Matar Peels Compost: आजकल जैविक खेती को बढ़ावा देने और किचन वेस्ट को सही तरीके से इस्तेमाल करने पर जोर दिया जा रहा है. मटर के छिलकों को आमतौर पर कचरा समझकर फेंक दिया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनसे बेहतरीन जैविक खाद बनाई जा सकती है? इस खाद का उपयोग करने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है. आइए जानते हैं कि मटर के छिलकों से खाद बनाने की प्रक्रिया और इसके फायदे क्या हैं.
मटर के छिलकों से खाद बनाने की प्रक्रिया
मटर के छिलकों से खाद बनाना बेहद आसान है, इसके लिए आपको मटर के छिलके, गोबर या सूखी पत्तियां, थोड़ी मिट्टी, पानी और एक बड़ा गड्ढा या कम्पोस्टिंग बिन की आवश्यकता होती है. आइये जानें मटर के छिलकों से खाद बनाने की प्रक्रिया...
- सबसे पहले सभी मटर के छिलकों को इकट्ठा करें और उन्हें छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें, ताकि वे जल्दी सड़ सकें.
- खाद के गड्ढे या कम्पोस्टिंग बिन में सबसे पहले गोबर या सूखी पत्तियों की एक परत बिछाएं. फिर उस पर मटर के छिलकों की एक परत डालें और ऊपर से मिट्टी डालें.
- इस मिश्रण में थोड़ी मात्रा में पानी छिड़कें, ताकि खाद बनने की प्रक्रिया शुरू हो सके.
- हर 5 से 7 दिन में इस मिश्रण को पलटते रहें, जिससे हवा और नमी सही तरीके से मिलती रहे और छिलके जल्दी सड़ें.
- लगभग 4-6 हफ्तों में यह जैविक खाद पूरी तरह तैयार हो जाएगी. जब यह गहरे भूरे रंग की हो जाए और मिट्टी जैसी महक देने लगे, तो इसका उपयोग खेतों और बागानों में किया जा सकता है.
मटर के छिलकों से बनी खाद के फायदे
- मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है – जैविक खाद से मिट्टी में पोषक तत्व बढ़ते हैं, जिससे फसल की उपज अच्छी होती है.
- रासायनिक खाद की जरूरत कम होती है – इससे मिट्टी प्राकृतिक रूप से उपजाऊ रहती है और कम रासायनिक खाद डालने की जरूरत पड़ती है.
- कीटों और बीमारियों से बचाव – जैविक खाद का उपयोग करने से पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और कीटों का खतरा कम होता है.
- पौधों की वृद्धि तेज होती है – मटर के छिलकों में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम जैसे आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, जो पौधों की तेजी से वृद्धि में मदद करते हैं.
- पर्यावरण संरक्षण में मदद – जैविक खाद का उपयोग करने से प्लास्टिक पैक्ड केमिकल खादों पर निर्भरता कम होती है, जिससे पर्यावरण को भी फायदा होता है.
क्यों जरूरी है जैविक खाद?
आजकल अधिक रासायनिक खादों के उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो रही है, जिससे किसान लंबे समय तक अच्छी पैदावार नहीं ले पाते. जैविक खाद पर्यावरण के अनुकूल होती है और इसके इस्तेमाल से मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की संख्या बनी रहती है, जो फसल उत्पादन के लिए लाभदायक होते हैं.
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