किसानों के लिए खरपतवार सबसे बड़ी समस्या है. बीज जब पौधों का रुप ले लेते हैं, उसके बाद खेत में खरपतवार किसानों के लिए अड़चन बनकर उगने लगते हैं. क्योंकि पौधे के लिए डाला गया सारा पोषण खरपतवार ले लेते हैं, नतीजतन पौधों को कम पोषण मिलने से फसल उत्पादन में कमी आती है.
इसलिए फसलों में खरपतवार को रोकने के लिए पहले से ही कदम उठा लेने चाहिए, यदि फिर भी किसानों के खेत में खरपतवार पनपता है तो उसके लिए निराई-गुड़ाई करनी चाहिए. किसानों को बुवाई के 20 से 25 दिनों के बाद खुपरी से पहली निराई कर लेनी चाहिए, ताकि खेत खरपतवार रहित हो जाए. अब किसानों की सुविधा के लिए कई कृषि यंत्र बनाएं गए हैं, जिनकी सहायता से बेहद कम वक्त व श्रम बल से खेत से खरपतवार का खात्मा कर सकते हैं.
खेतों से खरपतवार कैसे हटाएं
हाथ से खरपतवार निकालना
खेत से खरपतवार निकालने के लिए कई विधियां हैं, उनमें से एक है हाथ से खरपतवार निकालना. हाथ से खरपतवार निकालने की विधि तब अपनानी चाहिए, जब आपके खेत का क्षेत्र छोटा हो, तथा श्रम बल आपको कम कीमत पर उपलब्ध हो जाए.
गहरी जुताई द्वारा
इसके अलावा गर्मी के दिनों में खेतों में गहरी जुताई कर छोड़ देना चाहिए, जिससे खरपतवार के बीज आ जाते हैं और तेज धूप से बीजों को अंकुरण क्षमता खत्म हो जाती है और फसलों में खरपतवार की समस्या खत्म हो जाती है. यह विधि अपनाने से फसलों में कीटों व बीमारियों का प्रकोप भी कम हो जाता है. ध्यान रहें कि यह तकनीक वहां अपनानी चाहिए जहां पर गर्मी सीजन में फसल ऊगाई जाती है.
होइंग के द्वारा
किसानों की सुविधा के लिए अब हस्तचलित मशीनें भी आ गई हैं. जिससे किसानों का वक्त भी बचता है और श्रम बल भी कम होता है. इन मशीनों से खरपतवारों को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है. लेकिन यह विधि वहीं अपनाई जा सकती है, जहां पर फसलों को पंक्तियों पर बोया जाता हो. ट्वीन व्हील का उपयोग करने से पंक्तियों के बीच उगे खरपतवारों का खात्मा संभव है.
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उचित फसल चक्र अपनाकर
यदि एक ही फसल को बार- बार खेत में बोया जाता है, तो खरपतवारों का प्रकोप बढ़ जाता है. यानि आसान शब्दों में कहें तो एक ही खेत में बार-बार गेहूं बोने से मामा, चने के बोने से बथुआ का प्रकोप बढ़ जाता है, जिसके परिणामस्वरूप कुछ समय बाद इनकी संख्या इतनी अधिक हो जाती है कि उस खेत में चने की पैदावार की जगह खरपतवार ले लेते हैं. इसलिए यह जरूरी है कि एक फसल को बार-बार एक ही खेत में ना बोए, उसकी जगह उचित फसल चक्र को अपनाना चाहिए.
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