गेहूं की फसल में अक्सर कई किसानों को यह समस्या आती है कि उनकी फसल में पीलापन आने लगा है. यह पीलापन फसल के पकने से पहले की अवस्था में आता है. अगर ऐसा गेहूं की फसल में होता है तो यह किसानों के लिए यर्क चिंता का विषय है.
ऐसा इसलिए है क्योंकि इस तरह का पीलापन आना फसल के स्वस्थ न होने का संकेत है. इसका मतलब यह है कि कहीं न कहीं आपकी गेहूं की फसल की देख-रेख में कोई कमी ज़रूर है. आज हम आपको यही बताने जा रहें हैं कि ऐसा क्यों होता है और किसान इससे कैसे छुटकारा पा सकते हैं.
इस वजह से फसल में आता है पीलापन (Because of this, yellowing comes in the crop)
विशेषज्ञों की मानें तो गेहूं की फसल में पीलापन आने की वजह जिंक सल्फ़ेट है. अगर किसान अपने गेहूं की फसल में जिंक सल्फ़ेट का इस्तेमाल नहीं करते हैं तो इसकी वजह से ऐसा हो सकता है.
इसके साथ ही फसल में अगर इसका इस्तेमाल नहीं किया गया हो, तो फसल का विकास एक सामान नहीं होता है. इसमें पौधे छोटे रह जाते हैं और साथ ही पत्तियों पर भी इसका प्रभाव पड़ता है. पत्तियां पीली पड़ने लगतीं हैं. कुछ समय बाद ये पत्तियां पीले से गहरे भूरे रंग में बदल जाती है.
ऐसे करें जिंक की कमी को पूरा (How to complete zinc deficiency)
आपको बता दें कि अगर आपको भी अपनी फसल में जिंक का इस्तेमाल करना है तो 20 किलो जिंक प्रति हेक्टर की दर से पहली जुताई के दैरान दे देना चाहिए। ऐसा अगर क्या जाए तो खेत में लगभग तीन साल तक की जिंक की कमी की भरपाई हो जाएगी.
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वहीं अगर आपको अपनी खड़ी फसल में जिंक डालना है तो अंकुरण के तीसरे और पांचवें हफ्ते के बाद करें. आप एक किलो जिंक सल्फ़ेट के साथ एक किलो यूरिया का 100 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव इसका कर सकते हैं.
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