मध्य प्रदेश की गाडरवारा तहसील के लिलवानी गांव के युवा किसान इंद्र कुमार मालवीय पिछले पांच सालों से गन्ने की जैविक खेती कर रहे हैं. जिसके जरिए वे सालाना 3 से 4 लाख रूपए की कमाई करते हैं. बता दें कि भारत में गन्ने का उपयोग शकर और गुड़ बनाने खास तौर पर किया जाता है. इसके अलावा गन्ने के रस का पीने के लिए भी बहुत उपयोगी है.
गौरतलब है कि गन्ना स्वादिष्ट होने के साथ-साथ स्वास्थ्यवर्धक भी होता है. इसमें लोहा, पोटेशियम, कैल्शियम, फास्फोरस और मैग्नेशियम जैसे तत्व पाए जाते हैं. इतना ही नहीं, गन्ने का रस पीने से गुरदे की पथरी आसानी से निकल जाती है.तो आइये हैं गन्ने की जैविक खेती करने के तौर तरीके-
गन्ने की खेती के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for Sugarcane Cultivation)
इंद्रकुमार ने कृषि जागरण को बताया कि सबसे पहले खेत की कल्टीवेटर से अच्छी जुताई कर लेते हैं. जिसके बाद मिट्टी को भुरभुरी बनाने के लिए रोटावेटर से जुताई की जाती है. अंतिम जुताई के पहले खेत में गोबर की खाद डालते हैं.
गन्ने की खेती के लिए उचित समय (Appropriate time for Sugarcane Cultivation)
गन्ने की बुवाई का सही समय नवंबर महीने का होता है. वहीं क्षेत्र के कुछ किसान गन्ने की बुवाई जनवरी महीने तक भी करते हैं.
गन्ने की खेती के लिए बुवाई का तरीका (Method of sowing for Sugarcane Cultivation)
गन्ने की बुवाई के लिए वे नालियों का निर्माण करते हैं. नाली से नाली की दूरी 12 फीट रखी जाती हैं. वहीं पौधे से पौधे की दूरी 3 फीट रखी जाती है. मध्य प्रदेश के किसान इंद्रकुमार का कहना है कि वो गन्ने की फसल के बीच अदरक, हल्दी, मूंग, गेहूं या चने जैसी अन्य फसल की खेती भी ले लेते हैं.
गन्ने की किस्म (Sugarcane Variety)
इंद्र कुमार अपने खेत में गन्ने की 9505 किस्म लगाते हैं. जिसका गन्ना मीठा और मीडियम साइज का रहता है. जिससे प्रति एकड़ 28 से 35 क्विंटल की पैदावार होती है. जिसे वे लोकल बाजार में बेच देते हैं. नवंबर में बोई गई उनकी फसल अगले साल दिसंबर तक तैयार हो जाती है.
गन्ने की फसल के प्रमुख रोग (Major diseases of Sugarcane Crop)
बीए तक पढ़े इंद्रकुमार जैविक गन्ने की खेती करते हैं. इस लिए वे कीट या अन्य बीमारियों से बचाव के लिए जैविक उपचार अपनाते हैं. उनका कहना है कि बरसात के दिनों में गन्ने की फसल में सुंडी रोग का प्रकोप रहता है.
वहीं फंगस और वायरस जनित बीमारियां भी फसल को नुकसान पहुंचाती है. इसके लिए वे धतुरे, बेसरम, आक और गौमुत्र की मदद से जीवामृत बनाते हैं. जिसके छिड़काव से इन बीमारियों से निजात मिलती है.
गन्ने की खेती के लिए जैविक खाद की मात्रा(Quantity of organic manure for Sugarcane Cultivation)
जैविक खाद के रूप में राख फास्फेट और भंजी अमृत का प्रयोग किया जातै है. इसके अलावा गन्ने के खेत में गोबर की सड़ी खाद डालना भी सही रहता है. प्रति एकड़ में राख फास्फेट 100 किलो, भंजी अमृत 100 किलो और गोबर खाद 30 से 35 क्विंटल डाली जाती है.
गन्ने की खेती के लिए सिंचाई (Irrigation for Sugarcane Cultivation)
गन्ने की अच्छी पैदावार के लिए करीब 8 सिंचाई की जरूरत पड़ती है.
गन्ने की खेती से मुनाफा(Profits from Sugarcane Farming)
खेती करते वक्त हर किसान मुनाफे का गुणा भाग करता है इस सिलसिले में किसान इंद्रकुमार का कहना है कि वे करीब साढ़े तीन एकड़ में गन्ने की खेती करते हैं.
इसके लिए अलावा वे गन्ने के साथ हल्दी और अदरक समेत अन्य फसलें लगाते हैं. जिससे उन्हें सालाना करीब 4 लाख रूपये तक की आमदानी हो जाती है.
गन्ने की जैविक खेती की अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें
किसान-इंद्र कुमार मालवीय
पता, लिलवानी, तहसील गाडरवारा, जिला नरसिंहपुर, मध्य प्रदेश
मोबाइल नंबर-89658-76315
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