Mushroom Farming: इन दिनों बाजार में मशरूम (mushroom) की मांग बहुत ज़्यादा हो गई है. मशरूम में कई तरह के पौष्टिक गुण पाये जाने के कारण लोग इसे अपने आहार में शामिल कर रहे हैं. अब हर जगह मशरुम से बने कई तरह के व्यंजन देखने को मिल जाते हैं.
स्वाद और औषधीय गुणों का संगम है मशरूम
मशरुम जहाँ खाने में बहुत स्वादिष्ट होती है वही मशरुम में औषधीय गुण भी होते हैं. जिसके कारण बहुत सी दवाइयों में कुछ प्रकार की मशरुम का प्रयोग किया जाता है. मशरुम में उचित मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट और कैल्शियम पाया जाता है. इसके साथ इसके इस्तेमाल से कैंसर से भी बचा जा सकता है. इसकी खेती को लेकर तरह - तरह के प्रयोग किये जा रहे हैं . ऐसा ही एक अनोखा प्रयोग राजस्थान के श्रीगंगानगर के कृषि अनुसंधान केंद्र में मशरूम की खेती को लेकर एक किया गया है जो काफी हद तक सफल भी रहा है . कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. श्रीकृष्ण बेरवा ने एक नई तकनीक ईजाद करते हुए मिट्टी के घड़ों में मशरूम की खेती करने में सफलता हासिल की है. डॉक्टर बैरवा ने बताया कि वे लंबे समय से इस पर प्रयोग कर रहे थे और अंततः सफलता मिल ही गई .
किचन गार्डनिंग और व्यवसाय दोनों के लिए उपयोगी
इस तकनीक से किचन गार्डनिंग से लेकर व्यवसायिक उत्पादन तक में मुनाफा कमाया जा सकता है. कृषि अनुसंधान केंद्र के जरिए अभी लोगों को इसका प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है, कई लोगों ने इस विधि से खेती शुरू भी कर दी है.
प्रदूषण फैलाए बिना संभव है मशरूम का उत्पादन
मशरूम उत्पादन के बाद पॉलिथिन बैग फैंक दिए जाते थे, जिससे प्रदूषण ही होता था लेकिन मटके में मशरूम की खेती करने से प्रदूषण भी नहीं होता है और बेकार पड़े मटके भी काम में आ जाते हैं.
ध्यान देकर बीज खरीदें
यह सब बीज की गुणवत्ता पर निर्भर करता है. बीज जितना शानदार होगा फसल भी उतनी ही अच्छी होगी. मशरुम के कुछ प्रजातियों को अधिक विशिष्ट देखभाल की आवश्यकता होती है, इसलिए मशरूम के बीज खरीदते समय आपको हमेशा उन शर्तों को पूरी तरह से समझना चाहिए जिनकी उन्हें आवश्यकता होती है.उदाहरण के लिए आप एक स्टोर विशेषज्ञ से पूछ सकते हैं और आपके द्वारा खरीदी गई रोपण किट की पैकेजिंग पर निर्देशों का पालन कर सकते हैं. आप अगर घर पर इसकी फसल उगाते हैं तो बीज की गुणवत्ता पर जरूर ध्यान दें. कम समय में ही यह किसानों की मेहनत को लाभ में बदल देता है.
क्या है मटकों में मशरूम की खेती की प्रक्रिया
डॉक्टर बैरवा ने बताया कि इस तकनीक में उत्पादन लेने के लिए एक पुराना मटका लेकर उसमें निश्चित दूरी में ड्रिल से 15 से 20 छेद किए जाते हैं इसके बाद दो से ढाई किलो तूड़ी गीली करके इसमें मशरूम का 100 ग्राम बीज मिलाया जाता है. इसके बाद इस मिश्रण को मटके में भर दिया जाता है और मटके का मुंह कपड़े या प्लास्टिक से बंद कर दिया जाता है. उन्होंने बताया कि 8 से 10 दिन के बाद मशरूम उगना शुरू हो जाता है और मटके के छेदों से बाहर निकलने लगता है. मशरूम बाहर निकलने के ठीक 3 से 4 दिन बाद यह कटाई के लिए तैयार हो जाता है. वैज्ञनिकों के अनुसार मटके के अंदर ऑयस्टर मशरूम (Oyster Mushroom) यानी ढिंगरी को आसानी से उगाया जा सकता है, जो एक सस्ता और आसान विकल्प है. किसान भी इसे आसानी से उगा सकते हैं.
उपयुक्त तापमान व समय
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मशरूम की खेती के लिए 18 से 30 डिग्री तापमान जरूरी होता है. साल में 9 महीने इसका उत्पादन किया जा सकता है.
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मई जून और जुलाई महीने में गर्मी ज्यादा होने के कारण इसका उत्पादन नहीं हो सकता.
किसानों को दी जा रही है ट्रेनिंग
सीनियर रिसर्च फेलो मुकेश सेसमा ने बताया कि किसानों में इस खेती को लेकर काफी उत्साह देखा जा रहा है क्योंकि कम लागत में बेहतर मुनाफा देने वाली मशरूम की खेती 10 से 15 दिन में तैयार हो जाती है बकायदा इसके लिए किसानों को ट्रेनिंग भी दी जा रही है. उन्होंने बताया कि इस खेती के लिए घर में बने कमरे का भी प्रयोग किया जा सकता है.
किसानों में दिख रहा है भारी उत्साह
किसानों और अन्य लोगों का कहना है कि मशरूम की खेती कम समय, कम लागत और कम जगह पर की जा सकती है. ऐसे में आप ट्रेनिंग लेकर मशरूम की खेती कर सकते हैं. जानकारों के अनुसार जिले में मशरूम की खेती के लिए बाजार में अभी कोई ज्यादा कंप्टीशन भी नहीं है. इसलिए इस समय मशरूम की खेती में बेहतर तरीके से काम करके ज्यादा से ज्यादा लाभ लिया जा सकता है.
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