उत्तर प्रदेश के बांदा यूनिवर्सिटी ऑफ ऐग्रिकल्चर ऐंड टेक्नॉलजी के एक वैज्ञानिक प्याज की नई क़िस्म इजात कि है. उनके द्वारा विकसित की गई प्याज की ये किस्म अन्य प्याज़ की किस्मो कि अपेक्षा जल्दी तैयार होगी और इसे ज़्यादा समय तक इसे सुरक्षित रखा जा सकता है. डा. आर.के. सिंह इस बात की जानकारी दी ज्यादातर प्याज की किस्में तैयार होने में 110 दिन का समय लेती है. लेकिन उनके द्वारा विकसित कि गई प्याज कि नई प्रजाति मात्र 80 दिनों में तैयार हो जाती है. इतना ही नहीं जहां ज़्यादातर प्याज 250 से 280 क्विंटल प्रति हेक्टयेर पैदा होती है वही इस किस्म कि प्याज़ 300 से 350 क्विंटल पैदा होती है। इस तरह इस किस्म कि प्याज़ सामान्य किस्म कि प्याज से 20 गुना ज़्यादा पैदा होती है.
उन्होंने बताया की ज़्यादातर प्याज़ कि किस्में सामान्य तापमान पर एक महीने के अंदर ही अंदर ख़राब होने लगती है. वही उनके द्वारा तैयार की गई प्याज को सामान्य ताप पर ढाई महीने से ज़्यादा दिन तक रखा जा सकता है. इतना ही नहीं कोल्ड स्टोरेज में इसे 80 से ज्यादा दिनों तक स्टोर किया जा सकता है जो सामान्य वैरायटी कि प्याज से चार गुना ज्यादा है।
डॉ. सिंह ने कहा वे जब एक दशक पहले नाशिक के नैशनल हॉर्टिकल्चर रिसर्च डेवलपमेंट फाउंडेशन काम करते थे तब उन्होंने इस पर रिसर्च का काम चालू कर दिया था. उनके द्वारा इजात की गई प्याज की इस वैराइटी के नाम लाइन-883 है. जब वह बांदा आए तो उन्होंने प्याज की टेस्टिंग के लिए बुंदेलखंड का वातावरण उचित पाया। उन्होंने बताया कि बीते दो वर्षों में उन्हें बहुत अच्छे परिणाम मिले हैं. उन्होंने कहा की प्याज के इस वैराइटी में स्थानीय बीमारियों से लड़ने की पूरी क्षमता है. इसे कम पानी की जरूरत होती है और खरीद की फसल के लिए यह सबसे अच्छा है। किसानों ने उनकी इस प्याज की वैरायटी का उत्पादन भी शुरू कर दिया है और उन्हें इसके बेहतर रिजल्ट मिल रहे हैं।
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