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अगर करने जा रहे हैं शिमला मिर्च की खेती तो जान लें उनमें लगने वाले रोग व बचाव के उपाय

शिमला मिर्च की खेती से किसान हर साल अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं. आइये जानें उसमें लगने वाले रोग व उनसे बचाव के उपाय.

मुकुल कुमार
शिमला मिर्च में लगने वाले लोग व बचाव के उपाय
शिमला मिर्च में लगने वाले लोग व बचाव के उपाय

शिमला मिर्च भारत की खास सब्जियों में से एक है. किसानों के लिए इसकी खेती आय के हिसाब से काफी फायदेमंद हो सकती है. शिमला मिर्च एक बहुमुखी और उच्च मूल्य वाली सब्जी है. जिसकी स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अच्छी मांग है. अगस्त का महीना शिमला मिर्च की खेती के लिए सबसे खास माना जाता है. क्योंकि इस महीने में बरसात के कारण पानी की समस्या नहीं होती है. इस महीने किसी भी फसल का विकास तेजी से होने के साथ उत्पादन भी बढ़िया मिलता है. अगर आप भी शिमला मिर्च की खेती करने का मन बना रहे हैं तो इस स्टोरी के माध्यम से इसमें लगने वाले रोग व उनसे बचाव के उपाय जान सकते हैं.

शिमला मिर्च में लगने वाले रोग

बैक्टीरियल लीफ स्पॉट: इस रोग के चपेट में आने के बाद शिमला मिर्च की पत्तियों पर पीले आभामंडल वाले छोटे व पानी से लथपथ धब्बे दिखाई देते हैं, जो बाद में शॉट-होल दिखने के साथ भूरे या काले रंग में बदल जाते हैं. इससे बचाव के लिए रोग प्रतिरोधी किस्मों का प्रयोग करें. पानी के छींटे पत्तियों पर न पड़े, इसके लिए पौधों में ऊपर से पानी डालें. मिट्टी में रोगजनकों को रोकने के लिए फसल लगाने की जगह को बदलते रहें.

फाइटोफ्थोरा ब्लाइट: इसमें तने और फलों पर गहरे पानी से लथपथ घाव दिखाई देते हैं. इसके असर से पत्तियां मुरझा सकती हैं और सड़ने के लक्षण दिख सकते हैं. इससे बचाव के लिए फसल के आसपास जलभराव न होने दें. पत्तों पर अधिक पानी देने और सिंचाई करने से बचें. रोग को फैलने से रोकने के लिए संक्रमित पौधों को हटा दें. वहीं, निवारक उपाय के रूप में मेटालेक्सिल या फोसेटाइल-एल्यूमीनियम युक्त कवकनाशी का उपयोग करें.

वर्टिसिलियम विल्ट: इसमें पत्तियां पीली पड़ने के साथ मुरझा जाती हैं. कुछ मामलों में पत्तियां पूरी तरह से मर जाती हैं. इससे बचाव के लिए प्रमाणित रोग-मुक्त बीज और रोपाई का उपयोग करें. अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में पौधे लगाएं और अधिक सिंचाई से बचें. मिट्टी में रोगजनकों के निर्माण को कम करने के लिए फसलों का चक्रीकरण करें. इस बीमारी के लिए कोई प्रभावी रासायनिक उपचार नहीं हैं, इसलिए रोकथाम और प्रबंधन रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करें.

पाउडर रूपी फफूंद

इसमें पत्तियों, तनों और फलों पर सफेद पाउडर जैसे धब्बे दिखाई देते हैं. इससे बचाव के लिए बेहतर वायु संचार के लिए पौधों के बीच पर्याप्त दूरी रखें. पौधों के चारों ओर नमी कम करने के लिए ऊपर से पानी देने से बचें. निवारक उपाय के रूप में सल्फर या पोटेशियम बाइकार्बोनेट-आधारित कवकनाशी का उपयोग करें.

एफिड संक्रमण

एफिड छोटे व मुलायम शरीर वाले कीड़े होते हैं जो पौधे से रस चूसते हैं. इससे विकास रुक जाता है और पत्तियां विकृत हो जाती हैं. इससे बचाव के लिए लेडीबग्स और लेसविंग्स जैसे प्राकृतिक शिकारियों को प्रोत्साहित करें. एफिड आबादी को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशक या नीम के तेल का उपयोग करें. पौधों के चारों ओर एल्यूमीनियम पन्नी एफिड्स को रोक सकती है.

यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि जब पौधों की बीमारियों के प्रबंधन की बात आती है तो रोकथाम हमेशा इलाज से बेहतर होती है. किसी भी फसल को रोगों से दूर रखने के लिए उचित स्वच्छता बनाए रखना, रोग प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग करना और पौधों को स्वस्थ रखने के लिए सही परिस्थितियां प्रदान करना आवश्यक है.

English Summary: If you are going to do capsicum farming then know the diseases and preventive measures Published on: 30 July 2023, 12:49 PM IST

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