उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण फसलों में धान फसल का विशेष योगदान है. यह राज्य चावल के उत्पादन में तीसरे स्थान पर है. बुन्देलखंड के बाँदा, चित्रकूट, झाँसी, जालौन जिलो में भी इसका उत्पादन किया जाता है जिसमे बाँदा प्रथम स्थान पर है परन्तु पानी की समस्या होने के कारण किसान धान की फसल लेने में असल है. धान की अधिक पैदावार लेने के लिए बहुत से कारक उत्तरदायी है जिसमे से अच्छे बीज का चुनाव, नर्सरी में पौध की देख रेख, रोपाई की विधि, पोषक तत्व प्रबंधन पानी की उपलब्ता मुख्य है. स्वस्थ व निरोगी पौध तैयार करने के लिए यह आवश्यक है कि अनुकूलतम आयु की पौध की रोपाई की जाये तो धान की फसल से भरपूर पैदावार मिल सकती है. साधारणतया संकर धान की नर्सरी 21 दिनों तथा अन्य प्रजातियों की नर्सरी 25 दिनों में तैयार हो जाती है तथा तैयार नर्सरी की रोपाई यदि एक सप्ताह के अन्दर हो जाये तो पौधों में कल्लों की संख्या अधिक निकलती हैं. जो पैदावार बढाने में सहायक है.
धान के खेत का चुनाव (Paddy Nursery Field selection)
धान की पौध ऐसे खेत में डालना चाहिए जो कि सिंचाई के स्रोत के पास हो. धान की खेती के लिए पानी रोकने की क्षमता रखने वाली चिकनी या मटियार मिट्टी वाले क्षेत्र अधिक उपयुक्त रहते हैं. इस फसल की पैदावार बुंदेलखंड की मार और काबर मिटटी में अधिक होती है. पर्याप्त सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होने पर धान हल्की भूमि में भी सफलता पूर्वक उगाया जा सकता है.
धान की नर्सरी के लिए खेत की तैयारी (Preparation of farm for nursery)
मई जून में प्रथम वर्षा के बाद नर्सरी के लिए चुने हुए खेत में पाटा चला कर जमीन को समतल कर लेना चाहिए. पौध तैयार करने के लिए खेत में दो-तीन सेमी0 पानी भरकर दो तीन बार जुताई करें. ताकि मिट्टी लेह युक्त हो जाए तथा खरपतवार नष्ट हो जाए. आखिरी जुताई के बाद पाटा लगाकर खेत को समतल करें. ताकि खेत में अच्छी तरह लेह बन जाए, जो कि पौध की रोपाई के लिए उखाड़ने में मदद मिले तथा जड़ों का नुकसान कम हो.
धान की नर्सरी के लिए खाद एवं उर्वरक (Fertilizers and Manure for Paddy Nursery)
पौध तैयार करने के लिए 1.25 मीटर चैड़ी व 8 मीटर लम्बी क्यारियां बना लें तथा प्रति क्यारी (10 वर्गमीटर) 225 ग्राम यूरिया, 500 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट तथा 50 ग्राम जिंक सल्फेट मिलायें. यह ध्यान रहे कि नर्सरी (पौध) जितनी स्वस्थ होगी उतनी अच्छी उपज मिलेगी.
धान की प्रजातियाँ (Paddy Species)
क्षेत्र विशेष की जलवायु के अनुसार धान की किस्मों का चयन करें.
जल्दी या शीघ्र पकने वाली मध्यम या देर पकने वाली सुगन्धित किस्में संकर किस्मे - नरेन्द्र-97, रत्ना, गोबिन्द, नरेन्द्र-80, पन्त धान 12, साकेत-4, कावेरी स्वर्णा, पन्त-10, सरजु-52, नरेन्द्र 359, पूसा बासमती-1, हरियाणा बासमती-1, टा0-3 नरेन्द्र, संकर धान-1 व पन्त संकर धान-1
धान की बुवाई का समय (Time of Paddy Sowing)
जून माह के प्रथम सप्ताह से अन्तिम सप्ताह तक बीज की बुवाई करें जबकि सुगन्धित प्रजातियों की नर्सरी जून के तीसरे सप्ताह में डालें.
