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Munja Grass: फसल ही नहीं घास की खेती से भी कमा सकते हैं लाखों, एक बार उगाकर देखें ये घास

देश में बारानी या सूखाग्रस्त क्षेत्रों के लिए मुंजा घास की खेती काफ़ी उपयोगी साबित हो सकती है. वैज्ञानिक और व्यावसायिक खेती से एक बार पौधे लगाने के बाद 30-35 साल तक कमाई होती है. इससे सालाना प्रति हेक्टेयर 350 से 400 क्विंटल उपज मिल सकती है और ढाई से तीन लाख रुपये की आमदनी हो सकती है.

राशि श्रीवास्तव

मुंजामूंज या सरकंडा यह एक बहुवर्षीय और खरपतवार किस्म की घास है. ये गन्ना प्रजाति और ग्रेमिनी कुल की घास हैइसका प्रसारण जड़ों से फूटने वाले नये पौधों से होता है. मुंजा घास का पौधा हर मौसम में हरा-भरा रहता हैलम्बाई मीटर तक होती है. मुंजा घास ऐसी मिट्टी में भी आसानी से पनप सकती है जहाँ कोई अन्य फ़सल और पौधा नहीं पनपता. इसके पौधेपत्तियोंजड़ और तने जैसे सभी हिस्सों का औषधीय या अन्य तरह से उपयोग किया जाता हैइसलिए खेती से अच्छी कमाई की जा सकती है. 

खेती का तरीका

सरकंडे को ढलानदाररेतीलीनालों के किनारे और हल्की मिट्टी वाले क्षेत्रों में आसानी से उगा सकते हैं. इसे एक मुख्य पौधे (मदर प्लांट) से तैयार होने वाली 25 से 40 छोटी-छोटी जड़ों के रूप आसानी रोप सकते हैं. जुलाई में जब मुंजा घास के पुराने पौधो से नये पौधो की कोपले और जड़ें फूटती हैंतब कोपलों वाले पौधों को उखाड़कर मेड़ोंटिब्बों और ढलान वाले क्षेत्रों में रोपे.

नयी जड़ों से पनपने वाले पौधे महीने में पूरी तरह से परिपक्व हो जाते हैंपौधों की रोपाई के लिए एक फ़ीट गहराएक फ़ीट लम्बा और एक फ़ीट चौड़ा गड्ढा खोदना चाहिए. गड्ढों के बीच की दूरी दो से ढाई फ़ीट होनी चाहिएप्रति हेक्टेयर 30- 35 हज़ार पौधे लगा  सकते हैं. खेत में पौधे लगाने के बाद उन्हें महीने तक पशुओं की चराई से बचाना चाहिए. सूखे इलाकों में पौधों लगाने के बाद पानी जरूर देना चाहिए. इससे पौधे हरे और स्वस्थ रहते हैं और जड़ों का विकास अच्छी तरह होता है.

सिंचाई

मुंजा के पौधों की जड़ों को ज़्यादा पानी की ज़रूरत नहीं होतीमिट्टी में ज़्यादा नमी का होना जड़ों के लिए हानिकारक है. इससे उनका विकास भी धीमा पड़ सकता है ऐसे में सूखाग्रस्त इलाकों के लिए मुंजा की खेती काफ़ी उपयोगी साबित हो सकती है. 

कटाई 

पहली बार क़रीब 12 महीने के बाद मुंजा को जड़ों से 30 सेंटीमीटर ऊपर से काटना चाहिए. इससे दोबारा फुटान अधिक होता है आमतौर पर मुंजा की खेती में रासायनिक खाद की ज़रूरत नहीं पड़ती पर लेकिन मुंजा के पौधों का विकास सही नज़र नहीं आये तो प्रति हेक्टेयर 15-20 टन देसी खाद को डाल सकते हैं.

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उत्पादन

पूरी तरह से विकसित होने पर मुंजा के पौधे से 30 से 50 कल्लों की जड़ों का गुच्छा बन जाता है. आमतौर पर ऐसे गुच्छों से 30 से 35 सालों तक मुंजा घास का उत्पादन मिलता है. विकसित मुंजा के गुच्छे से कटाई हर साल करते रहना चाहिए ऐसा करने से ज़्यादा कमाई होती है वहीं मुंजा घास का ग्रामीण इलाकों में आज भी से 10 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से दाम मिल जाता है.

English Summary: Lakhs can be earned not only by crop cultivation but also by growing this grass once Published on: 22 February 2023, 11:00 AM IST

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