Nutmeg cultivation: भारत देश में हर प्रकार के फसलों की खेती की जाती है. इस बदलते खेती के युग में अब किसान नगदी फसल की खेती की ओर ज्यादा रुझान कर रहे हैं. इस नगदी फसल की खेती से मुनाफा कमाकर किसान संपन्न हो रहे हैं. आज हम आपको ऐसी ही एक फसल जायफल की खेती के बारे में बताने जा रहे हैं. इसे नकदी फसल के तौर पर ही उगाया जाता है. आज कल किसान इसकी खेती प्राकृतिक तरीके से कर काफी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.
खेती का तरीका
मिट्टी
विशेषज्ञों के अनुसार, जायफल के लिए बलुई दोमट और लाल लैटेराइट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है. इसका पीएच मान 5 से 6 के बीच होना चाहिए. इसके बीज की बुआई के पहले खेती की गहरी जुताई की जरुरत होती है.
जलवायु
जायफल एक सदाबहार पौधा होता है. इसकी बीजाई के लिए 22 से 25 डिग्री के तापमान की जरुरत होती है. अधिक गर्मी वाले इलाकों में इसकी खेती में नहीं हो पाती है. जायफल के बीज अंकुरित ही नहीं हो पाते हैं.
खेत को करें तैयार
बीज की बुवाई के बाद खेत को अच्छी तरह से सींच दें. इसके लिए खेत में गड्डे तैयार किए जाते हैं. खेत की मिट्टी पलटने के लिए हल से गहरी जुताई करें. 4 से 6 दिन बीतने के बाद खेत में कल्टीवेटर की मदद से 3 से 4 बार जुताई करें.
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आर्गेनिक खाद का उपयोग
जायफल के पौधों की बुवाई के बाद खेतों में निरंतर अंतराल पर खाद देते रहना चाहिए. खेत में गोमूत्र और बाविस्टीन के मिश्रण को डाल देना चाहिए. जायफल के पौध तैयार होने में आर्गेनिक खाद, गोबर, सड़ी गली सब्जियों का इस्तेमाल करना चाहिए.
पैदावार
जायफल की पैदावार 4 से 6 साल बाद शुरु हो जाती है. इसका असल लाभ 15 से 18 साल बाद मिलना शुरू होता है. इसके पौधों में फल जून से अगस्त माह के बीच लगते हैं. यह पकने के बाद पीले रंग के हो जाते हैं. इसके बाद जायफल के बाहर का आवरण फट कर बाहर निकल जाता है. अब आपको इसकी तुड़ाई कर लेनी चाहिए.
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