ये तो सभी जानते हैं कि भारत का राष्ट्रीय फूल कमल (National flower Lotus) है. मगर क्या आप ये जानते हैं कि पानी में फलने वाला कमल का फूल अब खेतों में भी उगाया जा सकता है. हां ये अलग बात है कि इसकी खेती सबसे अधिक पानी के बगीचों में की जाती है, लेकिन ये बात अब पुरानी हो गई है, क्योंकि अब कमल की खेती तालाबों और पोखरों के अलावा खेतों में भी की जाने लगी है. यही वजह है कि किसान अब इसकी खेती की ओर रूख करने लगे हैं.
कम लागत और समय में मुनाफा
कमल की फसल मात्र 3 से 4 महीने में तैयार हो जाती है. इसकी खेती करने में लागत भी बेहद कम होती है. यहां तक की सरकार भी अब कमल की सह-फसली खेती (Co-Cropping) करने के लिए किसानों को जागरूक करते हुए मदद कर रही है. ऐसे में आइये जानते हैं किसान भाई अपने खेत में कमल की खेती कैसे कर सकते हैं (Complete information about lotus cultivation)...
अपने खेत में इस तरीके से उगायें कमल
कमल की खेती करने में लागत
खेत में कमल के फूल लगाने में 15 से 22 हजार रुपये का खर्च आता है.
खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
इसे नम मिट्टी में उगाया जाता है. इसके अलावा हल्की काली चिकनी मिट्टी भी इसके लिए उचित मानी जाती है.
कमल की खेती के लिए जलवायु
इसको उचित रोशनी देनी चाहिए. इसके लिए दिन में कम से कम छह घंटे सूरज की रोशनी की जरूरत होती है. कमल को ठंड से बचाना जरूरी होता है.
खेती करने का उचित समय
कमल की खेती जुलाई महीने (Lotus farming in July) के दौरान की जाती है, क्योंकि इस महीने में मानसून की वजह से खेतों में पर्याप्त पानी रहता है.
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बीज बोने का कार्य
इसके लिए किसान सबसे पहले खेत की जुताई करते है, उसमें कमल की जड़े लगाई जाती हैं, फिर इसके बीज को बोने का काम किया जाता है.
खेत में इस तकनीक से बोया जाता है कमल
बीज बोने के बाद करीब दो महीने तक खेत में पानी भरकर रखा जाता है, क्योंकि जैसा की जानते हैं कमल पानी में ही उगाया जाता है. ऐसे में इसकी फसल के लिए पानी और कीचड़ दोनों ही बेहद जरूरी होते हैं. यही वजह है कि इसके रोपाई के बाद खेत में पानी और कीचड़ दोनों भरा जाता है, जिससे कमल के पौधे तेजी से विकास करते हैं.
फसल तैयार होने की अवधि
इसकी फसल अक्टूबर-नवंबर में कटने के लायक हो जाती है. इसकी जड़ों में जितनी गांठे होती हैं उतने ही पौधे बाहर आते हैं. इसके बीजों का गुच्छा भी पौधों पर ही तैयार होता है.
कमल का बीज कहां मिलता हैं?
कमल के बीज ऑनलाइन या फिर अपने नजदीकी नर्सरी या किसी उद्यान केंद्र से खरीद सकते हैं. कई सरकारी नर्सरियों में इसके बीज और पौधे मुफ्त भी दिए जाते हैं.
कितना मिलता है मुनाफा?
कमल की खेती कम समय में ज्यादा आमदनी देती है. एक अनुमान के मुताबिक, इसमें एक एकड़ में करीब छह हजार पौधे तैयार हो सकते हैं. वहीं, इसके फूल करीब 12 हजार रुपये थोक में बिक जाते हैं. इसके बीज, बीज के पत्ते, कमल गट्टे और कमल का फूल अलग-अलग बिकता है. ऐसे में इसकी खेती करने के 3 महीने बाद ही 55 हजार से ज्यादा रुपये का मुनाफा मिल सकता है.
डब्बल मुनाफा कैसे कमाएं?
किसान कमल की सह-फसली खेती सिंघाड़ा (water Chestnut) और मखाना (Makhana) जैसी फसलों के साथ कर सकते हैं. इसके साथ ही किसान चाहें, तो कमल की खेती के साथ ही मछली पालन (Fish Farming) का काम भी कर सकता है. इससे किसानों को कमल की फसलों के साथ ही अन्य फसलों से भी आमदनी मिल जायेगी.
हर समय रहती है कमल की डिमांड
बाजार में कमल के फूलों की डिमांड ना सिर्फ इसकी सुंदरता, बल्कि इसके औषधीय गुणों की वजह से भी है. इसके औषधीय गुणों के कारण इसका इस्तेमाल कई सारे दवाओं में भी किया जाता है. साथ ही इसका इस्तेमाल खाने में भी किया जाता है.
औषधीय उपयोग- कमल के बीजों को गुर्दे, प्लीहा (spleen) और हृदय के लिए बनाई जाने वाली कई सारी दवाओं में इस्तेमाल किया जाता है. बीज के अंदर हरा भ्रूण होता है, जो हृदय को लाभ पहुंचाता है. साथ ही इसके बीजों का उपयोग पुरुषों में कमजोर यौन क्रिया और महिलाओं में ल्यूकोरिया के इलाज के लिए किया जाता है. इसके बीज बेचैन धड़कन को ठीक करने में भी मददगार होते हैं. इसके पत्तियों का उपयोग सनस्ट्रोक, बुखार और खून की उल्टी के इलाज के लिए अन्य जड़ी-बूटियों के साथ किया जाता है.
सांस्कृतिक महत्व- कमल भारत का पवित्र फूल माना जाता है. यह प्राचीन भारत की कला और पौराणिक कथाओं में एक विशेष स्थान रखता है. साथ ही ये भारत का राष्ट्रीय फूल भी है. इसे धन और ज्ञान का प्रतीक भी माना जाता है. साथ ही हमारे देश भारत में इसे विजय का प्रतीक भी माना जाता है. यही नहीं मिट्टी में निहित होने के कारण यह हजारों वर्षों तक जीवित रह सकता है. ये लंबे जीवन, सम्मान और सौभाग्य का प्रतिनिधित्व भी करता है. हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है, क्योंकि इसका उपयोग उनकी धार्मिक प्रथाओं में किया जाता है. ये भारत में बौद्धों के लिए भी पवित्र फूल है.
खाने में उपयोग- कमल के फूल, बीज, युवा पत्ते और प्रकंद सभी खाने योग्य होते हैं. भारत में इसके पत्ते और पत्ते के डंठल को सब्जी के रूप में खाया जाता है. कमल के कंद का स्वाद शकरकंद की तरह होता है.
सुंदरता- सुंदरता के कारण इसका उपयोग हर तरीके के त्योहार, शादी-समारोह, पूजा-पाठ आदी में किया जाता है. वहीं इसकी पंखुड़ियां सजाने के काम आती हैं और बड़े पत्तों को लपेटने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
ऐसे में बाजारों में कमल की मांग हर वक्त रहती है, इसलिए इसकी खेती कर किसान भाई अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते है.
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