भारत के बासमती चावल की दुनिया भर में हमेशा से धाक रही है. यह बासमती चावल सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है. इसकी खेती करने वाले किसानों को भी अच्छा लाभ मिलता है. वही बासमती चावल की खेती भारत के जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश राज्यों में खरीफ सीजन में प्रमुखता से की जाती है. हालांकि, बासमती धान की खेती के दौरान किसानों को कई तरह की चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है जिनमें फसल में शाक यानी अनावश्यक खरपतवारों का उग जाना और रोग लगना प्रमुख है. वही अनावश्यक खरपतवारों एवं रोगों से निपटने के लिए कई बार किसान रासायनिक कीटनाशकों का भी इस्तेमाल करते हैं. कई बार ऐसा होता है कि बासमती चावल में कीटनाशक अवशेष की मात्रा तय मानक से अधिक हो जाती है जिससे किसानों को वाजिब दाम भी नहीं मिलता है. नतीजतन, किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ जाता है.
किसानों की इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखकर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा (ICAR) ने बासमती धान की दो नई किस्में विकसित की हैं जो पुरानी किस्मों को सुधार कर विकसित की गई हैं. बासमती धान की ये दोनों किस्में शाकनाशी-सहिष्णु (हर्बीसाइड-टोलेरेंट) हैं यानी जब शाकनाशी का छिड़काव किया जाएगा तो पौधे प्रभावित नहीं होंगे. ऐसे में आइए इन किस्मों के बारे में विस्तार से जानते हैं-
बासमती चावल की शाकनाशी-सहिष्णु (हर्बीसाइड-टोलेरेंट) किस्में/ Herbicide Tolerant Rice Varieties
पूसा ने पुरानी किस्मों को सुधार कर बासमती चावल की दो शाकनाशी-सहिष्णु (हर्बीसाइड-टोलेरेंट) किस्में विकसित की है जिनमें पूसा बासमती 1121 का सुधार कर पूसा बासमती 1979 किस्म विकसित की है. इसी तरह पूसा बासमती 1509 का सुधार कर पूसा बासमती 1985 विकसित की है. किसान बासमती धान की इन दोनों किस्मों की खेती डीएसआर तकनीक यानी धान की सीधी बिजाई विधि से कर सकते हैं. इन किस्मों की खेती करने पर पानी की बचत होती है. साथ ही आमदनी में भी वृद्धि होती है. ऐसे में जो किसान इस खरीफ सीजन में डीएसआर/DSR तकनीक यानी धान की सीधी बिजाई विधि से धान की खेती करने की सोच रहे हैं वह किसान इन दोनों किस्मों की खेती कर सकते हैं.
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बासमती चावल की अन्य उन्नत किस्में/ Basmati Rice Varieties
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के मुताबिक बीज अधिनियम, 1966 के अधीन अब तक बासमती चावल की 45 किस्में अधिसूचित की गई हैं बासमती चावल की प्रमुख किस्में हैंः बासमती 217, पंजाब बासमती 1 (बौनी बासमती), बासमती 386, पंजाब बासमती 2, पंजाब बासमती 3, बासमती 370, हरियाणा बासमती 1, तरावड़ी बासमती (एचबीसी 19), टाइप 3 (देहरादूनी बासमती), पंत बासमती 1 (आईईटी 21665), पंत बासमती 2 (आईईटी 21953), कस्तूरी, माही सुगंधा, बासमती सीएसआर 30 (संशोधन पश्चात्), मालवीय बासमती धान 10-9 (आईईटी 21669), रणबीर बासमती, बासमती 564, पूसा बासमती 1, पूसा बासमती 1121 (संशोधन पश्चात्), पूसा बासमती 1509 (आईईटी 21960), पूसा बासमती 6 (पूसा 1401), पूसा बासमती 1609, पूसा बासमती 1637, पूसा बासमती 1728, वल्लभ बासमती 22, वल्लभ बासमती 21 (आईईटी 19493), वल्लभ बासमती 23, वल्लभ बासमती 24, पूसा बासमती 1718, पंजाब बासमती 4, पंजाब बासमती 5, हरियाणा बासमती 2, पूसा बासमती 1692, जम्मू बासमती 118, जम्मू बासमती 138, जम्मू बासमती 129, जम्मू बासमती 123, पूसा बासमती 1847, पूसा बासमती 1885, पूसा बासमती 1886, पूसा बासमती 1985, पूसा बासमती 1979, पूसा बासमती 1882 और पंजाब बासमती 7 आदि.
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