लौकी जिसे हम घीया के नाम से भी जानते हैं. घीया की खेती हमारे देश के लगभग सभी राज्यों में की जाती है. कई राज्यों में तो किसान लौकी की खेती का व्यवसाय भी करते हैं, क्योंकि भारतीय बाजार में इसकी मांग सबसे अधिक है.
इससे बने पकवानों को लोग बहुत ही चाव के साथ खाते हैं. लौकी की ना केवल सब्जियां बनाई जाती है, बल्कि लौकी का रायता, आचार, कोफ्ता, मिठाइयां आदि बनाये जाते हैं.
किसानों को लौकी की खेती से अच्छा लाभ कमाने के लिए लौकी की हाइब्रिड किस्में और उनकी सभी खासियत के बारे में बता होना बेहद जरूरी है. तो आइए आज हम इस लेख में लौकी की हाइब्रिड किस्मों के बारे में जानते हैं...
लौकी की हाइब्रिड किस्मों पर एक नजर (A look at the hybrid varieties of bottle gourd)
- सम्राट
- अर्का बहार
- अर्का गंगा
- अर्का नूतन
- पूसा संतुष्टि
- पूसा संदेश
अब इस सभी किस्मों के बारे में विस्तार से जानते हैं.
सम्राट (samraat) - इस किस्म की लौकी को महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ, राहुरी के द्वारा लॉन्च किया गया है. इस किस्म की लौकी 30 से 40 सेमी लंबी और आकार में बेलनाकार होती है और यह हरे रंग की होती है. यह 150 से 180 दिनों तक तैयार हो जाती है और उत्पादक क्षमता 400-500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त होता है.
अर्का बहार (ArkaBahar) - अर्का बहार किस्म की लौकी लंबी और सीधी होती है और यह हरे रंग की चमकदार होती है. यह प्रति हेक्टेयर 40-45 टन तक पैदावार देती है.
अर्का गंगा (Arka Ganga) - इस किस्म की लौकी गोलकार और गहरे हरे रंग की होती है. इस किस्म की लौकी 56 दिन में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 58 टन तक की पैदावार होती है.
अर्का नूतन (ArkaNutan) - अर्का नूतन किस्म की लौकी का आकार भी बेलनाकार होती है. यह लौकी भी 56 दिन में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. इसे प्रति हेक्टेयर 46 टन तक पैदावार की प्राप्ति होती है.
पूसा संतुष्टि (poosasantushti) - इस किस्म की लौकी बेहद चिकनी और नाशपाती जैसी होती है. यह इसका वजन लगभग 0.8 से 1.0 किलोग्राम तक होता है. इसकी प्रति हेक्टेयर पैदावार 25 से 29 टन होता है.
पूसा संदेश (Pusa Sandesh) - यह लौकी गहरे हरे रंग की होती है और आकार में यह चपटे और गोलाकार होती है. इसका वजन लगभग 500 से 600 ग्राम तक होती है और इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर 32 टन होती है.
Share your comments