मक्का सभी प्रकार के ऋतु में उगाई जाने वाली तीसरी अनाज की प्रमुख फसल है. अधिकांशतः यह फसल शरद ऋतु में उगाई जाती है. फॉल आर्मीवर्म कीट का प्रकोप इस फसल पर ग्रीष्म ऋतु में अधिक तथा शरद ऋतु में अपेक्षाकृत कम होता है.
यह कीट कई फसलों को नुकसान पहुंचाता है, लेकिन सर्वाधिक क्षति मक्का की फसल को पहुंचाता है अब तक का यह मक्के की फसल का सबसे खतरनाक कीट है. सर्वप्रथम यह कीट अमेरिका में देखा गया, वहां से यह कई देशों में फैल गया.
अपने देश में सबसे पहले दक्षिण भारत में इसका प्रकोप पाया गया, परंतु अब यह उत्तरी भारत में भी बुरी तरह से फैल चुका है जो किसानों के लिए बहुत ही गंभीर समस्या बनता जा रहा है.
यह कीट एक रात में करीब 100 किलोमीटर दूरी तय कर सकता है. फॉल आर्मीवर्म ज्यादातर रात्रि में के समय में अधिक फसलों को क्षति पहुंचाता है. मक्के में यह कीट फसल उगने से लेकर फसल कटाई तक नुकसान पहुंचाता है मादा कीट पत्तियों के ऊपरी सतह पर करीब 50 से 200 अंडे देती है जो कि सफेद परत से ढका रहता है.
इस कीट की इल्ली (लार्वा) शुरुआत में पत्तियों को खुरचकर खाता है जिसके कारण पत्तियों पर सफेद धारियां एवं गोल-गोल छिद्र नजर आते हैं. बड़े आकार की इल्लिया बहुत ही तेजी से पत्तियों को खाकर फसल को भारी मात्रा में नुकसान पहुंचाती हैं.
रोकथाम में होने वाली समस्याएं (Problems with prevention)
इस कीट की रोकथाम में किसानों को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है-
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सिस्टमैटिक कीटनाशक दवाओं का इन पर कम असर होना.
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दिन के समय में इल्लिया का पत्तियों के अंदर निचले सतह में चले जाना जिस कारण से संपर्क में आने वाली दवाओं का पूर्ण रूप से कार्य ना कर पाना .
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किसानों के लिए कीटनाशक दवाओं का अत्यधिक महंगा होना.
कारगर एवं सस्ता नियंत्रण (Effective and cheap control
इस कीट का रोकथाम पूर्ण रूप से कीटनाशक दवाओं से बहुत ही मुश्किल तथा किसानों के लिए बहुत ही खर्चीला होता है. फॉल आर्मीवर्म कीट नियंत्रण के लिए एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन प्रणाली अपना किसानों के लिए सस्ता एवं कीट नियंत्रण में अत्यधिक सहायक है.
बुआई के पूर्व का प्रबंधन (Pre-sowing management)
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खेतों की गहरी जुताई करनी चाहिए जिससे प्यूपा धूप तथा पक्षी द्वारा नष्ट हो जाए.
- अगर उपलब्धता हो तो नीम की खली का प्रयोग 200 किग्रा की दर से पर एकड़ प्रयोग करना चाहिए, जब मक्के की बुवाई जीरो टिलेज से हुई हो.
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खेत को साफ रखें तथा फूलों को जैसे कि गेंदा का फूल आसपास लगाएं.
मक्के की बुवाई के बाद के प्रबंधन (Post sowing management of maize)
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समय पर बुआई करना चाहिए.
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कुंड विधि से बुआई करना चाहिए.
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उचित मात्रा में रासायनिक खादों का प्रयोग करना चाहिए. ध्यान रहे रासायनिक खादों में यूरिया (नत्रजन) की मात्रा अधिक होने पर फॉल आर्मीवर्म कीट का प्रकोप बढ़ जाता है.
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उपचारित बीजों का ही प्रयोग करना चाहिए.
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अति संवेदनशील बीजों का प्रयोग बुवाई में नहीं करना चाहिए.
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खेत में खरपतवार की अधिकता नहीं होने देना चाहिए.
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नर कीट को पकड़ने के लिए फेरोमोन ट्रैप (4/एकड़) का उपयोग बुवाई के कुछ ही दिन बाद कर देना चाहिए.
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रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग फसल पर संपर्क में आकर कीटों को मारने वाली दवाओं जैसे लैम्डा तथा सिस्टमैटिक कीटनाशक दवाओं जैसे इमामैक्टीन का एक साथ छिड़काव पत्तियों के अंदर करना चाहिए.
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रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग के 4-7 दिन पश्चात पूरे खेत में ट्राइकोडर्मा ट्राइको कार्ड का उपयोग करना चाहिए जो अंडों को नष्ट कर देता है.
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नर कीट, मादा कीट तथा अंडो के दिखाई देने पर उन्हें हाथो से ही नष्ट कर देना चाहिए.
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यही प्रक्रिया विभिन्न अवस्थाओं में जब भी फॉल आर्मीवर्म कीट का प्रकोप हो, नियंत्रण करने के लिए किया जा सकता है.
लेखक: गौरव शुक्ल
पीएचडी शोध छात्र (सस्य विज्ञान विभाग)
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रोद्यौगिक विश्वविद्यालय, मोदीपुरम, मेरठ-250110
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