्विंटल बीज तैयार किए जा सकते हैं. जिससे साफ जाहिर हो रहा है कि किसानों को भी बंपर उत्पादन मिलेगा और आय में बढ़ोतरी होगी.
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