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चंदन की खेती से कम लागत में कैसे बनें करोड़पति?

चंदन का इस्तेमाल ना केवल हमारे धार्मिक कामों में आता है बल्कि कई तरह के सौंदर्य और मेडिकल प्रोडक्ट (beauty and medical product)भी बनाए जाते हैं. इतना ही नहीं, चंदन की खेतीसे कम समय में करोड़पति बना जा सकता है.चंदन की लकड़ी से खुशबू के अलावा औषधीय महत्व भी है. इसके तेल से मालिश करने से मांसपेशियों की ऐठन दूर होती है, और इसका तेल मस्तिष्क के कोशिकाओं को उत्तेजित करदिमाग और याददाश्त तेज़ करता है. इसका तेल का दवाओं के अलावा धूपबत्ती, अगरबत्ती, साबुन, परफ्यूम आदि में प्रयोग किया जाता है.

हेमन्त वर्मा
Chandan

चंदन का इस्तेमाल ना केवल हमारे धार्मिक कामों में आता है बल्कि कई तरह के सौंदर्य और मेडिकल प्रोडक्ट (beauty and medical product)भी बनाए जाते हैं. इतना ही नहीं, चंदन की खेतीसे कम समय में करोड़पति बना जा सकता है.चंदन की लकड़ी से खुशबू के अलावा औषधीय महत्व भी है. इसके तेल से मालिश करने से मांसपेशियों की ऐठन दूर होती है, और इसका तेल मस्तिष्क के कोशिकाओं को उत्तेजित करदिमाग और याददाश्त तेज़ करता है. इसका तेल का दवाओं के अलावा धूपबत्ती, अगरबत्ती, साबुन, परफ्यूम आदि में प्रयोग किया जाता है.

चंदन की खेती के लिए जलवायु (Climate for Sandalwood farming)

चंदन पौधों को उगाने के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है. चंदन की खेती 500 से 600 मिमी वार्षिक वाले क्षेत्रों में आसानी से होती है. इसकी खेती के लिए 12°C से 35 °C तापमान वाले क्षेत्र उचित हैं. इसकी खेती बर्फीले और रेगिस्तान वाले इलाकों को छोड़ा लगभग सभी जगहों पर की जा सकती है.

चंदन खेती के लिए भूमि/मिट्टी का चुनाव (Land or soil selection for Sandalwood farming)

चंदन की खेती के लिए काली मिट्टी, लाल चिकनी मिट्टी जिसमें जल निकासी अच्छी हो उपयुक्त रहती है. जिस मिट्टी में चंदन की खेती की जाए उसका पीएच मान 6-7.5 होना चाहिए.

चंदन की उन्नत किस्में (Advanced varieties of Sandalwood)

वैसे तो चंदन की कई किस्में हैं लेकिन सेंत्लम एल्बम,सफ़ेद चन्दन, सेंडल, अबेयाद, श्रीखंड, सुखद संडाल अच्छी किस्में मानी जाती है. इनमें से सेंत्लम एल्बम किस्म सबसे अधिक सुगन्धित तथा औषधीय गुणों से परिपूर्ण होती हैं.

चंदन की बुवाई/रोपण का तरीका (Method of sowing/ planting of Sandalwood)

अप्रैल और मई का महीना चंदन की बुवाई के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. पौधे बोने से 2x2x2 फीट के गड्ढें खोदकर 10-15 दिनों तक खुल्ला छोड़ देना चाहिए.उसके बाद चंदन के पौधे लगाएं. पौधे लगाने के बाद गड्ढों को अच्छी मिट्टी और सड़ी गोबर खाद के साथ 3:1 अनुपात से मिलाकर भर दें. इन पौधों में हल्का सिंचित करें, गर्मियों में इन्हें समय अनुसार सिंचाई करते रहें. मानसून के मौसम में इसके पौधें तेजी से बढ़ते हैं. एक एकड़ जमीन/भूमि में लगभग 400 पेड़ लगाए जा सकते हैं.

sandalwood

चंदन में कीट-रोग प्रबंधन (Disease-Pest management in sandalwood)

सैंडल स्पाइक रोग: यह रोग चंदन के वृक्ष का सबसे बड़ा दुश्मन होता है. इस रोग के लगने से पेड़ के पत्ते टेड़े मेढ़े होकर छोटे हो जाते हैं. इसके बचाव के लिए चंदन के पेड़ के बीच एक नीम का पौधा लगा देना उचित रहता है जिससे रोग लागने की संभावना कम हो जाती है, और कीटों से चंदन के पेड़ की सुरक्षा भी होती है.अगर ऐसा संभव न हो तो कोशिश करें कि 3 चंदन के पेड़ों के बाद एक नीम का पौधा रोपित करें.