धान के बीज की मात्रा (Seed quantity of Paddy)
एक एकड़ क्षेत्रफल की रोपाई के लिए धान की महीन चावल वाली किस्मों का 12-13 किलोग्राम, मध्य दाने वाली किस्मों का 16-17 किलोग्राम और मोटे दाने वाली किस्मों का 20 से 21 किलोग्राम बीज की पौध तैयार करने की आवश्यकता होती है. जबकि संकर प्रजातियों के लिए प्रति एकड़ 7-8 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है.
बीजोपचार (Seed treatment)
सर्वप्रथम बीज को 12 घण्टे तक पानी में भिगोयें तथा पौधशाला में बुवाई से पूर्व बीज को कार्बेन्डाजिम या एग्रोसान या थीरम की 2 ग्राम मात्रा प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें और उसके बाद बीज कों समतल छायादार स्थान पर फैला दें तथा भीगे जूट की बोरियों से ढक दें. बोरियों के ऊपर पानी का छिड़काव करें जिससे नमी बनी रहे. 24 घण्टे के बाद बीज अंकुरित हो जाएगा फिर अंकुरित बीज को समान रुप से बुवाई कर दें. ध्यान रखे कि बीज की बोवाई शाम को करें ताकि यदि तापमान अधिक हो तो अंकुरण नष्ट न होने पाये.
नर्सरी की देखरेख (Nursery care)
अंकुरित बीज की बुवाई के दो - तीन दिनों के बाद पौधशाला में सिचाई करें. खरपतवारों के नियन्त्रण के लिए 10 से 15 दिनों के भीतर कार्बोफूरान 3 जी 150 ग्राम प्रति 100 वर्ग मीटर की दर से डाले. बुवाई 10-14 दिन के बाद एक सुरक्षात्मक छिड़काव खैरा रोंग तथा सफेद रोग के लिए अवश्य करें. खैरा रोंग के नियन्त्रण के लिए दो किलोग्राम जिंक सल्फेट का 2 प्रतिशत यूरिया या 1 किलोग्राम बुझे हुए चूने के साथ 450 लीटर पानी में घोल बना कर नर्सरी में छिड़काव करें.
सावधानियां (Precautions)
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बीज को अंकुरित करके बोयें.
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सुगन्धित प्रजातियो की नर्सरी जून के तीसरे सप्ताह में डालें.
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फफूंदी नाशक दवा थीरम 2ग्राम प्रति किलोग्राम बीज या एग्रोसान जी0एन0 2ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें.
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खरपतवार नियन्त्रण हेतु प्रिटलक्लोर 500-600 मिली0 प्रति एकड़ की दर से 250-300 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.
5.कई बार नर्सरी में हापर, स्टेम बोरर कीटों का प्रकोप हो जाता है ऐसी स्थिति में क्लोरीपायरीफास 20 ई0सी0 600-650 मिली प्रति 50 मिली0 प्रति एकड़ की दर से 240-250 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.
- नर्सरी तैयार होने के 5-6 दिन के भीतर रोपाई अवश्य कर दें और स्वस्थ निरोगी पौधो से अपने खेतों में भरपूर पैदावार की आधारशिला रखें.
लेखक : 1. मुबीन खान 2. अतीक अहमद 3. अरबिन्द कुमार गुप्ता
1 सहायक प्राध्यापक, मो. अली जौहर विश्वविद्यालय, रामपुर
2 वैज्ञानिक, के.वी.के. भरारी, झांसी,
3 सहायक प्राध्यापक, बाँदा कृषि एवं प्रौ. विश्वविद्यालय बाँदा
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