सूरजमुखी की खेती (Farming of sunflower) करने का समय नज़दीक आ गया है. इसकी खेती खरीफ, रबी और ज़ायद, तीनों सीजन में होती है, लेकिन ज़ायद सीजन में सूरजमुखी की खेती से अच्छी उपज मिलती है, क्य़ोंकि खरीफ़ सीजन में कई रोग और कीटों के प्रकोप की संभावना रहती है, जिससे फूल छोटे और दाने कम पड़ते हैं.
सूरजमुखी की बुवाई ज़ायद सीजन में फरवरी के दूसरे पखवार में करना उपयुक्त माना जाता है. बता दें कि यह फूल सूरज की दिशा में मुड़ जाता है, इसलिए इसको सूरजमुखी कहा जाता है. यह एक महत्तवपूर्ण तिलहनी फसल है, जिसमें तेल, अच्छे स्वाद और लिनोलिक एसिड की मात्रा पाई जाती है. किसानों के लिए सूरजमुखी की खेती (Farming of sunflower) की काफी अच्छी मानी जाती है, तो आइए आज आपको सूरजमुखी की खेती की सारी जानकारी देते हैं.
सूरजमुखी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी (Suitable climate and soil for sunflower cultivation)
सूरजमुखी फसल को पकते समय शुष्क जलवायु की आवश्यकता पड़ती है, तो वहीं इसकी खेती सभी प्रकार की मिट्टी में हो सकती है, लेकिन ज्यादा जल रोकने वाली भारी भूमि और दोमट भूमि सर्वोतम मानी जाती है.
सूरजमुखी की खेती के लिए खेत की तैयारी (Field preparation for sunflower cultivation)
खेत में पलेवा लगाकर जुताई करनी चाहिए. एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें. इसके बाद देसी हल से 2-3 बार खेत की जुताई करें. अब मिट्टी को भुरभुरी बना लें. बता दें कि आप रोटावेटर की मदद से खेत को जल्दी तैयार कर सकते हैं.
सूरजमुखी की उन्नत किस्में (Improved varieties of sunflower)
संकुल प्रजाति – ज्वालामुखी, सूर्या, मार्डन,एम.एस.एफ.एच 4
संकर प्रजाति - के.वी. एस.एच 1, एस.एच.-3322, एफ.एसएच-17, कावेरी 618
सूरजमुखी की बुवाई का समय (Sunflowers Sowing time)
किसान फरवरी के दूसरे पखवार में सूरजमुखी की बुवाई कर सकते हैं, ताकि फसल मई की आखिरी और जून के पहले सप्ताह में पककर तैयार हो जाए. ध्यान दें कि इसकी बुवाई समय पर न करने और बारिश हो जाने के बाद पैदावार में भारी नुकसान होता है.
सूरजमुखी बीज की मात्रा और बीजोपचार (Sunflower Seed dosage and seed treatment)
सूरजमुखी की खेती में बीज की जमाव गुणवता लगभग 70-75 प्रतिशत से कम होनी चाहिए, तो वहीं बीज की मात्रा को बढ़ाकर बुवाई करना चाहिए. बीज को बुवाई से पहले रात में लगभग 12 घंटे पहले भिगोकर रखे दें. इसके बाद 3-4 घंटे छाया में सुखाए फिर दोपहर के बाद बुवाई करें.
सूरजमुखी बुवाई की विधि (Sunflower Sowing method)
इसकी खेती में बुवाई लाइनों में करनी चाहिए. बता दें कि इसकी बुवाई पहले हल के पीछे 4-5 सेंटीमीटर गहराई पर करनी चाहिए. ध्यान दें कि इन लाइनों की दूरी लगभग 45 सेंटीमीटर और पौधों की दूरी लगभग 15-20 सेंटीमीटर की होनी चाहिए.
सूरजमुखी फसल की सिंचाई (Irrigation of sunflower crop)
सूरजमुखी की खेती (Farming of sunflower) में 4-5 सिंचाई करनी चाहिए. अगर भारी भूमि है, तो सिंचाई 3-4 बार करें. पहली सिंचाई बीज बोने के लगभग 20-25 दिन बाद करें. ध्यान दें कि फूल निकलते वक्त और दाना भरते वक्त भूमि में पर्याप्त नमी होनी चाहिए. इसकी खेती में सिंचाई बहुत सावधानी से करनी चाहिए, ताकि पौधे गिर व पाए. वैसे 10-15 दिनों के अन्तर पर सिंचाई करने की आवश्यकता पड़ती है.
सूरजमुखी फसल की कटाई (Sunflower Harvesting)
सूरजमुखी की खेती में जब बीज कड़े हो जाए, तो फूलों के कटाई कर दें. इनकी कटाई के बाद इनको छाया में सूखा लें. ध्यान दें कि इनको ढेर बनाकर नहीं रखना चाहिए, तो वहीं इसके बीजों को डंडे से पीट निकल देना चाहिए. इसके लिए सूरजमुखी थ्रेशर का उपयोग अच्छा माना जाता है.
सूरजमुखी फसल की पैदावार (Yield of sunflower crop)
सूरजमुखी की खेती में स्थानीय उन्नत किस्मों का उपयोग करना चाहिए, ताकि फसल से अच्छी पैदावार प्राप्त हो. बता दें कि उन्नत किस्मों को और उचित देखभाल से लगभग 15-20 क्विंटल प्रति हैक्टर पैदावार मिल सकती है, तो वहीं संकर प्रजातियों से लगभग 25-30 क्विंटल प्रति हैक्टर उपज हो सकती है.
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