सोयाबीन से सोया बड़ी, सोया दूध, सोया पनीर जैसी चीजें बनाई जाती हैं. यह एक तिलहनी फसल है और इसकी खेती देश के कई राज्यों में की जाती है. भारत हर वर्ष लगभग 12 मिलियन टन सोयाबीन का उत्पादन करता है. भारत के मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और झारखंड राज्य में इसकी बड़ी मात्रा में खेती की जाती है. आइयो आपको इससे जुड़ी खेती के तरीके के बारे में बताते हैं.
खेती का तरीका
मौसम
सोयाबीन की बुवाई जून के महीने से की जाती है. सोयाबीन की बंपर पैदावार के लिए किसानों को इसकी उन्नत किस्में और बुवाई के सही तरीके की जानकारी होना बेहद जरूरी होता है. सोयाबीन के तेल की बाजार में बहुत मांग होती है.
कटाई
इसके गट्ठो की कटाई के बाद कुछ दिन तक सुखाना चाहिए. जब कटी फसल सूख जाये तो गहाई कर दोनों को अलग कर देना चाहिए. फसल की गहाई थ्रेसर, ट्रेक्टर, बैलों तथा हाथ द्वारा लकड़ी से पीटकर की जा सकती है. बीज गहाई साधारण तौर पर लकड़ी से पीट कर करनी चाहिए ताकि इससे अंकुरण प्रभावित न हो.
सिंचाई
इसे खरीफ मौसम की फसल कहा जाता है. इसकी फलियों में दाना भरते समय खेत में नमी बनाए रखने के लिए एक दो बार हल्की सिंचाई करते रहना चाहिए.
कीट प्रबंधन
सोयाबीन के पौधों को खाने वाले कीट नीलाभृंग, मक्खी एवं चक्रभृंग आदि का प्रकोप होता है. इनके प्रकोप से फसल की पैदावार में कमी आ जाती है.
कटाई
सोयाबीन के पौधों की अधिकांश पत्तियों को सुखा कर झड़ जाने फलियों को सूखाकर इसकी कटाई कर लेना चाहिये. इसकी कटाई के बाद गट्ठों को 2 से 4 दिन तक सुखाना चाहिये. जब कटी फसल अच्छी तरह सूख जाये तो गहाई कर दोनों को अलग कर लेना चाहिए.
फायदे
सोयाबीन पोषक तत्वों का खजाना होता है. यह प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है. शाकाहारी लोगों की प्रोटीन की जरुरतें सोयाबीन से पूरी हो जाती है. इसमें प्रोटीन और आइसोफ्लेवोंस पाए जाते हैं. इसके सेवन से हड्डियां भी मजबूत होती हैं.
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