अगर आप गेहूं, चना, सरसों, गन्ना की खेती को छोड़कर अन्य फसलों की खेती कर मुनाफा कमाना चाहते हैं तो मेहंदी एक अच्छा विकल्प है. यह एक झाड़ीदार फसल है जिसकी पत्तियां व्यवसायिक तौर पर बेची जाती हैं. भारतीय संस्कृति में शुभ अवसरों पर हाथ और पैरों में मेहंदी की पत्तियों को लगाते हैं वहीं सफेद बालों को रंगने के लिए मेहंदी का उपयोग होता है.
इसके अलावा सौंदर्य बढ़ाने में मेहंदी का प्रयोग होता है. इस कारण बाजार में मेहंदी की अच्छी मांग रहती है. ऐसे में आप मेहंदी की खेती कर अच्छा लाभ कमा सकते हैं. इस लेख में हम आपको मेहंदी की खेती के बारे पूरी जानकारी दे रहे हैं.आईए जानते हैं मेहंदी की खेती के बारे में..
खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टीः
मेहंदी की खेती के लिए किसी विशेष जलवायु की जरुरत नहीं होती लेकिन शुष्क व अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में इसकी खेती अच्छे तरीके से की जा सकती है. राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़ की जलवायु और मिट्टी मेहंदी की खेती के लिए उपयुक्त होती है. हालांकि भारत में सबसे ज्यादा मेहंदी का उत्पादन राजस्थान में होता है. मेहंदी की खेती के लिए ज्यादा पानी की जरुरत नहीं होती ऐसे में सूखाग्रस्त इलाकों में भी मेहंदी उगाई जा सकती है. खेती के लिए कंकरीली, पथरीली, हल्की, क्षारीय मिट्टी अच्छी होती है. मिट्टी का पीएच मान 7.5 से 8.5 के बीच होना चाहिए. 30 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान अच्छी पैदावार के लिए उपयुक्त होता है.
लागत व मुनाफाः
मेहंदी की खेती में ज्यादा लागत नहीं लगती. अच्छी बात ये है कि मेहंदी के पौधे एक बार रोपाई के बाद अगले 20 से 30 सालों तक हर साल प्रति हेक्टेयर 15 से 25 क्विंटल तक सूखी पत्तियों का उत्पादन करते हैं. पौध रोपाई के पहले साल मेहंदी का उत्पादन काफी कम होता है. 3-4 साल बाद मेहंदी का उत्पादन जोर पकड़ता है. मेहंदी की खेती से हर साल हजारों का मुनाफा कमाया जा सकता है.
खेती का तरीका:
मेहंदी की खेती के लिए बीजों की बुवाई कर नर्सरी में पौधे तैयार किए जाते हैं. इसके बाद खेत में पौधे की बुवाई की जाती है. बीजों की अपेक्षा कलम विधि से तैयार पौधों की बुवाई से अच्छी पैदावार मिलती है. बुवाई के लिए जुलाई-अगस्त का समय सबसे उपयुक्त होता है.
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बुवाईः
बुवाई से पहले खेत में अच्छे से जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बना लें. प्रति हेक्टेयर जमीन के हिसाब से मेहंदी के 5 से 6 किलोग्राम बीजों से नर्सरी तैयार की जाती है. पौधे के 40 सेमी से ज्यादा बढ़ा होने पर इन्हें खेत में 50 सेमी की दूरी रखकर बो दिया जाता है. पौध रोपाई से पहले जड़ों को क्लोरोपाइरिफास या नीम-गोमूत्र के घोल से उपचारित किया जाता है.
सिंचाईः
मेहंदी की खेती में ज्यादा सिंचाई की जरुरत नहीं होती. हालांकि पौध रोपाई के बाद पानी की आवश्यकता होती है. सिंचाई करते समय इस बात का ध्यान रखें कि खेत में जलभराव न हो.
कटाईः
मेहंदी की फसल की कटाई आमतौर पर सितंबर- अक्टूबर माह में की जाती है. इसकी फसल कटाई हसिये से की जाती है. फसल काटने के 18-20 घंटे तक मेहंदी को सूखाया जाता है फिर डंडे से पीटकर पत्तियों को अलग कर दिया जाता है. बाद में इसकी पत्तियों का पाउडर बनाकर बेचा जाता है.
मांग:
मेहंदी का मुख्य तौर पर इस्तेमाल हाथों और बालों को रंगने के लिए किया जाता है. ऐसे में गहरे कलर वाली मेहंदी की मांग बाजार में काफी रहती है. इसलिए मेहंदी की खेती करते समय ऐसी किस्म की बुवाई करें जिसका रंग गहरा हो.
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