Rajma Cultivation: भारत की महत्वपूर्ण दलहनी फसलों में से एक राजमा (Kidney Beans) भी है, जो अपने पोषण और पाककला के लिए पहचानी जाती है. उत्तर भारत में खरीफ सीजन में राजमा की खेती की जाती है. देश के अधिकतर किसान पांपरिक खेती को छोड़कर गैर-पांपरिक खेती में अपना हाथ अजामा रहे हैं, और इसमें सफल भी हो रहे है. ज्यादातर किसान कम समय में अच्छा मुनाफा कमाने के लिए दलहानी फसलों की खेती करना पंसद करते हैं. राजामा की खेती से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए किसानों को उचित भूमि तैयारी, किस्म का चयन, बुवाई की सही तकनीक, सिंचाई, कीट और रोग प्रबंधन का खास ध्यान रखना होता है.
आइये कृषि जागरण के इस आर्टिकल में जानें, राजमा की खेती से बंपर पैदावार प्राप्त करने के लिए किसानों को किन बातों का ध्यान रखा चाहिए?
उपयुक्त मिट्टी
राजमा की खेती के लिए 6.0 से 7.5 पीएच वाली सही जल निकासी वाली दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है. किसानों को इसकी बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए, इसके लिए हैरो का इस्तेमाल उपयोग करना लाभदायक हो सकता है. बुवाई से पहले आपको अपने खेत की मिट्टी के पोषक तत्वों की कमी का पता लगाने के लिए एक मृदा परीक्षण जरूर करवा लेना चाहिए. यदि कमी आती है, तो इसका उपचार करवाना चाहिए. किसानों को राजमा के खेत को उचित रूप से समतल करने से पानी का एक समान वितरण सुनिश्चित करना चाहिए.
ये भी पढ़ें: कैसे करें खरीफ फसलों की बुवाई, कम लागत में मिलेगी बढ़िया पैदावार
बुवाई की सही विधी
किसानों को राजमा की बुवाई से पहले इसकी उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए. यदि हम राजमा की अच्छी उपज देने के साथ-साथ रोग प्रतिरोधी किस्मों की बात करें, तो इसमें पीडीआर-14, पीडीआर-31 और पीडीआर-14, उदय और उत्कर्ष इत्यादि में से किसी एक किस्म का चयन पसंद के अनुसार कर सकते हैं. किसानों को इसके खेत में मृदा जनित रोगों को रोकने के लिए लगभग 2 ग्राम प्रति किलो बीज के हिसाब से कार्बेन्डाजिम या थिरम जैसे कवकनाशकों का उपयोग करना चाहिए.
राजमा की बुवाई के लिए उत्तर भारत में सबसे अच्छा समय जून के आखिर से जुलाई के शुरुआत तक माना जाता है. इसकी खेती के लिए आपको लाइन बुवाई विधी का उपयोग करना चाहिए. आपको इसकी एक पंक्ति से दूसरी पंक्ति की दूरी 30 से 45 सेमी रखनी चाहिए और इसके एक पौधें से दूसरे पौधें की दूरी 10 से 15 सेमी रखनी चाहिए.
खरपतवार पर रखें नियंत्रण
आपको राजमा की खेत में खरपतवार को नियंत्रित में रखने के लिए प्रति हेक्टर के हिसाब से 1 किलोग्राम पेंडीमेथालिन का उपयोद पहले कर देना चाहिए. राजमा के खेत को खरपतवार से मुक्त रखने के लिए इसकी बुवाई से लगभग 20 से 25 दिनों के बाद हाथों से ही निराई करनी चाहिए और दूसरी निराई बुवाई के 45 से 50 दिन पूरे हो जाने के बाद. आपको इसके खेत की नियमित रुप से निगरानी करनी चाहिए और कीटों को बढ़ने से रोकने के लिए फेरोमोन ट्रैप का उपयोग करना चाहिए.
कब करें फसल की कटाई?
जब राजमा की फलियां पीली होने लग जाती और अंदर के बीच खड़खड़ाने लगते हैं, तो ऐसे में फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है. बुवाई के लगभग 90 से 100 दिनों के बाद ही इसकी फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है. आपको इसकी कटाई काफी सावधानी से करनी चाहिए. इसके लिए पौधों को हाथ से या फिर यांत्रिक थ्रेशर की मदद से ही कटाई करनी चाहिए.
Share your comments