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धान की खेती के साथ मछली पालन से होगी तगड़ी कमाई, किसानों को मालामाल कर देगा ये मॉडल

देश में गेहूं की कटाई का दौर जारी है. अगले कुछ महीनों में किसान धान की खेती की तैयारी शुरू कर देंगे. ऐसे में धान की खेती करने वाले किसान एक खास मॉडल को अपनाकर अपना मुनाफा डबल कर सकते हैं. आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.

बृजेश चौहान
धान की खेती के साथ मछली पालन के फायदे
धान की खेती के साथ मछली पालन के फायदे

भारत में धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है. देश में प्रमुख धान उत्पादक राज्यों में पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, हरियाणा, पंजाब, बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड और तमिलनाडु का नाम आता है. कई बार धान फसल की कटाई के बाद किसानों को अगली फसल बोने के लिए बहुत लंबा इंतजार करना पड़ता है. लेकिन, थोड़ी सूझबूझ देखाकर किसान धान की खेती से ही तगड़ा मुनाफा कमा सकते हैं.

इस आर्टिकल में हम आपको खेती के एक ऐसे मॉडल के बारे में बताएंगे, जो किसानों को मालामाल कर देगा. दरअसल, खेती के इस मॉडल को धान संग मछली पालन (Fish-Rice Farming) कहा जाता है. किसान इस मॉडल को अपनाकर अपना मुनाफा डबल कर सकते हैं. इस प्रकार की खेती चीन, बांग्‍लादेश, मलेशिया, कोरिया, इंडोनेशिया, फिलिपिंस, और थाईलैंड में काफी लोकप्रिय है. वहीं, अब भारत में भी खेती का ये मॉडल जोर पकड़ा रहा है. झारखंड, छत्तीसगढ़, और उत्तर प्रदेश जैसे कई राज्यों में किसान धान और मछली पालन से अच्छी कमाई कर रहे हैं.

फिश-राइस फार्मिंग कैसे करें (How to do fish rice farming)

इस तकनीक के तहत धान की फसल के लिए जमा पानी में ही मछली पालन किया जाता है. धान के खेत में जहां मछलियों को चारा मिलता है, वहीं मछली द्वारा निकलने वाले वेस्ट पदार्थ धान की फसल के लिए जैविक खाद का काम करते हैं। इससे फसल भी अच्छी होती है और मछली पालन भी होता है। किसानों को इस तरह 1.5 से 1.7 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर प्रति सीजन के हिसाब से मछली की उपज मिल सकती है.

क्‍यों बेहतर है फिश-राइस फार्मिंग

धान के खेत में मछली पालन करने की वजह से फसल को नुकसान पहुंचने का खतरा न के बराबर रहता है. धान के खेत में मछली धान की सड़ी-गली पत्तियों एवं अन्य खरपतवारों, कीड़े-मकोड़ों को खा जाती है.इससे फसल की गुणवत्ता तो बढ़ती ही है, साथ ही धान के उत्पादन में भी वृद्धि होती है.साथ ही इस तकनीक से जल और ज़मीन का किफायती उपयोग होता है. धान की फसल काटने के बाद खेत में फिर से पानी भरकर मछली पालन किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें: Paddy Varieties: इस खरीफ सीजन में धान की इन उन्नत किस्मों की करें खेती, मिलेगी बंपर पैदावार

फिश-राइस फार्मिंग के फायदे

  • मिट्टी की सेहत और उत्‍पाकता बढ़ती है.

  • प्रति यूनिट एरिया पर कमाई बढ़ती है.

  • उत्‍पादन खर्च कम होता है.

  • फार्म इनपुट की कम जरूरत पड़ती है.

  • किसानों के लिए एक से ज्‍यादा इनकम सोर्स बनता है.

  • पारिवारिक इनकम सपोर्ट मिलता है.

  • फैमिल‍ी लेबर का पूरा और सदुपयोग.

  • केमिकल उर्वरक पर कम खर्च.

  • किसानों के संतुलित व पौष्टिक.

  • किसानों की स्‍टेटस और जीविका में सुधार.

फिश-राइस फार्मिंग में इन बातों का रखें ध्यान

धान के साथ मछली पालन करते वक़्त इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि भूमि में अधिक से अधिक पानी रोकने की क्षमता हो. खेत में पानी की उचित व्यवस्था मछली पालन के लिए आवश्यक है. इसमें किसान अपने खेत के चारों तरफ जाल की सीमा बनाकर इस पद्धति से खेती कर सकते हैं, ताकि खेत में पानी जमा रहे और मछलियां बाहर नहीं जा पाएं. धान संग मछली पालन पद्धति में मछलियों की चोरी तथा पक्षियों से सुरक्षा के उपाय पर भी ध्यान देने की जरूरत है.ध्यान रहे कि इस तरीके से मछलियों का उत्पादन खेती, प्रजाति और उसके प्रबंधन पर निर्भर करता है.इस प्रकार की खेती सीमान्त एवं लघु किसानों की आर्थिक उन्नति और प्रगति में विशेष रूप से लाभदायक सिद्ध हो सकती है.

English Summary: paddy cultivation with fish farming will generate huge income for farmers Published on: 18 April 2024, 03:59 PM IST

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