फसल की अच्छी पैदावार के लिए खेती का तरीका भी अच्छा होना चाहिए, तभी मुनाफे की खेती संभव होती है. ऐसे में सघन खेती जिसे गहन खेती भी कहते हैं. इस तकनीक से किसान कम भूमि पर कई फसलों की पैदावार कर सकते हैं. सघन खेती में यदि एक फसल में नुकसान हो तो दूसरी फसल भरपाई कर सकती है. सबसे बड़ी बात है कि खरपतवार का प्रकोप अन्य कृषि तकनीक की तुलना में न के बराबर होता है. ऐसे में जानिए खेती की सघन तकनीक.
सघन खेती की विशेषताएं-
इस विधि से कम भूमि पर अधिक उत्पादन होता है. खेती करने के लिए बहुउद्देशीय फसलें एक ही खेत में उगाई जाती हैं. बदल-बदल कर फसलें बोई जाती हैं और आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रयोग होता है. एक ही खेत में आम, अमरूद, केला, पपीता और बीच में सब्जियां उगाई जा सकती हैं. सीधी धूप में मौसमी सब्जियां और कम धूप में बेमौसमी सब्जियां जो सर्दियों में उगाई जाती है, उनकी फसल उगा सकते हैं जैसे- पालक, धनिया, गाजर, चना साग आदि. साथ ही अदरक हल्दी जो की छांव में होती हैं वो भी उगा सकते हैं.
सघन खेती का लाभ-
सघन खेती विधि अपनाने से किसानों को अधिक लाभ होता है. सबसे बड़ा लाभ है कि सिंचाई के लिए कम पानी की जरूरत होती है. कुछ फसलें आपस में एक-दूसरे को लाभ भी देती हैं जैसे- दलहन नोइट्रोजन उत्पन्न करती है जो दूसरी फसलों के लिए लाभकारी है. सघन खेती विधि में पौधे का आकार छोटा होता है जिससे प्राकृतिक संसाधनों जैसे- धूप, जमीन और पानी आदि का अधिकतम इस्तेमाल होता है. उत्पादित समय घटता है, जल्दी फल मिलना शुरू हो जाता है. कटाई, छंटाई और स्प्रे करना भी आसान होता है. जड़ें अधिक गहराई तक जाती हैं जिससे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया अधिक होती है. इससे फलों की गुणवत्ता बढ़ती है.
भारत में गहन कृषि की जरूरत
भारत में बढ़ती जनसंख्या के लिए खाद्यान्न की समस्या हल करना एक बड़ी चुनौती है, खेती योग्य भूमि कम होती है और खाद्यान्न की मांग ज्यादा है ऐसे में भारत जैसे देश में सघन खेती को अपनाकर बढ़ती जनसंख्या के लिए खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाकर पूर्ति की जा सकती है. वहीं इस विधि से खेती करके किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं.
भारत में सघन खेती अपनाने में बाधाएं-
पूंजी की समस्या- सबसे बड़ी बाधा पूंजी की है. अधिकांश किसान लघु और सीमांत किसान हैं. जिनके पास फसल उत्पादन लागत लगाने के लिए पूंजी की समस्या रहती है. जबकि सघन खेती में अधिक पूंजी की जरुरत होती है.
सिंचाई के साधनों का अभाव- भारतीय कृषि वर्षा पर निर्भर है. सिंचाई के साधनों के अभाव में सघन खेती को अपनाना संभव नहीं है. हालांकि केंद्र और राज्य सरकारें सिंचाई के साधन विकसित करने की कोशिश कर रही हैं. देश की नदियों को जोड़ने का काम जारी है जो एक लंबा कार्यक्रम है.
नई तकनीक की जानकारी न होना, गांव के कई किसान अशिक्षित हैं. उन्हें खेती की उन्नत तकनीक और विधियों का ज्ञान नहीं है. ऐसे में सघन खेती को अपनाना चुनौतीपूर्ण काम है.
खेतों का दूर-दूर फैले होना- भारत के ग्रामीण इलाकों में खेत दूर-दूर फैले हुए हैं और आकार में भी छोटे हैं. इसलिए भारतीय कृषि का यंत्रीकरण करना आसान नहीं है.
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सघन खेती में ध्यान रखने योग्य बातें-
छोटी किस्म के फल वृक्षों को लगाना चाहिए ताकि कम जगह पर ज्यादा पौधे लगाए जा सकें. फल वृक्षों में कम वृद्धि होनी चाहिए ताकि दूसरे फल वृक्ष को फैलने की जगह मिल सके. वृक्षों की वृद्धि रोकने के लिए वृद्धि रोधक हारमोन का प्रयोग करना चाहिए. समय पर टहनियों की कटाई-छंटाई करना चाहिए ताकि पेड़ों का आकार ज्यादा न बढ़े. 10-12 साल बाद यदि सघन खेती में एक-दूसरे पेड़ों की टहनियां और जड़ आपस में उलझने लगें तो बीच में पेड़ों की एक लाइन काट सकते हैं.
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