एस्टर का फूल मुख्यत: बैंगनी और लाल रंग के होते हैं और यह बारहमासी होते है. इन पौधों को आसानी से घर के बगीचों में उगाया जा सकता है. इस फूल की कई प्रजातियां भी पायी जाती है. एस्टर का प्रयोग सबसे ज्यादा शादी समारोह में मंडप सजाने के लिए किया जाता है, इसके अलावा घरों का सजाने में भी इसका उपयोग किया जाता है. एस्टर के फूलों की सबसे ज्यादा खेती उत्तरी अमेरिका और यूरोप में की जाती है.
खेती का तरीका-
बीज-
एस्टर के बीज को जैविक खाद युक्त मिट्टी में लगा दें. गमले की मिट्टी नमी युक्त रखें. बीज लगाने के लगभग 4 से 6 घंटे पहले मिट्टी को गीला जरूर कर दें. आपको बता दें कि बीज को अंकुरित होने के लिए 20 से 22 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है और यह 7 से 10 दिनों के बीच यह अंकुरित होने लगता है. ध्यान रहे कि दो पौधों के बीच की दूरी 2 से 3 फीट की रखें.
पानी-
एस्टर के पौधों में नमी बनाए रखने और फूलों के खिले रहने के लिए नियमित रूप से पानी देते रहें. ध्यान रखें कि ज्यादा पानी से पौधे की जड़ें सड़ सकती हैं और इसकी पत्तियों पर पानी का छिड़काव बिल्कुल ही ना करें, क्योंकि इससे पत्तियों में फफूंद या कवक लग सकते हैं.
सूर्य का प्रकाश-
एस्टर के पौधों को सूर्य के प्रकाश की भी जरूरत होती है. हालांकि इसे आंशिक छाया में भी उगाया जा सकता हैं. ध्यान रहे लगातार धूप या छाव में रखने से पौधे कमजोर हो सकते हैं और इनके फूल मूरझा सकते हैं. एस्टर के पौधों को अधिक घना बनाने और फूल खिलने के लिए आप इन्हें 6 से 7 घंटे की धूप वाले स्थान पर रख सकते हैं. इसके विकास के लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस का तापमान उचित माना जाता है.
कीटों से बचाव-
एस्टर फूल की पत्तियों को रस्ट और पाउडरी मिल्डयू जैसे रोग प्रभावित कर सकते है. इन रोगों से बचाव के लिए पौधों की पत्तियों को गीला होने से बचाए और दो पौधों के बीच उचित दूरी बनाए रखें. गर्मियों के समय में पौधों पर पीले पत्ते और बग्स देखने को मिल जाते हैं. इसलिए पौधों पर कीटनाशक साबुन या नीम के तेल का छिड़काव समय-समय पर करते रहना चाहिए.
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एस्टर के पौधे बीज लगाने के लगभग 4 से 5 महीने बाद खिलना शुरू हो जाते हैं. यदि आपने मार्च-अप्रैल महीने के बीच बीज को लगाते हैं तो जुलाई-अगस्त महीने तक पौधों में पूरी तरह से फूल खिल जाते हैं. आपको बता दें कि यह एक बारहमासी फूल का पौधा होता है. एक बार लगाए जाने के बाद बस इसकी उचित देखभाल की जरूरत होती है.
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