पशुपोषण की आवश्यकताओं की पूर्ति करने तथा दुग्ध उत्पादन की लागत को कम करने में हरे चारे का एक विशेष महत्व है. एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2020 में हरे एवं सूखे चारे की उपलब्धता उसकी मांग से क्रमशः 64.21 व 24.81 प्रतिशत कम रहेगी.
वर्तमान में हरे चारे की माँग एवं आपूर्ति के इस अन्तर को पाटने, चारा उत्पादन की लागत को कम करने तथा वर्षभर हरे चारे की उपलब्धता बनाये रखने के लिये पारम्परिक चारा फसलों के साथ-साथ बहुवर्षीय हरे चारे की खेती भी करना आवश्यक है. संकर नेपियर घास की खेती (Napier Grass Cultivation) इस क्रम में एक अच्छा विकल्प हो सकता है, जिससे अन्य चारा फसलों की अपेक्षा कई गुना हरा चारा मिलता है. साथ ही इसकी खेती से 4-5 वर्षों तक बुवाई पर होने वाले व्यय की भी बचत होती है.संकर नेपियर घास (Hybrid Napier Grass) एक बहुवर्षीय चारा फसल है एक बार बोने पर 4-5 वर्ष तक सफलतापूर्वक हरा चारा उत्पादन करती है. यह तीव्र वृद्धि, शीघ्र पुर्नवृद्धि, अत्यधिक कल्ले, अत्यधिक पत्तियों आदि गुणों के साथ-साथ 2000 से 2500 कु0/है/वर्ष तक हरा चारा उत्पादन देने में सक्षम है. यह 40 दिन में 4-5 फुट उँची हो जाती है तथा इस अवस्था पर इसका पूरा तना व पत्तियां हरे रहते हैं जिसके कारण यह रसीली तथा सुपाच्य होती है और पशु इसे बड़े चाव से खाते हैं.
संकर नेपियर घास का पोषण मान (Nutritional Value of Hybrid Napier Grass)
क्र.स. अवयव प्रतिशत मात्रा
1 शुष्क पदार्थ 16-17
2 क्रूड प्रोटीन 9.38-14
3 कैल्शियम 0.88
4 फास्फोरस 0.24
5 आक्जलेट्स 2.40-2.97
6 पाचकता 58
नेपियर घास की खेती के लिए मृदा एवं जलवायु (Soil and Climate for Napier Grass Cultivation)
उत्तर भारत में दिसम्बर व जनवरी माह को छोड़कर शेष महीनों में तीव्र वृद्धि करती है. यह जल भराव को सहन नहीं करती है. भारी मृदाओं की अपेक्षा इसकी खेती के लिये बलुई दोमट से बलुई मृदायें जिनमें सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था हो अच्छी रहती है. संकर नेपियर घास 5.0 से 8.0 तक पी.एच. को सहन करने की क्षमता रखती है.
नेपियर घास की खेती के लिए खेत की तैयारी (Field preparation for the cultivation of Napier grass)
इसके लिये एक गहरी जुताई हैरो या मिट्टी पलट हल से तथा 2-3 जुताई कल्टीवेटर से करके रिज मेकर से 60 सेमी. से 100 सेमी. की दूरी पर मेढ़ बना लेते है. मेढ़ों की ऊॅचाई लगभग 25 सेमी. रखते हैं. यदि सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था हो , तो इसका रोपण 15 फरवरी से सितम्बर माह के अन्त तक किया जा सकता है अन्यथा बरसात के महीनों में इसका रोपण करें.
नेपियर घास की उन्नत प्रजातियां (Improved species of Napier grass)
सी0ओ0-3, सी0ओ0-4, सी0ओ0-5
खाद एवं उर्वरक प्रबन्धन-बहुवर्षीय फसल होने के कारण खेत की तैयारी के समय 250 कु0 गोबर की खाद, 75 किग्रा. नत्रजन, 50 किग्रा. फास्फोरस तथा 40 किग्रा. पोटाश प्रति हैक्टेअर का प्रयोग करना चाहिये. रोपण के 30 दिन बाद 75 किग्रा. नत्रजन तथा इसके पश्चात् प्रत्येक कटाई के बाद 75 किग्रा. नत्रजन प्रति हैक्टेअर की दर से प्रयोग करना चाहिये.
