मध्य प्रदेश मुख्य सोयाबीन उत्पादक राज्य है. यहाँ बड़े पैमाने पर सोयाबीन कि खेती की जाती है. सोयाबीन कि खेती से यहाँ के किसानों को काफी फायदा भी हो रहा है. राज्य सरकार सोयाबीन किसानों को और अधिक सक्षम बनाने के लिए प्रयासरत है. जिसके फलस्वरूप सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों की जानकारी उपलब्ध कराई जाती है.
इसी को ध्यान में रखते हुए सीहोर जिले के किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग उपसंचालक अवनीश चतुर्वेदी ने जानकारी देते हुए कहा कि आगामी मौसम पूर्वानुमान के अनुसार प्रारंभ दिनों में आसमान में मध्यम बादल से हल्के बादल तथा बाद के दिनों में मध्यम घने बादल छाये रहेंगे। दिन एवं रात्रि के तापमान में उतार-चढ़ाव रहेगा. हवाओं की दिशा प्रारंभ में उत्तर से तथा बाद के दिनों में दक्षिण से एवं दक्षिण पश्चिम से रहेगी, जिनकी गति सामान्य से अधिक चलने का अनुमान है. हल्की बारिश होने का अनुमान है. इसलिए किसानों से अनुरोध है कि लगभग 4 इंच वर्षा के बाद ही सोयाबीन की बुवाई करें.
कृषि अधिकारी चतुर्वेदी ने किसानों को सलाह दी है कि मानसून की अनिश्चितता के कारण उत्पादन में स्थिरता हेतु संभव होने पर सोयाबीन की बुवाई बी.बी.एफ (चौड़ी क्यारी पद्धति) या रिज-फरों (कूड में पद्धति) से ही करें जिससे सूखे/अतिवर्षा के दौरान उत्पादन प्रभावित न हो। सोयाबीन के लिए अनुशंसित पोषक तत्वों (नाइट्रोजन,फॉस्फोरस , पोटाश, सल्फर) की पूर्ति के लिये उर्वरकों का प्रयोग संतुलित मात्रा में बुवाई के समय करें। इसके लिए सीड-कम फर्टी सीड ड्रील का प्रयोग किया जा सकता है जिसकी अनुपस्थिति में चयनित उर्वरकों का खेत में छिड़काव करने के पश्चात बोवनी करें। सोयाबीन की बोवनी हेतु 45 सेमी कतारों की दूरी तथा न्यूनतम 70 प्रतिशत अंकुरण के आधार पर उपयुक्त बीज दर (55 से 75 कि.ग्रा./है.) का उपयोग करें। बोवनी के समय बीज उपचार अवश्य करें इसके लिए अनुशंसित फफूंद नाशक पेनफ्लूफेन + ट्रायफ्लोक्सीस्ट्रोबीन अथवा थायरम+कार्बोक्सीन, थायरम+ कार्बेन्डाजिम अथवा जैविक फफूंदनाशक ट्राईकेडरमा का उपयोग करें.
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विगत वर्ष जिन स्थानों पर सोयाबीन की फसल पर व्हाइट ग्रब का प्रकोप हुआ था वहां के किसान विशेष ध्यान दें एवं व्हाइट ग्रब के वयस्कों को एकत्र कर नष्ट करने के लिए प्रकाश जाल अथवा फेरोमोन ट्रैप का प्रयोग करें। बुवाई से पूर्व इमिडाक्लोप्रिड 48 एफ.एस.से बीजोपचार अवश्य करें.
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