दीमक या अन्य भूमिगत कीट: कीटों की रोकथाम के लिए नीम की खली या बुवेरिया बेसियाना या मेटारिजियम जैसे जैविक उत्पाद का गोबर की खाद के साथ उपयोग किया जा सकता है. रोग नियंत्रण के लिए ट्राइकोडर्मा जैविक फफूंदनाशी का उपयोग कर सकते हैं.

चंदन की खेती में खाद एवं उर्वरक (Manure and fertilizer in Sandalwood farming)

वर्षा के शुरुआती मौसम में 2-3 टोकरी गोबर की सड़ी हुई खाद 2 किलो नीम की खली, 1 किलो सिंगल सुपर फास्फेट मिट्टी मे अच्छी तरह मिलाकर गड्ढा भर देना चाहिए. बरसात के मौसम के बाद थाला बनाकर आवश्यकतानुसार सिंचाई करें.

चंदन में सिंचाई की व्यवस्था (Irrigation system in Sandalwood)

चंदन के पौधें लागते समय और पौध रोपाई के बाद हल्की हल्की सिंचाई करते रहें. वर्षा के मौसम को छोड़कर सालभर 20-25 दिनों बाद सिंचाई जरूरी है.

चंदन की खेती में खरपतवार प्रबंधन (Weed management of Sandalwood)

खेत तैयार करते समय ही गहरी जुताई से खरपतवार प्रबंधन किया जा सकता है. पौधों के बड़े होने पर कृषि औज़ार या हाथों से ही निराई करना उचित रहती है. रसायनों के इस्तेमाल से पौधे की बढ़वार पर विपरीत असर पड़ता है.

चंदन कीछंटाई और उपज (Pruning and Yield of Sandalwood)

चंदन के पौधों की रोपाई के 5 साल बाद से इसके पेड़ों से रसदार लकड़ी बनना शुरू हो जाती है. चंदन के पेड़ को काटने के बाद दो प्रकार की लकड़ी मिलती है. पहली रसदार लकड़ी और दूसरी सुखी लकड़ी. दोनों ही प्रकार की लकड़ियों की अलग– अलग कीमत होती है.चंदन के 14-15 साल के पेड़ोंसे सूखी लकड़ी प्राप्त की जाती है. इसकी जड़े भी बहुत सुगंधयुक्त होती है इसलिए इसके पेड़ को काटने की जगह जड़ सहित उखाड़ लिया जाता है.

चंदन की खेती में लागत और लाभ (Cost and profit of sandalwood farming)

इसके बढ़ती मांग देश में और विदेशी देशों जैसे चीन, इंडोनेशिया, अमरिका आदि में हैं.एक परिपक्व (10-12 साल) चंदन के पेड़ से 12-20किलो लकड़ी प्राप्त की जा सकती है और एक किलो चंदन की कीमत पांच से 6 हजार तक हो सकती है. इसलिए एक एकड़ में यदि 300 पेड़ भी लगाए तो एक एकड़ खेत से करीब 2.5 करोड़ रुपए कमाए जा सकते हैं.इस तरह 100 चंदन के पेड़से 15-17 साल के भीतर एक करोड़ रूपये कमाए जा सकते हैं.इसमें सफ़ेद चंदन की खेती बहुत लाभदायक है, जिसकी लागत 80 से 1 लाख तक आती है और 60 लाख से भी अधिक मुनाफा मिल जाता है.चंदन का एक परिपक्क्व पेड़ 12-15 साल में काटने लायक हो जाता है.

चंदन के बीज या पौधें कहां से लें? (Place to get for Sandalwood Seed or Plant)

चंदन के बीज और पौधे कुछ नर्सरी में प्राप्त किए जा सकते हैं. जैसे चंदन श्री नर्सरी, बेंगलोर 9342971231, 9980981347 और अल्बसन एग्रोफोरेस्ट्री नर्सरी, कानपुर 07233920101 है.केंद्र सरकार की लकड़ी विज्ञान तथा तकनीक (Institute of wood science & technology) संस्थान बैंगलोर से भी चंदन की खेती के लिए बीज तथा पौधे दोनों खरीदे जा सकते हैं. इसके लिए सम्पर्क सूत्र 8022190155 हैं.

English Summary: Sandalwood farming can make millionaires Published on: 23 November 2020, 01:36 PM IST

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