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जानिए बाजरे की उन्नत खेती के लिए सही तकनीक, होगा दोगुना उत्पादन

भारत में सबसे ज़्यादा बाजरे की खेती होती है. व्यापार की बात करें तो बाजरा गेहूं से महंगा बिकता है. अगर कोई किसान बाजरे की खेती कर उससे मुनाफा कमाना चाहता है तो उसे बहुत फायदा होगा.

राशि श्रीवास्तव
बाजरा गेहूं से महंगा बिकता है.
बाजरा गेहूं से महंगा बिकता है.

भारत में सबसे ज़्यादा बाजरे की खेती होती है. गेहूं की रोटी से भी ज़्यादा फायदेमंद बाजरे की रोटी होती है. इसकी रोटियां लोगों को ताकत देती हैं. पेट की पाचन संबंधित समस्या को दूर करती हैं. व्यापार की बात करें, तो बाजरा गेहूं से महंगा बिकता है. अगर किसान बाजरे की खेती कर उससे मुनाफा कमाना चाहते हैं तो उन्हें बहुत फायदा होगा. तो आइए जानते हैं बाजरा की उन्नत उत्पादन तकनीक व अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां.

उपयुक्त मिट्टी- बाजरा को कई प्रकार की भूमि- काली मिट्टी, दोमट, व लाल मृदाओं में उगाया जा सकता है. लेकिन बलुई दोमट मिट्टी सबसे ज़्यादा उपयुक्त होती है. भूमि में जल निकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिए. अधिक समय तक खेत में पानी भरा रहना फसल के लिए नुकसानदायक होगा.

जलवायु और तापमान- बाजरा की फसल तेजी से बढ़ने वाली गर्म जलवायु की फसल है, जो कि 40-75 सेमी. वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त होती है. इसमें सूखा सहन करने की अद्भुत शक्ति होती है. अच्छी बढ़वार के लिए 20-280 सेन्टीग्रेट तापमान उपयुक्त रहता है. कम बारिश वाले क्षेत्र में इसकी पैदावार अधिक होती है. अधिक बारिश वाले इलाकों में इसकी खेती से बचना चाहिए.

उन्नत किस्में- अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए बाजारे की उन्नतशील प्रजातियों का शुद्ध बीज ही बोना चाहिए. बाजरे की उन्नत किस्मों में  के.वी.एच. 108 (एम.एच. 1737), जी.वी.एच. 905 (एम.एच. 1055), 86 एम 89 (एम एच 1747), एम.पी.एम.एच 17(एम.एच.1663), कवेरी सुपर वोस (एम.एच.1553), एच.एच.बी. 223(एम.एच. 1468), एम.वी.एच. 130, 86 एम. 86 (एम. एच. 1684), 86 एम. 86 (एम. एच. 1617), आर.एच.बी. 173(एम.एच. 1446) आदि शामिल हैं. यह किस्में सिंचित इलाकों में अगेती खेती करने पर काफी अच्छी पैदावार देती हैं.

खेत की जुताई- बाजरे की खेती के लिए ज्यादा जुताई की आवश्यकता नहीं होती है. इसकी खेती के लिए शुरुआत में खेत की 2 जुताई कर उसमें कुछ मात्रा में गोबर की खाद डाल दें. इसके बाद फिर से खेत की जुताई कर दें और जब बारिश हो तभी खेत की एक जुताई कर उसमें बीज उगा दें.

बुवाई का तरीका और समय- बाजरे का बीज को पहली बारिश के साथ ही खेतों में लगाया जाता है. बाजरे के खेत में बुवाई का सबसे सही समय मई और जून का महीना है, वैसे बारिश के आगमन पर भूमि में अच्छी नमी आने पर बुवाई कर सकते हैं. बाजरे की बुवाई का समय किस्मों के पकने की अवधि पर निर्भर करता है. बाजरे की फसल के लिए 4-5 किग्रा. बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है. अच्छी उपज के लिए खेत में पौधों की उचित संख्या होनी चाहिए. बाजरे की बुवाई में पंक्तियों में 45 से 50 सेमी. की दूरी पर व पौधे से पौधे की दूरी 10 से 15 सेमी. रखनी चाहिए. 

बाजरे की सिंचाई- बाजरे की खेती के लिए अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है. बारिश न होने पर 10-15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई जरूर करें.

बाजरे की कटाई- फसल पूर्ण रूप से पकने पर कटाई करें, फसल के ढेर को खेत में खड़ा रखे तथा गहाई के बाद बीज की ओसाई करें. दानो को धूप में अच्छी तरह सुखाकर भण्डारित करें.

ये भी पढ़ेंः बाजरे की फसल में लगने वाले प्रमुख कीट, रोग और व्याधियां तथा रोकथाम

पैदावार और लाभ- अच्छी पैदावार के लिए खेती सही तरीके से सही तत्वों के इस्तेमाल के साथ करें। खेती की उपजाऊ क्षमता बढ़ाने के लिए और अच्छी पैदावार के लिए बाजरा- गेहूं या जौ, बाजरा- सरसों या तारामीरा, बाजरा- चना, मटर या मसूर. एकवर्षीय फसल चक्रों को अपनाना चाहिए. वैज्ञानिक तरीके से सिंचित अवस्था में खेती करने पर प्रजातियों से 30-35 क्विंटल दाना 100 क्विंटल/हेक्टेयर सूखी कडवी मिलती है. हाईब्रिड प्रजातियां लगाने तथा वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन में 40-45 क्विंटल तक उपज प्राप्त होती है. वर्षाधारित खेती में 12-15 क्विटंल तक दाना तथा 70 क्विंटल तक सूखी कडवी प्राप्त होती है.

English Summary: Know the right technique for advanced cultivation of millet, which will double the production Published on: 05 December 2022, 06:06 PM IST

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