भारत में प्राचीन काल से ही हल्दी की महत्ता निर्विवाद रही है. इसका इस्तेमाल मसालों के साथ-साथ औषधियां और सौंदर्य प्रसाधन बनाने में भी किया जाता है, इसलिए भारत में इसकी खेती को बहुत तवज्जोह दी जाती है.
कुछ किसान हल्दी को सहफसली पद्धति का हिस्सा भी बनाते हैं. अभी मानसून की बरसात के दौर में हल्दी की बुवाई करना अत्यंत लाभकारी है. यदि जुलाई के महीने में मेड़ बनाकर हल्दी की खेती की जाए, तो उत्पादन और मुनाफा दोनों दोगुने किए जा सकते हैं.
प्रारंभिक तैयारी
हल्दी की अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए बहुत जरूरी है कि खेतों से जल की निकासी की व्यवस्था पहले ही कर ली जाए, ताकि क्षेत्र में जल के भराव से फसल को नुकसान पहुंचने की संभावना पहले ही खत्म हो जाए.
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हल्दी की बुवाई से पहले उसके कंद में अंकुरण कर लेना चाहिए.
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जब फसल थोड़ा पक जाए, तब मिट्टी चढ़ाई जा सकती है.
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हल्दी की फसल के लिए नमी बहुत जरूरी है पर यदि फल सब्जियों के बाग में पेड़ों की छाया के बीच इसकी खेती की जाए, तो इसे ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती.
कैसे करें बीजों का चयन
यदि हम हल्दी की खेती से अच्छा उत्पादन प्राप्त करना चाहते हैं तो इसके लिए अच्छी किस्म के बीजों का चुनाव बहुत जरूरी है. ऐसा करने से फसल में कीड़े और किसी भी तरह के रोग लगने की संभावना नहीं रहेगी. यह बहुत जरूरी है कि हल्दी के बीज किसी अच्छे बीज भंडार से जांच परख कर खरीदे जाएं. प्रति हेक्टेयर 20 क्विंटल बीज की आवश्यकता होती है जो बाजार में 20 से 25 रुपये किलो के भाव से आसानी से मिल जाते हैं.
हल्दी के बीजों की बुवाई करके 7-8 महीने में ही 200 से 250 क्विंटल तक हल्दी का उत्पादन किया जा सकता है. बाजार में हल्दी को 80 से 100 रुपये प्रति किलो के भाव पर बेचा जाता है. इस तरह यदि गणना की जाए, तो हल्दी की पहली उपज से ही किसान आसानी से चार से पांच लाख की आमदनी प्राप्त कर सकते हैं.
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जैविक खेती के जरिए दोगुनी होगी आमदनी
फसलों से अधिक उत्पादन लेने के लिए रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल करने के बजाय यदि जैविक खेती की जाए, तो लाभ की संभावना ज्यादा है, क्योंकि औषधीय फसलों और मसालों की दृष्टि से जैविक खेती बेहतर रहती है.
जैविक तरीके से उगाई गई हल्दी को साधारण हल्दी से दुगना दाम मिल जाता है और खेतों का उपजापन भी खत्म नहीं होता. आजकल देश में ही नहीं विदेश में भी जैविक हल्दी की मांग बहुत ज्यादा है और इसे आसानी से बाजार प्राप्त हो जाता है.
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