देश के किसानों का आधुनिक खेती की तरफ तेजी से रुझान बढ़ रहा है. ऐसे ही एक किसान है जगदीश कुशवाह, जिन्होंने पपीते की खेती के लिए नई पद्धति अपनाई और आज सफल किसानों की फेहरिस्त में शामिल हो गए हैं. मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के बोरगांव के रहने वाले जगदीश की यह पद्धति क्षेत्र के किसानों को आकर्षित कर रही है. तो आइए जानते हैं उन्होंने पपीते के अधिक उत्पादन के लिए कौन सी तकनीक को आजमाया-
बेड पद्धति को अपनाया
पपीते के पौधों से अधिक पैदावार लेने के लिए जगदीश ने बेड पद्धति को सफलता पूर्वक अपनाया. वहीं सिंचाई उन्होंने ड्रीप प्रणाली से की. एक एकड़ भूमि उन्होंने करीब एक हजार पौधे लगाए. यह पौधे आइस बेरी किस्म के थे जिसकी कीमत प्रति पौधे उन्हें 22 रुपये तक पड़ी. फरवरी महीने में उन्होंने इन पौधों की रोपाई की थी. अब इन पौधों पर फल आ गए हैं जो काफी संख्या में है.
200 पौधे हो गए नष्ट
पौधे रोपने के डेढ़ महीने बाद ही पौधे ख़राब होने लगे. जिसके बाद उन्होंने दवाई का छिड़काव किया. इस तरह उनके पौधे बीमारी से बच पाए. हालाँकि इस बीमारी में उनके 200 पौधे ख़राब हो गए. बचे पौधों में जगदीश ने संतुलित खाद पानी दी. नतीजतन, आज उनके 800 के करीब पौधों में फल आ गया है. एक पौधे में करीब 60 से अधिक पपीता है. जिसे देखकर क्षेत्र के अन्य किसान भी हैरान हैं.
4 लाख रुपये की उपज
किसान जगदीश कुशवाह ने बताया कि वे पौधों की खरीदी समेत अब 50 हजार रुपये खर्च कर चुके हैं. अब विकसित फलों की तुड़ाई शुरू हो गई है. इन पौधों की उम्र 2 साल की है. जो अगले 16 महीनों तक फल प्रदान करेंगे. जगदीश का कहना है कि उन्हें पपीते की फसल से करीब 4 लाख की आवक होने का अनुमान है.
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