नेपियर घास की खेती के लिए रोपण विधि (Planting Method for Napier Grass Cultivation)
60 से 100 सेमी. की दूरी पर 25 से.मी. उँची बनी मेढ़ों पर मेढ़ के दोनो तरफ दो तिहाई ऊॅचाई पर जिग-जैग रूप से संकर नेपियर घास की जड़ों या तने की कटिंग को 60 सेमीं. की दूरी पर लगाकर, आधार पर अच्छी तरह दबा देते हैं. कटिंग को थोड़ा तिरछा करके इस प्रकार लगाते है कि कटे भाग को सीधी धूप से बचाया जा सके. रोपण के तुरन्त बाद खेत में पानी लगा देते है. कटिंग लगाने के लिये 3-4 माह पुराने तनो का चुनाव करना चाहिये. तने की कटिंग इस प्रकार तैयार करते हैं कि उसमें दो गॉठ हों. एक गॉठ को मिट्टी में दबा देते हैं तथा दूसरी गॉठ को ऊपर रखते हैं. पौधों से पौधों की दूरी 60 से.मी. तथा लाइन से लाइन की दूरी 60 से.मी., 80 से.मी. तथा 100 से.मी. रखने पर क्रमशः 55300, 41700 तथा 33300 जड़ों या दो गॉठ के तनों की प्रति हैक्टेअर आवश्यकता होती है.
नेपियर घास की खेती के लिए खरपतवार प्रबन्धन (Weed Management for Napier Grass Cultivation)
रोपण के 30 दिन के भीतर मेढ़ां पर से निराई गुड़ाई करके घास निकाल देनी चाहिये तथा बीच के स्थान पर कस्सी द्वारा खुदाई करके खरपतवार प्रबन्धन करना चाहिये. इसी समय खाली स्थानों पर नई कटिंग लगाकर गैप फिलिंग भी कर देनी चाहिये.
नेपियर घास की खेती के लिए सिंचाई प्रबन्धन (For Napier grass cultivation Irrigation management)
पहली सिंचाई रोपण के तुरन्त बाद तथा इसके तीन दिन पश्चात् दूसरी सिंचाई अवश्य करनी चाहिये। इसके पश्चात् मौसम के अनुसार 7-12 दिन पर अथवा आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें.
नेपियर घास की खेती के लिए कटाई एवं उपज (Harvesting and yield for the cultivation of Napier grass)
संकर नेपियर घास की पहली कटाई 60-70 दिन पश्चात् तथा इसके बाद फसल की बढ़वार अनुसार 40-45 दिन (4-5 फीट ऊॅचाई होने पर) के अन्तराल पर भूमि की सतह से मिलाकर करनी चाहिये. वर्षभर में इसकी 6-7 कटाई से 2000-2500कु0/है0 तक हरे चारे की उपज प्राप्त होती है. इसके साथ बीच के खाली स्थान में मौसम अनुसार लोबिया या बरसीम की अन्तःफसली खेती करके अधिक उत्पादन, उत्तम गुणवत्ता का हरा चारा प्राप्त करने के साथ-साथ मृदा की उत्पादकता को भी बनाये रखा जा सकता हैं. नेपियर के एक पौधे में पहली कटिंग से पहले लगभग 15 कल्ले निकलते हैं तथा पहली कटिंग के पश्चात 50 सक अधिक कल्ले निकलते हैं.
कृषि विज्ञान केन्द्र, भाकृअनुप-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधन संस्थान इज्जतनगर पर पशुओं के लिये हरे चारे की उपलध्ता बढाने के लिये संकर नेपियर घास, (उन्नत प्रजाति सी.ओ.-5 ) की कटिंग उचित दाम पर (एक रूपया प्रति कटिॅंग ) उपलब्ध है. कृषक, नेपियर घास की कटिंग प्राप्त करने के लिये, फोनः 0581-2301181, email: [email protected] पर सम्पर्क कर सकते है.
लेखक:
डा. राम सिंह सुमन, डा. बी.पी.सिंह एवं राकेश पॉण्डे
कृषि विज्ञान केन्द्र, भाकृअनुप-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधन संस्थान
इज्जतनगर -243122
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