बाजरे की फसल बहुत महत्वपूर्ण है. इसे उपयुक्त रूप से "पोषण से भरपूर अनाज" कहा जा सकता है. सदियों से बाजरा भारतवासियों की जीवन शैली का हिस्सा रहा है. पहले इसका सेवन केवल ग्रामीण क्षेत्र में ही किया जाता था, लेकिन आधुनिकता के दौर से जुड़ी बीमारियों जैसे कि मधुमेह इत्यादि के कारण यह शहरी क्षेत्रों में भी उपयोग में लाया जाने लगा है.
बाजरा, धान और गेहूं के बाद भारत में, क्षेत्र और उत्पादन की दृष्टी से तीसरी सबसे महत्वपूर्ण खाद्य फसल माना जाता है. खासकर कि शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों के लिए यह दोहरा फायदा देने वाली फसल है. क्योंकि एक तरफ यह मानवजाति के लिए सस्ते भोजन के लिए उपयोग में लाया जाता है वही दूसरी तरफ पक्षियों के लिए और सूखे चारे तथा मवेशियों के लिए हरे चारे के रूप में.
प्राचीन कल से ही त्योहारों पर बाजरे की खिचड़ी का सेवन किया जाता रहा है वसा की मात्रा अधिक होने से सर्दियों में रोटी तथा अन्य कई पकवान बनाने में भी इसका किया जाता है ताकि सर्दी से बचाव भी किया सके. बाजरा खनिज और प्रोटीन के साथ-साथ उपभोक्ताओ को विभिन्न स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करता है. इसमें विटामिन-बी, फोलिक एसिड तथा अन्य खनिजों जैसे लोहा, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैंगनीज, पोटेशियम, तांबा, जस्ता और क्रोमियम की भरपूर मात्रा होती है.
इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स (Glycemic Index) कम होता है जिसके कारण यह मधुमेह के मरीजों के लिए काफी लाभप्रद है क्योंकि इससे अधिक समय तक पेट भरा रखने की शक्ति होती है. मैग्नीशियम की अधिक मात्रा के कारण दमा के मरीजों, लोहे की मात्रा अधिक होने से यह खून की कमी वाले मरीज एवं महिलाओं के लिए वरदान है. कब्ज, एलर्जी, एसिडिटी तथा दिल से सम्बंधित बिमारियों को दूर भागने में बाजरा काफी कारगर सिद्ध हुआ है.
सभी पोषण गुणों से भरपूर होने के बावजूद, बाजरे में वसा की अधिकता एवं पीसने के बाद के रासायनिक अभिक्रियाओं के कारण इसे लंबे समय तक संग्रहीत (store) करना मुश्किल होता है. इसके अतिरिक्त, बाजरा उत्पादन के प्रसंस्करण इकाइयों और एकीकृत आपूर्ति श्रृंखलाओं की भी भारी कमी है. जिससे अंतिम उपभोक्ता तक पहुंचने में बाधा आती है.
वैज्ञानिक अधिक से अधिक रिसर्च करके बाजरे की कुछ ऐसी किस्में बना रहें हैं जिन्हें अधिक समय तक स्टोर किया जा सके. सरकार की योजनाओं से बाजरे की फसल को बढ़ावा देने की काफी कोशिश की जा रही है. अतः जल्द ही अधिक से अधिक लोगों को बाजरे के फायदे के बारे में पता चलेगा और इसके उपयोग से जीवन शैली से जुडी बीमारियों से छुटकारा मिलेगा.
लेखक: सपना, निरुपमा सिंह1, रेनू सिंह1 और रूचि बंसल
वैज्ञानिक
भाकृअनुप-राष्ट्रीय पादप अनुवांशिक संसाधन ब्यूरो, पूसा परिसर, नई दिल्ली-110012
1भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा परिसर, नई दिल्ली-110012
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